Rajasthan: 28 साल से अधूरी एक रेल लाइन,क्या समन्वय की कमी से अटके प्रोजेक्ट
Rajasthan: राजस्थान में 28 साल से अधूरी है एक रेल लाइन. वर्ष 1995-96 के बजट में घोषणा हुई थी इसकी.दौसा से गंगापुरसिटी की लाइन अधूरी क्यों अब इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं.2 हिस्सों में सीआरएस ने दी ट्रेन चलाने की मंजूरी.
Rajasthan: उत्तर-पश्चिम रेलवे में एक रेलवे प्रोजेक्ट ऐसा है,जो पिछले 28 साल से पूरा नहीं हो पा रहा है. दौसा से गंगापुर सिटी के बीच डाली जाने वाली नई रेल लाइन का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है.उत्तर-पश्चिम रेलवे में यह अकेला प्रोजेक्ट नहीं है, जो ढाई दशक बाद भी अधूरा है, बल्कि कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जो सालों बाद भी पूरे नहीं हो पा रहे.
28 साल से रेलवे का एक प्रोजेक्ट अटका हुआ है. कभी जमीन अधिग्रहण का मसला, कभी अंडरपास-ओवरब्रिज निर्माण की देरी और कभी अन्य तकनीकी बाधाएं. उत्तर-पश्चिम रेलवे में पिछले 28 साल से दौसा से गंगापुरसिटी के बीच 92 किमी की रेल लाइन डालने का कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है. हालांकि रेलवे प्रशासन द्वारा इस कार्य को दिसंबर माह तक पूरा करने का दावा किया जा रहा है.अब इस प्रोजेक्ट की सीएओ (कंस्ट्रक्शन) वेदप्रकाश सीधे निगरानी कर रहे हैं.
दौसा-गंगापुरसिटी रेल लाइन प्रोजेक्ट वर्ष 1995-96 में स्वीकृत किया गया था. 92 किमी के इस प्रोजेक्ट की शुरुआत में लागत 780 करोड़ रुपए थी. जो अब करीब 350 करोड़ रुपए बढ़ गई है. इसमें देरी की पहली वजह समय पर जमीन उपलब्ध नहीं हो पाने की रही और दूसरी वजह कोर्ट केसेज की थी. सीएओ (कंस्ट्रक्शन) वेदप्रकाश ने इसे गंभीरता से लेते हुए अब प्रोजेक्ट को गति दी है.
दौसा-गंगापुर सिटी का काम कितना पूरा, कितना अधूरा ?
- इस प्रोजेक्ट में दौसा डीडवाना (35 किमी) का कार्य हुआ पूरा
- लालसोट-गंगापुर सिटी (50 किमी) रेल लाइन का भी कार्य पूरा
- दोनों सेक्शन में सीआरएस ने ट्रेन चलाने की स्वीकृति दी
- डीडवाना-लालसोट के बीच 8 किमी में टनल बनाई जा रही
- माना जा रहा, इसे इसी साल दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा
- इसके बाद पूरे रूट पर ट्रेन चलाया जाना होगा संभव
- इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से जयपुर-रेवाड़ी लाइन कोटा-मथुरा से जुड़ जाएगी
- यानी कोटा से ट्रेन सवाईमाधोपुर की बजाय जयपुर होते हुए दौसा से मथुरा जा सकेगी
इस रूट के शुरू होने के बाद स्टाफ की कमी की समस्या भी रेलवे के सामने आएगी. सूत्रों का कहना है कि रेलवे के पास इस रूट के स्टेशनों पर तैनात करने के लिए स्टाफ ही नहीं है. ट्रेन ऑपरेशन एक्सपर्ट डीपी मिश्रा और NWREU के मंडल अध्यक्ष केएस अहलावत ने बताया कि रूट पर बनियाना, सलीमपुरा, डीडवाना, लालसोट, मंडावरी, पिपलई, बामनवास, खूंटला स्टेशन होंगे.
ऐसे में इन पर कम से कम 35 स्टेशन मास्टर, 35 प्वाइंट्समैन, 150 गैंगमैन, ट्रैकमैन, पीडब्ल्यूआई, 10-15 इलेक्ट्रिक स्टाफ, 10-15 टीआरडी स्टाफ, 50 सिग्नल मेंटेनर, जेई, सीएसआई की आवश्यकता होगी. ऐसे में इस नए रूट के लिए इतनी बड़ी संख्या में स्टाफ की तैनाती एक बड़ी समस्या रहेगी.
प्रदेश में रेलवे के ये प्रोजेक्ट भी अधूरे
- राजस्थान में 3 नई लाइनों की घोषणा कर भूला रेलवे
- वर्ष 2016-17 के बजट में 3 नई रेल लाईन की घोषणा हुई थी
- जैसलमेर-भाभर (339 किमी) अनुमानित लागत 5000 करोड
- परबतसर-किशनगढ़ (45 किमी) अनुमानित लागत 900 करोड
- भिवानी-लोहारू (64 किमी) अनुमानित लागत 1280 करोड़
- पीपीपी मोड के तहत स्वीकृत की गई थी तीनों रेल लाइन
- अभी राजस्थान सरकार से किए जाने वाले एमओयू की शर्तें तय नहीं
- राज्य सरकार ने भी इन परियोजनाओं में कोई रुचि नहीं ली
- वर्ष 2016-17 के बजट में इनकी सिर्फ घोषणा हुई्, फंड आवंटन नहीं हुआ
कुलमिलाकर उत्तर-पश्चिम रेलवे और राज्य सरकार के बीच समन्वय के अभाव में रेलवे के राजस्थान के विकास और आम यात्रियों के लिए जरूरी ये रेल प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो पा रहे हैं. पूर्व में जहां सभी प्रोजेक्ट्स को रेलवे अपने खुद के खर्चे पर पूरे करता था, अब राज्य सरकार के साथ खर्चा बांटने की नई नीति से प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हुए हैं.
रिपोर्टर- काशीराम चौधरी