जानिए लाधु सिंह भाटी की ये कहानी, जिन्होंने लगाए अब तक 15 हजार से भी ज्यादा पेड़
भाटी के पर्यावरण प्रेम को लेकर जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी सुरेश विश्नोई ने बताया कि लाधु सिंह भाटी के पर्यावरण प्रेम के चलते उन्होंने जिले भर में हजारों पौधे लगाकर उन्हें वृक्ष बनाने तक उनकी सार संभाल की है.
Hanumangarh: अगर प्रकृति और पर्यावरण के प्रति अपार प्रेम हो और पक्षियों के प्रति चिंता हो तो छोटी सी पहल को भी बड़ा बनाया जा सकता है. ऐसा ही एक उदाहरण हनुमानगढ़ जंक्शन के लाधु सिंह भाटी ने पेश किया है. भाटी ने 2015 में मानव उत्थान सेवा समिति का गठन किया और पहल शुरू कर दी. अब तक लाधु सिंह भाटी की समिति द्वारा पौधारोपण कर लगाए गए 15000 से ज्यादा पौधे वृक्ष का रूप ले चुके हैं तो वहीं शहरी क्षेत्रों में अस्तित्व के लिए जूझ रहे पक्षियों के पुनर्वास में भी अहम योगदान निभा रहे है.
जंक्शन के लाधु सिंह भाटी ने कुछ युवाओं को साथ लेकर मानव उत्थान समिति का 8 मार्च 2015 को गठन किया. शुरुआत में तलवाड़ा स्थित बंजर पड़ी शमशान भूमि में जन सहयोग से 700 ट्राली मिट्टी और पाइप लाइन डलवा उसके विकास से शुरुआत कर पूरे जिले में अब तक कई स्थानों पर लगभग 15 हजार से अधिक वृक्ष विकसित कर चुके हैं. प्रकृति और पर्यावरण के प्रति इसी लगाव के चलते लाधु सिंह भाटी को अब लोग पर्यावरण प्रेमी और प्रकृति के प्रहरी के नाम से भी जानने लगे हैं.
भाटी ने शहर को हरा-भरा करने के उद्देश्य से जुलाई 2017 में सरकारी कार्यालयों के आगे पेड़ लगाने की शुरूआत की थी. उनकी देखभाल व सार-सम्भाल भी अपने साथियों के साथ खुद ही करते रहे और ट्री गार्ड लगाकर पौधों को वृक्ष बनने तक सुरक्षित रखने का जिम्मा भी उठा रखा है ताकि पौधारोपण मात्र औपचारिकता बन कर ना रह जाए. भाटी द्वारा लगाए गए अधिकतर पौधे अब पेड़ों का रूप लेकर शहर को हरा-भरा कर रहे हैं. 2018 में पर्यावरण प्रेम के लिए राज्य सरकार द्वारा मानव उत्थान सेवा समिति को अमृता देवी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.
लाधू सिंह भाटी ने पक्षियों के अस्तित्व पर संकट को भी देखते हुए ''बर्ड्स होम'' के रूप में एक अभिनव पहल भी संस्था के माध्यम से शुरू की है. पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के चलते पक्षियों के लिए शहरों में दाना पानी तक का संकट खड़ा हो गया था, तो ऐसे में उनके आश्रय के लिए घोसले की सोचना भी बेमानी लगता है. ऐसे हालातों में पक्षियों के खत्म होते अस्तित्व को संरक्षित करने का बीड़ा भाटी ने उठाया. भाटी द्वारा घरों और सरकारी कार्यालयों में लगाए गए बर्ड्स होम की पहल के चलते शहरों से गायब होती चिड़िया गौरैया अब वापस आने लगी हैं. भाटी गौरेया चिड़िया को संरक्षण देने के लिए लकड़ी के घोंसले बनाकर निशुल्क वितरित करते हैं. अब तक संस्था के माध्यम से भाटी 1 हजार बर्ड होम वितरित कर चुके हैं.
वहीं भाटी के पर्यावरण प्रेम को लेकर जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी सुरेश विश्नोई ने बताया कि लाधु सिंह भाटी के पर्यावरण प्रेम के चलते उन्होंने जिले भर में हजारों पौधे लगाकर उन्हें वृक्ष बनाने तक उनकी सार संभाल की है. विश्नोई के अनुसार भाटी का पर्यावरण प्रेम अनूठा है. पीआरओ विश्नोई ने बताया कि इसी पर्यावरण प्रेम और पौधो को वृक्ष तक तब्दील करने की. उनकी महारत के चलते उन्हें सरकारी कार्यक्रमों में भी शामिल किया जाता है ताकि पौधरोपण महज औपचारिकता बनकर ना रह जाए.
वहीं पीआरओ विश्नोई ने बताया कि भाटी के पर्यावरण प्रेम के तहत ही वृक्षों के साथ साथ पक्षियों के संरक्षण के उद्देश्य से मानव उत्थान सेवा समिति के माध्यम से भाटी ने शहर में पक्षियों जैसे चिड़िया गौरैया आदि के अस्तित्व को बचाने के लिए बर्ड्स होम की अनूठी शुरुआत की हुई है. जिसके तहत भाटी संस्था के माध्यम से अभी तक शहर में 1 हजार से अधिक लकड़ी के घोंसले निशुल्क लगवा चुके हैं और इसका असर ये नजर आया कि शहरों से लगभग गायब हो चुके पक्षी वापस आम घरों में पुनः नजर आने लगे हैं.
आज पर्यावरण संकट पूरी दुनिया में एक बड़े संकट के रूप में सामने आ रहा है और ऐसे में पौधारोपण और पक्षियों को बचाना ही इसका एकमात्र उपाय नजर आ रहा है और इसी सोच के साथ लादू सिंह भाटी और उनकी टीम जुटी हुई है और अगर प्रत्येक व्यक्ति पेड़ लगाने और पक्षियों को बचाने की ऐसी मुहिम को अपनाए तो दुनिया आने वाले समय में गंभीर पर्यावरण संकट से बच सकती है ऐसे में भाटी का यह प्रयास ना केवल अनूठा है बल्कि आमजन के लिए प्रेरणादायक भी है.
मानव सेवा के इस काम में भाटी के अलावा समिति सदस्य संजय रावत, सुधीर भार्गव, गोविन्द सिंह रामगढिय़ा, राजेन्द्र सिंह सेंगर, रमेश शाक्य, सुरेश महला, सुधीर पूनिया भी प्रकृति को संरक्षित करने में सहयोग कर रहे हैं.
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