Jaipur Organ Donation : अंग दान एक ऐसा दान है, जो किसी को नया जीवन दे सकता है. अंग दान की मदद से एक व्यक्ति कई लोगों को जीने की वजह बन सकता है. यही वजह है कि इसे महादान भी कहा जाता है.


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धौलपुर का युवा मरते- मरते जयपुर के दो लोगों को ज़िंदगी दे गए. इसके लिए पूरी मानवता उनकी और उनका परिवार  ऋणी रहेगा.


धौलपुर का युवा जयपुर के दो लोगों को नई जिंदगी दे गया


राजधानी में एक 23 साल के व्यक्ति के अंगदान से 2 लोगों को नई जिंदगी मिली है. धौलपुर के राजाखेड़ा निवासी अजीत पाल को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था.


बाइक से गिरने से सिर में लगी थी चोट


उसके बाद परिजनों ने अंगदान करने का फैसला किया. अजीत पाल के अंगदान से 2 लोगों को नई जिंदगी मिली है. यह एसएमएस अस्पताल में 28वां अंगदान है और प्रदेश में 55वां अंगदान है.


अजीत पाल को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया 


अजीत पाल धौलपुर के राजाखेड़ा में नाहिला गांव का रहने वाला था. वह रिश्तेदार से मिलकर अपने घर लौट रहा था. जहां उसकी बाइक सामने से अचानक आए जानवर से असंतुलित होकर गिर गई. बाइक से गिरने से उसके सिर में चोट लग गई.


जयपुर अस्पताल में मरीज को प्रत्यारोपित किए गए


जिसके बाद परिजनों ने 24 दिसम्बर 2023 को आगरा के रेनबो अस्पताल में भर्ती करवा दिया. जहां से उन्हें 25 दिसंबर 2023 को सवाई मानसिंह चिकित्सालय जयपुर में रेफर कर दिया गया. सवाई मानसिंह चिकित्सालय जयपुर के चिकित्सकों के अथक प्रयासों के बावजूद भी अजीत पाल को बचा पाना संभव नही हो पाया. उन्हें 1 जनवरी 2024 को ब्रेन डैड घोषित कर दिया गया.


अजीत पाल के परिवार ने अंगदान की सहमति दी


सवाई मानसिंह चिकित्सालय के मीडिया प्रभारी एवं नोडल ऑफिसर ऑर्गन ट्रांसप्लांट डॉ देवेंद्र पुरोहित ने बताया कि चिकित्सकों तथा ट्रांसप्लांट कोर्डिनेटर्स की समझाइश के बाद अजीत पाल की मां चंद्रवती, पत्नी सुमन व अन्य रिश्तेदारों ने अंगदान की सहमति दी.


स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन राजस्थान की ओर से अंगों का आवंटन किया गया. अजीत पाल की एक किडनी सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर और एक किडनी व लिवर संतोकबा दुर्लभजी मेमोरियल अस्पाताल जयपुर में मरीज को प्रत्यारोपित किए गए. संतोकबा अस्पाताल में एक किडनी व लिवर को ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से भेजा गया। यह एस.एम.एस.का २८ वा एवं प्रदेश का 55 वा अंगदान है.