Jaipur News : राजस्थान में गुर्जरों के दो फाड़ के बाद में नेता आपस में जमकर उलझ रहे हैं. सरकार से समझौते पूरे करने की मांग को लेकर एक तरफ सरकार से वार्ता हो रही है, लेकिन दूसरी तरफ विजय बैंसला अपनों से घिरते दिखाई दे रहे हैं. सवाल ये उठाए जा रहे हैं कि गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति है फिर ये समिति व्यावसायिक समिति बन गई?


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गुर्जरों में आपसी संग्राम


राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा से पहले संग्राम मचा हुआ है, लेकिन ये संग्राम गुर्जरों के बीच ज्यादा दिखाई दे रहा है, क्योंकि जिस संघर्ष समिति के बैनर तले सरकार के साथ गुर्जरों की वार्ता हो रही है, उसी पर सवाल उठाए जा रहे हैं, ये सवाल कोई और नहीं, बल्कि गुर्जर नेता ही उठा रहे हैं. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के पुराने सदस्य और गुर्जर नेता हाकिम सिंह ने बड़े ही गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि आरक्षण संघर्ष समिति नहीं, बल्कि ये तो व्यावसायिक संघर्ष समिति बन गई है, क्योंकि विजय बैंसला अपने व्यक्तिगत हितों को साध रहे हैं. हाकिम ने कहा कि वे समाज के लिए नहीं बल्कि अपनी निजी मांगों के लिए लड़ रहे हैं.


हाकिम के विजय बैंसला पर ये तीन गंभीर आरोप


1.विजय बैंसला ने अपने हितों को साधते हुए अपने बेटे का जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में एडमिशन करवाया


2.अपने सुरक्षा के लिए राज्य सरकार से सुरक्षा मांग रहे हैं, उन्हें सुरक्षा की क्या जरूरत, जब समाज में रहते हैं 


3.कर्नल बैंसला फाउंडेशन के नाम पर वे जयपुर में सरकार से मांग रहे जमीन 


रीट पर आरक्षण की ये कैसी रीट?


दूसरी तरफ गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की मांग है कि रीट भर्ती 2018 के 233 अभ्यर्थियों को 5 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिले. लेकिन कानूनों जानकारों के हिसाब से ये किसी भी सूरत में संभव नहीं है. क्योंकि सरकार पहले ही एमबीसी के जरिए प्रतिशत आरक्षण का लाभ दे चुकी है.


5 फीसदी आरक्षण को मिल चुका,फिर क्यों विवाद?
2018 में सरकार ने रीट भर्ती निकाली, उस समय गुर्जरों को ओबीसी में 1 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है.2019 में आंदोलन के बाद फरवरी से 5 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलने लगा.रीट इस भर्ती में रिजल्ट से पहले गुर्जरों को 5 प्रतिशत आरक्षण दे दिया,लेकिन शिक्षा विभाग ने गलती से ओबीसी,एमबीसी और जनरल तीनों मिलाकर 5 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दे दिया.जिसके बाद में शिक्षा विभाग ने अपनी गलती सुधारी और गुर्जर समेत पांच जातियों के लिए बना एमबीसी में पांच प्रतिशत आरक्षण दिया और ओबीसी की सीटे इस भर्ती से हटा एमबीसी में शामिल कर दिया.जिसके बाद में एमबीसी के 5 प्रतिशत सीटों के हिसाब से आरक्षण का लाभ गुर्जर समुदाय को मिल गया और 233 अभ्यर्थी बच गए.कानूनों जानकारों का कहना है कि सरकार एमबीसी,ओबीसी और जनरल तीनों में कैसे गुर्जर समुदाय को आरक्षण का लाभ दे सकती है.लेकिन गुर्जर नेता विजय बैंसला लगातार अडे है.लेकिन नियमों के तहत सरकार 233 अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं दे सकती है. क्योंकि यदि सरकार इस भर्ती में नियमों के खिलाफ जाकर आरक्षण का लाभ देती है तो कही ना कही दूसरी भर्तियों में भी सरकार को इसी तरह लाभ देना होगा.ऐसे में विजय बैंसला की गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति नियमों और अपनों में बुरी तरह से उलझ गई है.


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