Bhagat Singh Jayanti 2024: भगत सिंह की जयंती पर पढ़ें उनके जन्म से लेकर शहीद होने तक की कहानी, रोंगटे हो जाएंगे खड़े और खौलने लगेगा खून...
Shaheed-E-Azam Bhagat Singh: शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती 28 सितंबर को मनाई जाती है, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अमिट छाप छोड़ी. भगत सिंह एक ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने अपनी जवानी में ही देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. पढ़ें देश को आजादी दिलाने कके लिए Shaheed-E-Azam Bhagat Singh जी के संघर्ष की कहानी, वो भी विस्तार से...
Bhagat Singh Jayanti 2024: शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती हर साल 28 सितंबर को मनाई जाती है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके अतुलनीय योगदान को याद दिलाती है. भगत सिंह एक ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने अपनी जवानी में ही देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. उनकी विरासत आज भी प्रेरणा का स्रोत है और उनकी जयंती पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. भगत सिंह का जीवन और संघर्ष भारतीय इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ गया है. उनकी बहादुरी, निष्ठा, और बलिदान ने भारतीय युवाओं को प्रेरित किया और आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी जयंती पर हम उनके आदर्शों और मूल्यों को याद करते हैं और उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं.
आज के दिन हम भगत सिंह की विचारधारा, उनके साहस, और उनके बलिदान को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. उनकी विरासत हमें आज भी प्रेरित करती है और हमें देश के लिए काम करने की प्रेरणा देती है. भगत सिंह की जयंती पर हम उनके महान आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेते हैं.
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले में हुआ था. उनके पिता किशन सिंह संधू एक क्रांतिकारी थे और उनके परिवार की जड़ें राजस्थान में थीं. भगत सिंह ने अपनी शिक्षा लाहौर में प्राप्त की और जल्द ही वे क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए. भगत सिंह ने अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) नामक संगठन की स्थापना की. उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर कई क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया, जिनमें लाहौर के पुलिस अधीक्षक जॉन पी सैंडर्स की हत्या और दिल्ली केंद्रीय विधानसभा में बम विस्फोट शामिल थे.
भगत सिंह की गिरफ्तारी और शहादत
भगत सिंह की गिरफ्तारी 1928 में हुई थी और उन्हें मुकदमे के बाद फांसी की सजा सुनाई गई थी. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर जेल में फांसी दी गई थी. भगत सिंह की शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और उन्हें शहीद-ए-आजम के रूप में याद किया जाता है. उनकी विरासत आज भी प्रेरणा का स्रोत है और उनकी जयंती पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
भगत सिंह के आदर्श और सिद्धांत
भगत सिंह एक सच्चे देशभक्त थे जिन्होंने अपना जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित किया. उनके आदर्श और सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं.
समाजवाद और समानता
देश की आजादी और स्वतंत्रता
शिक्षा और जागरूकता
साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष
भगत सिंह के दमदार बोल
1. "इंकलाब जिंदाबाद: भगत सिंह की विरासत जीवित रखें"
2. "मैं नास्तिक हूँ, लेकिन देश के लिए मरने को तैयार हूँ"
3. "जिंदगी तो अपने दम पर ही जी जाती है, दूसरों के दम पर तो सिर्फ जीवित रहते हैं"
4. "देश की आजादी के लिए बलिदान देना मेरा कर्तव्य है"
5. "मैं भगत सिंह हूँ, और मैं अपने देश के लिए लड़ूँगा"
6. "क्रांति की आग जलाए रखना हमारा उद्देश्य है"
7. "आजादी की लड़ाई में हमारा नारा है - इंकलाब जिंदाबाद"
8. "मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे वतन के वास्ते"
9. "देश के लिए जीना और मरना मेरा धर्म है"
10. "भगत सिंह की आवाज़: आजादी की लड़ाई जारी रहेगी"
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