Jaipur: दिवाली के मौके पर शहरवासियों ने लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा के बाद जमकर पटाखे फोड़े, आतिशबाजी की. पटाखों, आतिशबाजी के धुएं से एक बार फिर से जयपुर का वायु प्रदूषण का स्तर पूरी तरह से​ बिगड़ गया. हवा में ठंडक के साथ ही धुंध छाई नजर आई.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जेएलएन मार्ग, वैशालीनगर, मालवीय नगर, मानसरोवर, सांगानेर, जगतपुरा, सीकर रोड, दिल्ली रोड, परकोटा, शास्त्रीनगर में सबसे ज्यादा स्तर खराब रहा.  विशेषज्ञों की मानें तो पटाखें के साथ ही इसके पीछे का कारण मौसम में बदलाव भी है. धुएं में पीएम 2.5, पीएम 10 का स्तर वायु प्रदूषण को बढ़ाने में अहम है.


यह भी पढे़ं- आज केवल 2 घंटे 14 मिनट तक रहेगा भाई दूज का शुभ मुहूर्त, जानें बहनें कब करें टीका


दीपोत्सव के पहले दिन यानि 22 अक्टूबर को धनतेरस पर वायु गुणवत्ता सूचकांक यानि एक्यूआई का स्तर जहां औसतन 165 के आसपास था. वहीं अब यह 35 प्रतिशत तक बढ़ गया है यानि जयपुर का वायु प्रदूषण का औसत स्तर इस साल दिवाली के बाद 300 एक्यूआई तक पहुंच गया. ग्रीन जोन, यलो जोन में रहने वाली राजधानी सात दिनों में फिर से रेड, ओरेंज जोन में पहुंच गई है. जयपुर में परकोटे समेत बाहरी जगहों और प्रदेश के अन्य शहरों में हवा पूरी तरह से पटाखों के साथ ही मौसम की मार से दूषित हो गई है.


ऐसे समझें आंकड़ों को



नहीं की सख्ती
बीते साल वायु प्रदूषण को लेकर प्रदेश में पटाखों को बेचने और जलाने पर प्रतिबंध लगाया था लेकिन इस बार प्रदेश में इस तरह की सख्ती नहीं की गई है. राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से हालांकि आमजन से पटाखे न जलाने की अपील की गई लेकिन यह अपील ही नजर आमजन के लिए बेअसर रही. इधर जिम्मेदार महकमे पुलिस, जिला प्रशासन की ओर से दुकानों पर ग्रीन पटाखे चैकिंग को लेकर सख्ती नहीं की गई. इस कारण से आमजन ने तेज आवाज, ज्यादा रोशनी वाले डमी पटाखे जलाए. 2021 में शहर का औसत स्तर 220 के आसपास रहा था. डमी पटाखों के साथ ही मौसम की मार, वाहनों से निकलने वाला धुंआ भी एक कारण रहा.