Child Marriage in Rajasthan: राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से अक्षय तृतीया के अबूझ सावे पर बाल विवाह रोकने के लिए सख़्त कदम उठाया. हाईकोर्ट ने सरपंच और पंच के हाथों बाल विवाह रोकने का जिम्मा सौंप दिया है.


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बाल विवाह को रोकने की सरपंच और पंच की भी जिम्मेदारी होगी. राजस्थान में आज भी बाल विवाह की प्रथा जारी है. ख़ास तौर पर ग्रामीण इलाको में आज भी बच्चों का बाल विवाह कर दिया जाता है. 10 माई यानी आज प्रदेश में अक्षय तृतीया का अबूझ सावा है. ऐसे में हाईकोर्ट ने बाल विवाह रोकने से जुड़ी जनहित याचिका पर आदेश देते हुए सरपंच और पंच की भी जिम्मेदारी तय की है.



जस्टिस पंकज भंडारी और शुभा मेहता की खंडपीठ ने कहा है कि राजस्थान पंचायतीराज नियम 1996 और बाल विवाह निषेध कानून 2006 के तहत बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी पंच और सरपंच की भी तय की गई है. ऐसे में अगर बाल विवाह होते हैं. इसके लिए सरपंच और पंच भी जिम्मेदार होंगे. हाईकोर्ट ने यह आदेश बचपन बचाओ आंदोलन व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.



अदालत ने कहा- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 की रिपोर्ट के मुताबिक 20 से 24 साल की महिलाओं में से 25.4 प्रतिशत की शादी 18 साल से पहले हो जाती हैं. अदालत ने आदेश की कॉपी मुख्य सचिव और सभी जिला कलेक्टरों को भेजने के आदेश दिए हैं.


एनजीओ कर रहे फैसले का स्वागत
प्रदेश के एनजीओ भी राजस्थान हाईकोर्ट के इस फ़ैसले का स्वागत कर रहे है. उनका कहना है कि जब तक किसी को ज़िम्मेदारी नहीं दी जाएगी तब तक बाल विवाह नहीं रुकेंगे. ऐसे में सरपंच और पंच को जो ज़िम्मेदारी दी गई है. उम्मीद है वो पूरी करेंगे और काफ़ी हद तक बाल विवाह को रोका जा सकेगा.