Rajasthan Politics : राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट गुट और अशोक गहलोत गुट के बीच संग्राम खत्म नहीं हो सका है. दिल्ली में हुई मीटिंग में भी कुछ हल नहीं निकला. राजस्थान कांग्रेस प्रभावी के सख्त एक्शन वाली बात भी सही साबित नहीं हुई. अब बातचीत से मुद्दा सुलझाने की कोशिश फिर से होगी जिसका पूरा दारोमदार होगा कलमनाथ पर. कमलनाथ ये मुद्दा पहले भी सुलझा चुके है.


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इधर राजस्थान बीजेपी के अंदर भी सब कुछ ठीक नहीं कहा जा सकता. पार्टी के अंदर ही विधानसभा चुनाव 2023 में पार्टी का सीएम पद के लिए चेहरा कौन होगा. इस पर रस्साकशी है. वो बात अगल ही वसुंधरा राजे के समर्थक ये मानते हैं कि उनके अलावा कोई विकल्प हो नहीं सकता है.


इधर कुछ दिन पहले भगवंत मान और फिर केजरीवाल से मुलाकात के बाद हनुमान बेनीवाल चर्चा में है. जो थर्ड फ्रंट का जिक्र अपने बयानों में कर चुके हैं और लगे हाथ सचिन पायलट को भी अलग पार्टी बना लेने का सुझाव दे चुके हैं.


क्या हैं कोई संभावना ?
अगर हनुमान बेनीवाल की आरएलपी, केजरीवाल की आप और बीटीपी मिल जाएं. सचिन पायलट नयी पार्टी बना लें. और ये बीरबल की खिचड़ी पक जाए तो क्या होगा ? सबसे पहले बात बेनीवाल की सांसद बेनीवाल जाट समुदाय से आते है. और उनका 20-25 विधानसभा सीटों पर असर माना जाता है.


आम आदमी पार्टी पिछले कुछ समय से राजस्थान में सक्रिय दिख रही है. भीलिस्तान का मुद्दा गुजरात इलेक्शन में उठाया जा चुका है, लेकिन इसका असर राजस्थान की आदिवासी बेल्ट पर पड़ना तय माना जा रहा है. फिलहाल आम आदमी पार्टी 10 से 15 सीटों पर ही फोकस कर चुनावों की रणनीति तैयार कर रही है.


यहां बीएसपी और AIMIM का जिक्र करना भी जरूरी है. बीएसपी ने पिछले विधानसभा चुनावों में 6 सीटें जीती, वो बात अलग है कि बात में ये विधायक कांग्रेस में शामिल हो गये. वहीं AIMIM के औवेसी मुस्लिम बहुल इलाकों में जो 40 से ज्यादा बताये जा रहे हैं. प्रत्याशी उतारने की तैयारी में हैं.


सचिन पायलट अगर अलग राह अपनाते हैं तो कांग्रेस को नुकसान होना तय है. कुल मिलाकर ये थर्ड फ्रंट अगर बना तो वोट बेस के आधार पर 75 से 80 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की कड़ी टक्कर मिलेगी और हो सकता है कि दोनों की पार्टियों का खेल बिगड़ जाएं.


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