Jaipur: साप्ताहिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में सुर-ताल-भाव कार्यक्रम में कथक गुरू पण्डित राजेन्द्र राव के निर्देशन में राजस्थानी लोकगीत एवं लोकनृत्यों ने अपनी प्रस्तुति से राजस्थान की लोक संस्कृति को प्रस्तुत कर दर्शकों का मनमोह लिया. 


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कार्यक्रम के आयोजक राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत कथक नृत्यांगना रूपाली गौड़ ने गुरू वंदना से की, जिसमें ठाठ, आमद, परण, तोडे़-टुकडे़, तत्तकार-तिहाई से जयपुर घराने का शुद्ध कथक नृत्य पेश किया. साथ ही सोलह सौ एक चक्कर नॉन-स्टॉप करके कीर्तिमान रचा. इसके बाद मुस्कान गंगापुरी ने खनकदार आवाज से रूणक-झुणक पायल बाजै सा लोकगीत गाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया. 


इन लहरिया रा नौ सौ रूपिया रोकड़ा सा एवं आओ जी आओ म्हारा हिवडै रा पावणा लोकगीत पर रूपाली गौड़ ने अपनी सुंदर एवं भावपूर्ण नृत्य से मोहित किया राजस्थान का बहुत लोकप्रिय भजन डिग्गीपुरी का राजा थारे बाजे नौबत बाजा रे पर सुप्रसिद्ध लोकनृतक प्रकाश शर्मा एवं पं. राजेन्द्र राव ने भावपूर्ण प्रस्तुति दी. 


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उन्होंने बताया कि यह सौभाग्य है कि पण्डित राव ने 25 साल बाद अपनी नृत्य प्रस्तुति पेश की. आज भी प्रकाश और राव के नृत्य में वही ताजगी बरकार है. संगीत निर्देशन रमेश चौहान एवं तबले पर युवा कलाकार विजय बाणेत और सिन्थेसाइजर पर गुड्डू गंगापुरी की असर संगत ने राजस्थान की संस्कृति को उंचाईयां दी. प्रकाश संरचना मनोज स्वामी, कैमरा जितेन्द्र शर्मा, संगीत विष्णु कुमार जांगीड, मंच सज्जा धृति शर्मा, अंकित शर्मा नोनू, जीवितेष शर्मा आदि का रहा.
Report- Anoop Sharma