Bisalpur Dam:बीसलपुर बांध को बने हुए 25 साल,लेकिन पानी व्यर्थ बह गया 42 साल का,इस बार अब तक 3 साल का पानी बर्बाद, आंकड़ों से समझिए मामला
Bisalpur Dam: बीसलपुर बांध को बने 25 साल हो गए,लेकिन पानी व्यर्थ 42 साल का व्यर्थ हो गया. इस बार अब तक 3 साल का पानी बर्बाद हुआ है. आंकड़ों से पूरा मामला जानिए.
Bisalpur Dam News: बीसलपुर बांध अबकी बार जमकर मुस्कुरा रहा है,लेकिन इस मुस्कुराहट के पीछे पानी के बर्बाद की कहानी भी छिपी है.क्योंकि लाइफ लाइन से अब तक सालों का पानी बर्बाद हो गया. इस खबर में आपको बताते हैं कि बीसलपुर से बर्बाद होते पानी से कितनी आबादी की प्यास बुझ पाती.
3 साल का पानी बर्बाद-
4 जिलों की 1 करोड़ की आबादी की प्यास बुझाने के लिए PHED को 2 साल के लिए बीसलपुर से 16.20 TMC पानी मिलता है,लेकिन इससे 9 TMC ज्यादा यानी 25 TMC पानी तो अब तक बांध से बर्बाद हो गया.इतने पानी से तो 4 जिलों की प्यास बुझाने के लिए बीसलपुर डेढ़ बार भर गया होता. इससे भी आसान यदि लीटर में समझे तो 70,775 करोड़ लीटर पानी की बर्बाद हो गया,जबकि जलदाय विभाग को 2 साल की प्यास बुझाने के लिए 45,862 करोड़ लीटर पानी की जरूरत होती है.
बीसलपुर बांध को बने 25 साल हो गए.बीसलपुर बांध को जयपुर,अजमेर,टोंक,दौसा की लाइफ लाइन कहा जाता है.बांध की कुल भराव क्षमता 38.7 टीएमसी है.जिसमें से जनता की प्यास बुझाने के लिए 16.20 टीएमसी पानी मिलता है.प्रदेश के शहरों में प्रति व्यक्ति को 135 लीटर प्रतिदिन और ग्रामीण इलाकों में में 55 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से पानी की सप्लाई की जाती है.
कब कब कितना पानी बर्बाद-
साल कितना पानी बर्बाद
2004 26 TMC
2006 43 TMC
2014 11 TMC
2016 135 TMC
2019 93 TMC
2022 13.2 TMC
2024 अब तक 25 TMC
कुल 346.20 TMC
समय पर नहीं बदली सरकारों की सोच-
1 टीएमसी में 2831 करोड़ लीटर पानी होता है.इस हिसाब से बीसलपुर बांध से अब तक 9,80,092 करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो चुका है.यानी अब तक बीसलपुर बांध 21 बार 2-2 साल तक 1 करोड़ आबादी की प्यास बुझा पाता.इससे भी आसान भाषा में समझे तो बीसलपुर का बर्बाद पानी 42 साल तक 1 करोड़ आबादी की प्यास बुझा पाता.ये सातवां मौका है जब बांध के गेट खुले और करोड़ों लीटर पानी की बर्बादी हुई, लेकिन राजस्थान की अब तक सरकारों ने बहते,बर्बाद पानी के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए.यदि सरकारों की इस बहते पानी पर सही समय पर सोच बदलती तो आज ये पानी बर्बाद नहीं होता और भविष्य मे जलसंकट जैसी स्थिति जूझना नहीं पड़ता.