Jaipur: आरएसएलडीसी (Rajasthan Skill and Livelihoods Development Corporation) में अब घूसकांड के बाद तबादलों में बड़ा खेल चल रहा है. पहले जिन अधिकारियों के प्रशिक्षण निदेशक एन के गुप्ता (NK Gupta) ने तबादला किया, फिर चंद दिनों बाद तबादलों को निरस्त कर दिए. 


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हैरानी की बात यह है कि पहले बड़े स्तर पर विभाग ने तबादले किए, फिर उसके बाद में तबादले निरस्त क्यों किए?


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रातों-रात तबादला आदेश निरस्त क्यों हुए
कौशल नियोजन एवं उद्यमिता विभाग, यानि आएसएलडीसी... इस विभाग में घूसकांड का मुद्दा किसी से नहीं छिपा, लेकिन इसी विभाग में तबादलों में भी बड़ी हेराफेरी हो रही है. विभाग के अधिकारी ने पहले तबादले आदेश जारी किए, फिर उसके कुछ दिन बाद ही तबादले आदेश को निरस्त कर दिए, वो भी तबादले करने की तारीख के अंतिम दिन.


इस लिस्ट में एक या दो अधिकारियों के तबादले निरस्त नहीं किए गए, बल्कि 46 अधिकारियों के तबादले रातों-रात निरस्त हुए हैं. हैरानी की बात तो यह है कि जिन अधिकारियों को इन पदों पर लगाया था, वो सभी पद रिक्त थे. तबादले निरस्त करने के बाद वे सभी अधिकारी फिर से उसी सीट पर काबिज हो गए.


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कौन सा प्रशासनिक कारण, नहीं दिया जवाब
प्रशिक्षण निदेशक एनके गुप्ता ने 13 सितंबर को 40315 नंबर का आदेश निकाला, जिसमें 66 अधिकारियों के तबादले के आदेश थे. इन आदेशों में वरिष्ठ और कनिष्ठ अनुदेशकों के स्थानांतरण किए गए. इसके 17 दिन बाद यानि 30 सितंबर को प्रशिक्षण निदेशक एनके गुप्ता तबादला निरस्त करने की लंबी चौड़ी लिस्ट निकालते हैं, जिसमें 46 अधिकारियों के तबादले निरस्त कर दिए जाते हैं. 


एनके गुप्ता ने साधी चुप्पी
इस पूरे मामले पर जब ज़ी मीडिया ने एनके गुप्ता से सवाल किया तो उन्होंने इस मामले पर चुप्पी साध ली और कोई जवाब नहीं दिया. ज़ी मीडिया ने गुप्ता से यह भी पूछा कि ऐसा कौन सा प्रशासनिक कारण था, जो इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों के तबादले आदेश निरस्त कर दिए लेकिन इसका भी गुप्ता के पास कोई जवाब नहीं था. बाद में भी गुप्ता से फिर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने जवाब देना ही उचित नहीं समझा.


क्या कोई गिरोह तो सक्रिय नहीं
आदेश संख्या 40315 में 5,12,18,21,25,26,30,31,34,43,44,45,47,51,54,56,57,60,62,64 नंबर पर अंकित कार्मिकों के ही तबादले किए, बाकी सभी कार्मिकों के आदेश निरस्त कर दिए. ऐसे में सवाल ये उठते है कि क्या आरएसएलडीसी में तबादलों के पीछे कोई गिरोह तो सक्रिय नहीं?