Jaipur: रुद्राभिषेक शिव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावशाली उपाय माना गया है. रुद्राभिषेक तो कभी भी किया जाए यह बड़ा ही शुभ फलदायी माना गया है. लेकिन सावन में इसका महत्व कई गुणा होता है. शिवपुराण के रुद्रसंहिता में बताया गया है कि सावन के महीने में रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी है. रुद्राभिषेक में भगवान शिव का पवित्र स्नान कराकर पूजा-अर्चना की जाती है. सनातन धर्म में सबसे प्रभावशाली पूजा मानी जाती है जिसका फल भक्तों को तत्काल प्राप्त होता है. इससे भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों के सभी कष्टों का अंत करते हैं और सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं.


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 ये रुद्राभिषेक आप शिवालय और घर पर भी यह पवित्र अभिषेक कर सकते हैं. यजुर्वेद में घर पर रुद्राभिषेक करने की विधि के बारे में बताया गया है, जो अत्यंत लाभप्रद है.ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है. आइए जानते हैं घर पर या शिवालय में किस तरह करें सावन में भगवान शिव का रुद्राभिषेक…


कैसे बनाए पार्थिव शिवलिंग
घर में मिट्टी का शिवलिंग बनाएं आप इच्छानुसार 108 या 1008 शिवलिंग बना सकते है. अगर पारद शिवलिंग है तो यह बहुत अच्छा है. पहले भगवान गणेश की पूजाकर उनसे सफलता का आशीर्वाद मांगें. फिर माता पार्वती, भगवान गणेश, नौ ग्रह, माता लक्ष्मी, सूर्यदेव, अग्निदेव, ब्रह्मदेव, पृथ्वी माता और गंगा माता को पूजा में शामिल करें. इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और नवग्रहों के लिए आसन या सीटें तैयार की जाती हैं. देवी-देवताओं पर रोली, अक्षत और फूल चढ़ाएं और भोग लगाएं.


 सावन में रुद्राभिषेक के 18 चमत्कारिक लाभ


1. जल से अभिषेक करने पर शीघ्र ही बृष्टि होती है एवं ज्वर भी शांत होता है 
2. कुशोदक से अभिषेक करने पर व्याधियों का शमन होता है
3. दधी से अभिषेक करने पर पशु आदि की प्राप्ति होती है
4. गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी की सिद्धि प्राप्त होती है
5. मधु से अभिषेक करने पर धन की प्राप्ति होती है
6. तीर्थों के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है
7.दूध से अभिषेक करने पर शीघ्र ही पुत्र की प्राप्ति होती है और प्रमेह रोग भी नष्ट होता है 
8.घी की धारा से सहस्र नाम से अभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है 
9.शर्करा मिश्रित दूध से अभिषेक करने पर जड़ बुद्धि भी श्रेष्ठ बुद्धि में परिवर्तित होती है
10. सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रुओं का शमन होता है
11. शिवजी का अभिषेक गौ श्रृंगी से करना चाहिए
12. शिवजी के अभिषेक के लिए यजुर्वदोक्त रुद्री प्रशस्त मानी गई है
13. पवित्र मनुष्य सदा ही उत्तरा भीमुख होकर शिव अर्चन करें
14. मृतिका, भस्म ,गोबर ,आटा, तांबा और कांस का शिवलिंग बनाकर जो मनुष्य एक बार भी पूजन करता है वह आयुक्त कल्प तक स्वर्ग में वास करता है
15. 9,8, और 7 अंगुल का शिवलिंग उत्तम होता है 3,6,5 अथवा चार अंगुल का शिवलिंग मध्यम होता है 3, 2 और एक अंगुल का शिवलिंग कनिष्ठ होता है. इस प्रकार यथा क्रम से चर प्रतिष्ठित     शिवलिंग नौ प्रकार का कहा गया है.
16. शुद्र जिसका उपनयन संस्कार नहीं हुआ है स्त्री और पतित यह लोग केशव या शिव का स्पर्श करते हैं तो नर्क प्राप्त करते हैं (स्कंद पुराण)


17. स्वयं प्रादुर्भाव बाडलिंग में, रतन लिंग में ,रस निर्मित लिंग में और प्रतिष्ठित लिंग में चंड का अधिकार नहीं होता
18. जहां चंड़ाधिकार होता है वहां पर मनुष्यो को उसका भोजन नहीं करना चाहिए जहां चंड़ाधिकार नहीं होता है वहां भक्ति से भोजन करें
19. पृथ्वी, स्वर्ण, गो, रत्न, तांबा, चांदी ,वस्त्रादि को छोड़कर चंडऐश  के लिए निवेदक करें अन्य ,अन्न, आदि जल, तांबूल, गंद, और पुष्पा भगवान शंकर को निवेदित करें
20. बिल्वपत्र 3 दिन और कमल 5 दिन तक बासी नहीं होता है तुलसी कभी बासी नहीं होती है
21. अंगुष्ठ, मध्यमा और अनामिका से पुष्प चढ़ाना चाहिए एवं अंगूठी तर्जनी से निर्मल्य को हटाना चाहिए


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दूर होता है मृत्यु का भय
ओम त्र्यंबकम याजमाहे सुगंधिम पुष्ठी वर्धनम I
उर्वारुकैमिवा बंधनाथ श्रीमती सुब्रमण्यम II


भोलेनाथ का मिलता है आशीर्वाद
शिवपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति सावन में हर रोज शिव तांडव स्तोत्र का जप करता है, उसे भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है. किसी प्रकार की तंत्र, मंत्र और शत्रु परेशान कर रहा है तो शिव तांडव स्तोत्र आपके लिए काफी लाभदायक होगा. इसका पाठ करने से जीवन में विशेष उपलब्धियां प्राप्त होती हैं और हर क्षेत्र में कामयाबी मिलती है.