Jaipur: पिंकसिटी में डीओआईटी की ओर से 'आईस्टार्ट राजस्थान' के तहत ड्रोन एक्सपो-2022 का आयोजन हुआ. जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से ड्रोन के 50 से अधिक निर्माताओं और स्टार्टअप ने हिस्सा लिया. इस दौरान ड्रोन को उड़ान भराकर उनकी उपयोगिताओं को दिखाया गया. अलग-अलग कंपनियों के बनाए बेहतर ड्रोन की प्रदर्शन लगाते हुए उनके फीचर्स के बारे में डिटेल से जानकारी दी. 


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डीओआईटी कमीश्नर संदेश नायक ने बताया कि राज्य में सिंचाई और कीटनाशक के छिड़काव के लिए आज ड्रोन सबसे अहम साबित हो रहा है. इसके अलावा इनका इस्तेमाल सिक्योरिटी, ट्रेफिक मैनेजमेंट, आपदा प्रबंधन, फोरेस्ट, माइनिंग सेक्टर में भी बढ़ रहा है. आज माइनिंग सेक्टर या दूर-दराज के एरिया में मॉनिटरिंग के लिए ड्रोन काफी उपयोग आ रहे है, इसके साथ ही फोरेस्ट एरिया में जानवरों की ट्रेकिंग, शिकारियों पर मॉनिटरिंग समेत अन्य चीजों में काफी उपयोगी साबित हो रहा है. नायक ने बताया कि मुख्यमंत्री की बजट घोषणा 2022-23 के अनुसार राज्य सरकार विभिन्न उपयोगों के लिए 1000 से अधिक ड्रोन खरीदने की योजना बना रही है. 


सिंचाई और कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के साथ कई अन्य विभागों जैसे पुलिस, यातायात, आपदा प्रबंधन, पशु और वन, जल संसाधन प्रबंधन में ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ाएगी. डीओआईटी ने स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार करने के लिए नीति आयोग, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और फिक्की एफएलओ, अमेजॉन (एडब्ल्यूएस) के साथ एमओयू किया. 


कार्यक्रम में पुलिस, आपदा प्रबंधन, जल संसाधन और वाटर शेडिंग जैसे विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने प्रदर्शित ड्रोन को संबंधित विभागों के दृष्टिकोण से देखा. कार्यक्रम में वक्ताओं ने 'भारत में ड्रोन कानून' और 'प्रौद्योगिकी और उपयोग पर आधारित ड्रोन के प्रकार पर अपना ज्ञान साझा किया. नायक ने बताया कि राजस्थान सरकार सिंचाई और कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहती है चूंकि टिड्डियों का हमला हर साल मई से जुलाई के बीच किसानों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है. ड्रोन तकनीक निश्चित रूप से इसमें मदद करेगा.


झालाना स्थित टैक्नो हब में आयोजित ड्रोन एक्सपो में ड्रोन के जरिए बताया गया कि ड्रोन का प्रयोग स्वास्थ्य, प्राकृतिक आपदा, कृषि, खनन क्षेत्र में किया जा सकता हैं. देश में अभी छोटे-छोटे ड्रोन से लेकर 5 फीट से ज्यादा चौड़ाई वाले मिनी प्लेन की शेप के ड्रोन बनने लगे है जो दिखने में बिल्कुल डिफेंस सेक्टर में उपयोग होने वाले ड्रोन की तरह है. एक्स्पो में वर्टिप्लेन एक्स-3 नाम से एक ड्रोन प्रदर्शित किया गया जो मेडिकल इमरजेंसी फील्ड में उपयोग आता है. इस ड्रोन का शेष एक एयरक्राफ जैसा है जो 120KM की टॉप स्पीड के साथ 100KM तक की दूरी तय कर सकता है. 25 लाख रुपये की कीमत वाले इस ड्रोन को अधिकतम 4500 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ाया जा सकता है.


खास बात ये है कि ये ड्रोन 45KM स्पीड की तेज हवाओं के बीच भी उड़ाया जा सकता है. ड्रोन के माध्यम से कम समय में दवाईयां और जांच के लिए सैंपल भेजना हो या फिर कृषि क्षेत्र में ओलावृष्टि, सूखे या बीमारी लगने से फसलों को नुकसान हो किस तरह से ड्रोन से कम समय में इसका आकलन किया जा सकता हैं. ड्रोन पर लगे कैमरों के जरिये से प्रभावित इलाकों में सर्वे कर स्थिति का जायजा लिया जा सकता हैं.


खनन क्षेत्र में प्रदेश के नदी, नालों में अवैध खनन रोकने में ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता हैं. ड्रोन से यह पता लग सकेगा कि किस क्षेत्र में माफिया खनन कर रहे हैं. ड्रोन काफी ऊंचाई से खनन की तस्वीरें विभाग को उपलब्ध करा देगा, जिससे कार्रवाई में आसानी होगी. स्वास्थ्य क्षेत्र में आपातकालीन स्थिति में किसी मरीज का ब्लड सैंपल या जरूरत दवाईयां भी ड्रोन के जरिए पहुंचाई जा सकती हैं.


आपदा प्रबंधन क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा के समय आपदा घटने पर तत्काल प्रभावित क्षेत्र का सर्वे ड्रोन से किया जा सकता हैं क्योंकि आपदा में सड़क मार्ग, कनेक्टिविटी की सुविधा ठप होने से कई बार बचाव दल को मौके पर पहुंचने पर समय लगता है, ऐसे में प्रभावित क्षेत्रों में हालात का पता ड्रोन से कुछ ही समय में लगेगा. इसी तरह सुरक्षा के लिए स्टेट और नेशनल बार्डर पर ड्रोन से नजर रखी जा सकती हैं. वन क्षेत्रों में अवैध कटान, कब्जों और सड़क निर्माण को भी ड्रोन के माध्यम से देखा जा सकता हैं.


ड्रोन सुशासन और सरकारी कामों की गति बढ़ाने में भी मददगार साबित हो रहे हैं इनके बल पर एक बड़ा सपना यह देखा जा रहा है कि जल्दी ही ड्रोन के उत्पादन और इस्तेमाल की धुरी बन सकता है. इसका फायदा रोजगार क्षेत्र को भी होगा ठीक वैसे ही जैसे अस्सी-नब्बे के दशक में जब देश में कंप्यूटर आए तो ये मशीनें न सिर्फ हमारी व्यवस्था और जीवन का जरूरी अंग बन गई बल्कि रोजगार का पूरा परिदृश्य ही बदल गया.


Reporter: Deepak Goyal


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