Jaipur: पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने राजस्थान सरकार के कोरोना प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं. राठौड़ ने कहा कि सरकार आंकड़ों की बाजीगरी दिखाने के लिए लगातार टेस्ट की संख्या कम कर रही है. उन्होंने भरतपुर सांसद रंजीता कोली को डॉक्टर की तरफ से मिले जवाब के वीडियो का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार आंकड़े छुपाने की कोशिश कर रही है.


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राठौड़ ने कहा, 'सरकार तो सिर्फ एक ही तरह का टेस्ट पसंद करती है और वह है एमएलए (MLA) का लॉयल्टी टेस्ट. राठौड़ ने कहा कि सरकार तो यही चाहती है कि बस विधानसभा में एमएलए का लॉयल्टी टेस्ट हो जाए और वे लगातार सत्ता में बने रहें.'


इसके साथ ही राठौड़ ने राजस्थान सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि सरकार काम से ज्यादा जुबान चला रही है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार सिर्फ दूसरों को दोष ही देती रहेगी तो काम के भार को कौन संभालेगा? पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऐसा लगता है कि गहलोत साहब सरकार नहीं बल्कि ज़ुबान चला रहे हों.


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राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि अभी लॉयल्टी टेस्ट का वक्त नहीं है. उन्होंने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि जब आप राज्य की सत्ता में हों तो आपकी कुछ जिम्मेदारियां होती है, जिन्हें सरकार को निभाना चाहिए.


वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने 'कांग्रेस के टूल किट' मामले का जिक्र करते हुए सवाल किया कि यह लोग दुश्मन हैं या देश के लोग हैं?  राज्यवर्धन ने कहा कि टूलकिट से राजस्थान की सरकार चलाने वाली पार्टी का दृष्टिकोण सामने आ गया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी ना निभा कर विपक्ष की भूमिका में दिख रही है और अगर सरकार को ऐसा ही करना है तो जहां वह विपक्ष में है वहां इस तरह का काम करे.


जयपुर ग्रामीण सांसद राज्यवर्धन राठौड़ ने सरकार पर गांवों में इलाज के इंतजाम नहीं करने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे गांवों को तो सरकार ने सिर्फ भगवान के भरोसे छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों सरकार की तरफ से वीडियो कांफ्रेंस के दौरान कही गई बात का वीडियो भी वायरल हो रहा है. जिसमें सरकार के जिम्मेदार लोग यह कहते दिख रहे हैं कि अगर पूरी सरकार लग जाए तब भी राजस्थान के सात करोड़ लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह नहीं पहुंचाई जा सकती.


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केंद्र की तरफ से राज्यों को कितना सहयोग दिया गया और कितना नहीं? इस सवाल पर राठौड़ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सितंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच राज्य सरकारों को बार-बार आगाह किया गया. उन्होंने कहा कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सरकारों को आगाह किया और राज्यों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए फंड रिलीज किए, लेकिन सरकारों ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया.


केंद्र और राज्यों को मिलने वाली वैक्सीन की दरें अलग-अलग होने के सवाल पर भी राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने अपनी तरफ से सफाई दी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन बनाने के लिए आगे आने वाली संस्थाओं को पहले सहयोग दिया. जिसके बदले केंद्र को लागत मूल्य पर ही वैक्सीन उपलब्ध कराने की बात कही गई थी.


उन्होंने कहा कि इसे पूरी तरह बाजार संचालित मामले के रूप में देखना चाहिए. राज्यवर्धन राठौड़ ने राज्य सरकार की खामियां उजागर करने के साथ ही उम्मीद जताई कि अब सरकार की आंख जल्द ही खुलेगी.