Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने करौली में हिंदू नववर्ष के दौरान जुलूस पर पथराव करने के बाद हुए दंगे के मामले में ग्रेटर नगर निगम मेयर सौम्या गुर्जर के पति और पूर्व सभापति राजाराम गुर्जर व एक अन्य को अग्रिम जमानत का लाभ दिया है. जस्टिस उमाशंकर व्यास की एकलपीठ ने यह आदेश राजाराम व अन्य की अग्रिम जमानत याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिए.


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राजाराम की ओर से जमानत याचिका में अधिवक्ता विजय यादव व मुकेश डूडी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को राजनीतिक द्वेषता के चलते आरोपी बनाया गया है. जबकि घटना में न तो उसका कोई रोल था और ना ही वह मौके पर मौजूद था. पुलिस के पास घटना को लेकर वीडियोग्राफी मौजूद है, जिसमें कहीं भी याचिकाकर्ता की उपस्थिति नजर नहीं आ रही है. इसके अलावा पुलिस ने स्वयं एफआईआर दर्ज की है और उसमें शांतिपूर्ण तरीके से हिंदू जुलूस निकलने का हवाला दिया गया है.


पुलिस उसे राजनीतिक कारणों से गिरफ्तार करना चाहती है. इसलिए उसे अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत का लाभ दे दिया है. गौरतलब है कि बीते दो अप्रैल को करौली में हिंदू नववर्ष के मौके पर हिंदू संगठनों की ओर से बाइक रैली निकाली गई थी. इस दौरान मस्जिद और आसपास के मकानों की छतों से रैली पर अंधाधुंध पथराव कर दिया और पहले से तैयार करीब सौ से अधिक लोगों ने रैली में शामिल लोगों पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया. इसके बाद वहां दंगा फैल गया. घटना को लेकर पुलिस ने दोनों पक्षों को दर्जनों लोगों को नामजद कर रिपोर्ट दर्ज की थी. जिसमें राजाराम गुर्जर का नाम भी शामिल किया गया था.


Reporter- Mahesh Pareek


 


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