मुगल हरम में औरतों की अदला-बदली कर मिला था औरंगजेब को उसका पहला प्यार
मुगल हरम (mughal haram) में औरतों(Women)को शौक पूरे करने के लिए रखा जाता था. जिसमें समुदाय कोई मायने नहीं रखता था. जो भी हरम में लायी जाती उसको जबरन इस्लाम कबूल कराया जाता. ऐसा ही हीराबाई के साथ हुआ था. जो एक ईसाई थी और जिसकी एक झलक देखकर औरंगजेब बेहोश हो गया था. हीराबाई(hirabai) को पाने के लिए औरंगजेब ने मुगल हरम से औरतों की अदला बदली तक करा ली थी.
Mughal : मुगल हरम में औरतों को शौक पूरे करने के लिए रखा जाता था. जिसमें समुदाय कोई मायने नहीं रखता था. जो भी हरम में लायी जाती उसको जबरन इस्लाम कबूल कराया जाता. ऐसा ही हीराबाई के साथ हुआ था. जो एक ईसाई थी और जिसकी एक झलक देखकर औरंगजेब बेहोश हो गया था. हीराबाई को पाने के लिए औरंगजेब ने मुगल हरम से औरतों की अदला बदली तक करा ली थी.
सबसे क्रूर मुगल औरंगजेब की प्रेम कहानी शायद आपको पता नहीं होगी. औरंगजेब जब 15 साल का था. तभी अपना दिल हार चुका था. अपनी मौसी से मिलने पहुंचे औरंगजेब ने हीराबाई को पहली बार देखा था और वो उसके दिल में बस गयी थी..
सालों बाद औरंगजेब फिर दकन आया और इस बार फिर हीराबाई से उसकी आंखे चार हुई. इस बार औंरगजेब बेहोश होगा. होश में आने पर उनसे अपने दिल की बात मौसी को बतायी.
मौसी ने पहले पूरी बात सुनी और फिर कहां कि तुम्हारा मौसा खान जमां उर्फ मीर खलील ये कभी नहीं मानेगा. हीराबाई एक ईसाई थी. जिसे इस्लाम कबूल करवाकर हरम में रखा गया है. खान जमां बड़ा योद्धा है और उसके गुस्से की कोई हद नहीं है. उसे पता चला तो फिर बुरे परिणाम होंगे.
मौसी की बात सुनकर औरंगजेब वहां से चला गया और मौसा खलील को मारने की योजना बनायी, लेकिन अपनी मौसी को विधवा अपने हाथों नहीं करना चाहता था. ऐसे में औरंगजेब की मदद उसके दोस्त मुर्शिद कुली खान ने की.
मुर्शिद कुली खान, औरंगजेब का करीबी था जो पूरे खर्च का लेखा जोखा रखता था (आप उसे एक सेक्रेट्री बोल सकते हैं). मुर्शिद ने कहा कि क्यों ना हरम की औरतों की अदला बदली कर दी जाए.
मीर खलील की नजर छतरबाई पर खराब थी. इसी का फायदा उठाते हुए. ये प्रस्ताव मौसा खलील के पास भेजा गया. मौसा तुरंत मान गया और छतरबाई को खलील के हरम में और हीराबाई को औरंगजेब के हरम में भेजा गया.
नियमों के मुताबिक जो भी औरत हरम में आती थी. उसको पहले दिलरस बानों(औरंगजेब की पहली और मुख्य बीवी) के सामने पेश होना होता था. और फिर जैनाबादी खिताब रिवाज के बाद ही उसे हरम में लाया जाता था.
लेकिन औरंगजेब उतावला था और उसने बिना किसी नियम के हीराबाई को हरम में शामिल किया और सीधे उसके कमरे में पहुंच गया. औरंगजेब, हीराबाई के प्यार में इस कदर पागल था, कि कभी शराब को हाथ ना लगाने वाला औरंगजेब, हीराबाई के कहने पर शराब पीने को भी तैयार हो गया था.
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