Rajasthan news: आयरन लेडी बन 2000 लोगो के लिए हुई मददगार
Rajathan news:राजस्थान की वो आयरन लेडी जो बन गई 2000 लोगो. क़े लिए देवदूत
Hanumanghar news:राजस्थान के भादरा के बीरान गाँव मे पैदा हुईं और हरियाना के फतेहबाद जिले के नहला गाँव मे शादी हुईं आयरन लेडी और शान-ए-हरियाणा से अपनी पहचान बना चुकी सुमन मेडल मेहरा आज हजारों बेसहारा लोगो के लिए सहारा और मददगार साबित हो रही है.
कौन है ये आयरन लेडी.
गत 7-8 साल से समाजसेवा के कार्यों से जुडी आयरन लेडी के नाम से प्रसिद्ध सुमन के परिवार मे पांच भाई बहिन है,माँ खुद पढ़ी लिखी नही थी लेकिन वे चाहती थी की सुमन पढ़े,लेकिन परिस्थिया ऐसी बनी की सुमन की शादी कर दी,सुमन बताती है की जब उसकी शादी हुईं तो उसको अच्छे से पता तक नही था की ये क्या हो रहा है.खैर शादी हो गईं लेकिन अच्छी बात ये रही की सुसराल बहुत अच्छा मिला और सुमन को नर्स का डिप्लोमा करवाया और सुमन ने हरियाणा के हिसार के अस्पतालो मे ICU के इंचार्ज के रूप मे ANM की 8 साल नौकरी की.
सुमन की जिंदगी मे दो वाक्य हुए जिसने सुमन की जिंदगी बदल दी,सुमन बताती है की 2018 मे एक बार वो अपनी स्कूटी से हिसार के एक एरिये से निकल रही थी तभी उसके सामने एक हादसा हुआ जब वो स्कूटी से उतर कर उस घायल व्यक्ति के पास पहुँची तो भीड लगी हुईं थी और लोगबाग उसकी मदद करने की बजाय वीडिओ बना रहे थे तो कुछ मूकदर्शक बन देख रहे थे,सुमन नर्स थी तो उसने मृत प्राय व्यक्ति को प्राथमिक इलाज यानिकि CPR दिया,उससे बात नही बनी तो सुमन ने उसको अपने मुँह से ऑक्सीजन दी तो धीरे-धीरे उसकी जान बच गई और अगले ही दिन सुमन एक सेलिब्रिटी के रूप मे मीडिया के फ्रंट पेज पर थी वही सुमन नौकरी के साथ साथ मरीजों की सेवा भी कर ही रही थी,आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों की हलात देखते देखते हुए सुमन की जिंदगी बदल गई और उसने ऐसे तीन लोगो की जान बचाई जो मौत के मुँह मे जा चुके थे.
नौकरी के बाद सुमन ने सोचा क्यों ना इन मरीजों और या जो भी अन्य पीड़ित लोग है,उनकी सार संभाल करने का बीडा उठाया।बस इसके बाद सुमन ने जॉब छोड़ दी और लग गई मानव सेवा मे,अलग अलग शहरों मे मानव हित मे कार्य किये और हाल मे सुमन राजस्थान के हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय टाउन के रावतसर रोड पर संतलाल खंडेलवाल,अविनाश छिम्पा की मदद से एक "मानव सेवा अनाथ" आश्रम चला रही है और वर्तमान मे करीब यहाँ 41 लोग है.जिनको उनके परिवारों से मिलाने के प्रयास जारी है.और आश्रम मे कार्यरत स्टॉफ के बच्चों को भी अच्छे स्कूलों मे पढ़ा लिखा रही है.इतना ही नही सुमन मानव सेवा तो कर ही रही है साथ ही घायल पशु-पक्षीओ का इलाज कर उनको भी संभाल रही है.सुमन के इस कार्य की आश्रम मे रहने वाले आश्रित लोग और क्षेत्र के लोग जमकर तारीफ करते है.उनका कहना है की सुमन उन्हे अपने बच्चों की तरह संभालती है,खिलाती पिलाती है.और सुमन उन्हे लवारिस की बजाय प्रभुजन कहती है ताकि वे बुरा फील नही करें, आश्रम मे ऱह रहे विशाल और अन्य लोग अपनी कहानी बताते बताते रो पड़ते है उनका कहना है की अगर सुमन नही होती तो वे आज जिंदा नही होते और तो वही वन विभाग मे कार्यरत अरविंद कहते है की जिस समय मे लोगो को अपने लिए समय नही सुमन ने अपनी जिंदगी इन लवारिस लोगो ने नाम कर रखी है।
अब तक 2 हजार
बता दे की सुमन राष्ट्रीय स्तर की रेसलर खिलाडी भी रही है और अब तक दो हजार लोगो को उनके परिवार से मिला चुकी है,इतना ही नही इन दो हजार लोगो को पहले आश्रम मे लाकर उनकी देखभाल की परिवार की तरह पाला पोसा और फिर उनको उनके परिवार तक पहुंचाया,सुमन कहती है ये सब आत्मिक संतुष्टि और लोगो की दुआये कमाने के लिए करती है.इतना ही नही करोना काल मे भी सुमन घर नही बैठी और जान दाव पर लगाकर मरीजों की सेवा करती रही.और सुमन बताती है की कुछ ऐसे मरीज थे जिनका इलाज तो दूर की बात उनके पास भी कोई खडा तक नही होना चाहता था, उसने उनका इलाज किया, सेवा की और उन्हे सामान्य जिंदगी दी.
दुनिया से लडी सुमन
इन 7-8 सालों मे सुमन को आर्थिक,समाजिक रूप से काफ़ी दिक़्क़ते आई, सुमन बताती है की जब वो स्कूल मे पढ़ने जाती थी तो गाँव वाले उसको व उसके सुसराल वालों को ताने मारते थे की इसको पढ़ाकर क्या मैडम बनाना है.लेकिन पति सुभाष मेडल और बहिन रवीना मेडल और सुसराल वालों की मदद से सब चीजों का डटकर मुकाबला किया,सुमन बताती है की वो तो समाजिक कार्यों के चलते घर से दूर हो गई लेकिन उसकी बेटी को उसकी बहिन ही पाल-पौस रही है.अपने सामाजिक कार्यों को लेकर सुमन कई बार प्रशासन की तरफ सम्मानित हो चुकी है,लेकिन सुमन को मलाल और दरकार है तो बस सरकारी मदद की और एक भवन की ताकि वो और भी अच्छा कर सके।ये सब बताती बताती सुमन खुद भी भावुक हो जाती है
आमजन के सहयोग से चल रहे आश्रम के लिए सुमन सरकार से मदद की गुहार लगा रही है,ताकि वो और अच्छा कर सके और उसे हर किसी मे आगे हाथ नही फैलाना पड़े.क्योंकि कई बार ऐसी स्थिति हो जाती है को आश्रम मे आटा तक नही होता है.