Rajasthan News: हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने के लिए 31 जुलाई लास्ट डेट तो शुरू हुआ HSRP में फर्जीवाड़ा, जानिए असली और नकली में अंतर
Rajasthan News: हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने के लिए 31 जुलाई लास्ट डेट है. इससे पहले HSRP में फर्जीवाड़ा शुरू हो गया है. जानिए असली और नकली नंबर प्लेट में क्या अंतर है.
Jaipur News: परिवहन विभाग की तरफ से पुराने वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया हुआ है. अंतिम तिथि नजदीक आते देख लोग जल्दबाजी में हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट लगवाना चाहते हैं. ऐसे में शहर में कई वाहन सर्विस करने वाले दुकान संचालक गलत प्लेट लगा रहे हैं. हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट के नाम पर इम्बोस प्लेट लगाई जा रही हैं.
हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट यानी एचएसआरपी लगाने की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है. वैसे ही मार्केट में इम्बोस वाली नंबर प्लेट को एचएसआरपी जैसी बता कर वाहनों पर लगाने का कारोबार तेजी से चल रहा है. यह नकली प्लेट भी असली की तरह दिखती है, लेकिन असली एचएसआरपी की कुछ खासियत है, जिनके माध्यम से इसे पहचाना जा सकता है. नकली एचएसआरपी का कारोबार शहर के जालुपुरा, एमआईरोड, जगतपुरा, झालाना, रामगढ़मोड़, मुरलीपुरा और झोटवाड़ा क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है.
लोगों से इन क्षेत्र में दुपहिया वाहनों पर लगने वाली नंबर प्लेट के 700 रुपए वसूले जा रहे हैं, जबकि असली प्लेट की राशि 425 रुपए है. वहीं चौपहिया वाहनों मालिकों से 1 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं, जबकि असली प्लेट लगाने की राशि करीब 700 रुपए है. हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट पर बार कोड अंकित नहीं है तो कह सकते हैं कि यह नकली नंबर प्लेट है. शॉर्टकट के चक्कर में अगर किसी के बहकावे में आकर नंबर प्लेट बनाने वाली दुकान से एचएसआरपी लगवा ली, तो लेने के देने पड़ सकते हैं.
असली और नकली प्लेट में अंतर क्या ?
- हाईसिक्योरिटी नंबर प्लेट एल्यूमीनियम से बनी होती
- इस पर वाहन के पंजीयन नंबर इम्बॉस में लिखे जाते
- प्लेट के बांयी तरफ 20 गुणा 20 मिमी का होलोग्राम लगा होता
- प्लेट के बांयी ओर नीचे 10 अंकों का बार कोड अंकित होता
- नंबर प्लेट पर यह कोड लेजर से बनाया जाता, हर वाहन का बार कोड अलग
- वाहन का चेसिस व इंजन नंबर भी होता है दर्ज
- नकली नंबर प्लेट पर बार कोड अंकित नहीं होता
- खास बात यह कि इस कोड को आसानी से हटाया नहीं जा सकता
- बार कोड, चैसिस-इंजन नंबर का स्टीकर कार के आगे के शीशे पर भी लगाते
- नंबर प्लेट पर आईएनडी भी लिखा हुआ होता
- प्लेट लगने के बाद यह डाटा देश के सेंट्रलाइज्ड रिकॉर्ड में आ जाता
- क्रोमियम प्लेटेड नंबर और इम्बोस होने के कारण प्लेट की निगरानी आसान
- प्लेट को रात के वक्त कैमरे के माध्यम से भी देखना आसान
खास बात यह भी है कि अगर यह प्लेट एक बार टूट जाए तो फिर इसे जोड़ा नहीं जा सकता है. कोई भी इस प्लेट को कॉपी कर के नकली प्लेट नहीं बना सकता है. प्लेट के चोरी होने या दूसरे वाहन में दुरुपयोग होने की आशंका बहुत कम हो जाती है, जोकि वाहन की सुरक्षा के लिए जरूरी है. इसको पेचकस या प्लास से खोला नहीं जा सकता. अगर कोशिश की जाती है, तो प्लेट टूट जाती है. इस प्लेट के माध्यम से दुर्घटनाग्रस्त वाहन के मालिक समेत तमाम जरूरी जानकारी मिल जाती है. इससे वाहन सवार के परिजनों तक भी जानकारी पहुंचाई जा सकती है. इसलिए परिवहन विभाग ने भी आमजन से जल्द से जल्द हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगवाने के लिए अपना ऑनलाइन आवेदन करने की अपील की है.