Jaipur News : बदलते सामाजिक और आर्थिक परिवेश में एक और जहां आज की युवा पीढ़ी विलासिता पूर्ण और दिखावे का जीवन जीने में विश्वास रखती है, अपनी शादी विवाह के लिए किसी ऐतिहासिक किला या महंगे रिसोर्ट व होटल को चुनते है, वही दुसरी ओर इस मीरा और महाराणा की धरती राजस्थान में सनातन धर्म परंपराओं में विश्वास रखे वालो की भी कोई कमी नही है, आज भी ऐसे युवक और युवतीयां है जो भोग विलासिता पूर्ण जीवन और पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहकर भारतीय संस्कृति और सभ्यता के संदेश वाहक बने हुए है,,, इसका एक जीवंत उदाहरण देखने को मिला राजधानी जयपुर के बगरू कस्बे में स्थित श्रीरामदेव गौशाला चैतन्य धाम परिसर में...


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बसंत पंचमी के अवसर पर गौसेवा परिवार जयपुर की ओर से एक गौभक्त युवक युवती का विवाह संपन्न करवाया गया, वैसे तो इस विवाह समारोह में कोई विशेष बात नही थी, लेकिन विवाह बहुत विशेष था, विशेष इस लिए नही था कि यहां किसी सेलिब्रिटी या धनाढ्य परिवार के युवक युवती परिणय सूत्र बंधन में बंधने जा रहे थे,,, यह विवाह विशेष इसलिए था कि पहली बार गौशाला परिसर में कोई विवाह समारोह आयोजित किया जा रहा था, ओर विवाह भी गौभक्त युवक युवती का, जिसके गौसेवा परिवार के सदस्य आयोजन बने थे.


बगरू के अठमोरिया स्थित श्रीरामदेव गौशाला को दुल्हन की तरह सजाया गया. कामधेनू सत्संग भवन में पाणिग्रहण मंडप और स्टेज बनाएं गया, गलियारों को फूलों ओर रोशनी से सजाया गया, शाम करीब 4 बजे बैंड बाजे के साथ बारात गौशाला के मुख्यद्वार पर पहुंची, सबसे पहले पंडित बृजेश शर्मा के सानिध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ तोरण मारा गया, फिर तोरण द्वार पर ही गौसेवकों और परिजनों ने बारात का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया, इसके बाद विवाह की अन्य रस्में निभाई गई, कामधेनू सत्संग भवन में बने स्टेज पर दूल्हा दुल्हन में एक दूसरे को वरमाला पहनाई, बारातियों और धारातियो साथी गौसेवा परिवार के सदस्यों ने वर वधु को सुखी समृद्ध दांपत्य जीवन का आशीर्वाद प्रदान किया, गौधुली बेला में पंडित बृजेश कुमार शर्मा के सानिध्य में अन्य पंडितो ने वैदिक मंत्रोच्चार के गौमाता के साक्ष्य में परिणय ग्रहण संस्कार संपन्न करवा दो गौभक्तों को सात जन्म के लिए एक दूसरे का जीवन साथी बना दिया.


गौमाता बनी विवाह की साक्षी


परिणय सूत्र बंधन में बंधी दुल्हन हेमलता कई वर्षो से गौमाता की सेवा में लगी हुई है, हेमलता की अभिलाषा थी कि उसका विवाह किसी गौभक्त से हो और गौमाता उनके पाणिग्रहण संस्कार की साक्षी बने,,, हेमलता की इस अभिलाषा का हेतु बने गौशाला परिवार समिति जयपुर के सदस्य, जिन्होंने हेमलता के लिए पहले तो एक सुयोग्य गौभक्त युवक के साथ विवाह संबंध तय किए, फिर विवाह की सभी रस्में बगरू स्थित श्रीराम गौशाला परिसर में संपन्न करवाई. 


 



कोरोना काल में उठा सिर से पिता का साया


दरअसल कोरोना काल में हेमलता के सिर से पिता का साया उठ गया और घर की सारी जिम्मेदारी उसकी मां और उस पर आ गई, विवाह जैसे बड़े सामाजिक कार्य की जिम्मेदारी उठाने वाला घर में कोई नही रहा तो गौसेवा परिवार समिति जयपुर के सदस्यों ने गौपुत्री हेमलता का विवाह पूरे सामाजिक और वैदिक रीति रिवाज के साथ संपन्न करवाने का जिम्मा उठाया.


गौसेवा परिवार ने निभाया पिता का धर्म
पिता का साया उठ जाने के बाद जहां परिवार के पालन पोषण सहित अन्य जिम्मेरियो का निर्वहन हो जैसे तैसे कर लिया गाय, लेकिन बेटी के विवाह में सबसे बड़ा संकट परिवार के सामने आया कि पिता की कमी कौन पूरी करे कौन विवाह में पिता का धर्म निभाए कौन बेटी का कन्यादान करे,,, ऐसे वक्त में इस जिम्मेदारी का निर्वहन भी गौसेवा परिवार ने ही किया. हेमलता का कन्यादान गौसेवा परिवार समिति ने कर पिता का धर्म निभाया.


वर -वधु दोनों गौसेवा को समर्पित


जयपुर के मानसरोवर निवासी दुल्हन बनी हेमलता वर्षों से गौसेवा परिवार से जुड़कर गौमाता की सेवा कर रही है, वहीं कोटा निवासी दूल्हा अंकित भी गौमाता की महिमा का गुणगान करने में तल्लीन है, नवदंपति ने जीवन भर गौसेवा के कार्य करते हुए जीवन यापन करने का संकल्प लिया है.


Reporter- Amit Yadav


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