Jaipur: अयोध्या के राम मंदिर में श्रीराम जल्द ही विराजमान होंगे. राम मंदिर के लिए राम का दरबार सजेगा दर्शक जल्द ही दर्शन कर लाभांवित होंगे. आप को बता दे अयोध्या के राम मंदिर में राम दरबार राजस्थान की राजधानी जयपुर में बनकर तैयार हुआ है. राम, लक्ष्मण, सीता और राम भक्त हनुमान सहित महर्षि काकभुशुण्डि की दिव्य प्रतिमाओं का निर्माण किया गया. इन प्रतिमाओं का निर्माण प्रख्यात मूर्तिकार जितेश कुमावत के द्वारा तैयार किया गया. राम दरबार सहित महर्षि काकभुशुण्डि की प्रतिमाओं को करीब 4 महिने में तैयार किया गया. ये मूर्तियां जल्द ही अयोध्या के लिए रवाना होगी. अयोध्या में राम मंदिर में राम दरबार के दर्शन होंगे.


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राम मंदिर के लिए बना राम दरबार के दर्शन किए
राजस्थान की राजधानी जयपुर में राम का दरबार प्रतिमाएं बनकर तैयार हुई है. छोटी काशी जयपुर में राम मंदिर के लिए राम का दरबार बनना सौभाग्य प्राप्त हुआ है. इन मूर्तियों के तैयार होने पर सांगानेर विधानसभा कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पेंद्र भारद्वाज ने कार्यकर्ताओं के साथ भगवान श्रीराम आर राम दरबार मूर्तियों के दर्शन कर लाभांवित हुए, इसके लिए भारद्वाज ने कहा जयपुर धार्मिक नगरी के नाम से भी जानी जाती है. जयपुर के लिए यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि राम मंदिर के लिए श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और राम भक्त हनुमान की मूर्तियों का बनी है. 


प्रख्यात मूर्तिकार जितेश कुमावत का कहना है कि इन प्रतिमाओं को 4 महिने में बनाकर तैयार किया गया. अब यह मूर्तियां राम मंदिर के लिए जयपुर से 9 मई को रवाना होगी, इससे पहले मूर्तिकार राज्यपाल कलराज मिश्र और सांसद दीया कुमारी से मिलने के बाद राम दरबार की प्रतिमाओं को अयोध्या के लिए रवाना किया जाएगा. 12 मई को मूर्तिकार जितेश कुमावत का यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से भी मिलना तय हुआ है. 


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जयपुर के प्रख्यात मूर्तिकार जितेश कुमावत के द्वारा वियतनाम के श्वेत संगमरमर की श्रीराम दरबार सहित महर्षि काकभुशुण्डि की दिव्य प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है. निर्माणाधीन श्रीरघुनाथ मंदिर के पार्श्व में ही संत महात्माओं, विद्वानों एवं तीर्थ यात्रियों के विश्राम आदि के लिए सुविधासम्पन्न वेणीविलास अतिथि गृह का निर्माण कार्य भी युद्धस्तर पर चल रहा है. मंदिर परिसर में ही श्रीराम कथ शोध केंद्र की स्थापना किए जाने की भी योजना है. इस मंदिर के निर्माण और इससे सम्पृक्त परियोजनाओं के क्रियान्वयन के पश्चात गुप्तकाशी के धार्मिक पर्यटन में एक और नया अध्याय जुड़ जाएगा.