Bizzare News: दुनिया में महिला, पुरुष के अलावा एक समाज किन्नरों को भी है, जिसके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं. उनका रहना का तरीका, रीति-रिवाज और मान्यताएं आम इंसान से बेहद ही अलग है. 


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इस दुनिया में किन्नरों को एक तिरस्कार की नजरों से देखा जाता है, इसलिए लोग इनका मजाक भी बनाते हैं. आज हम आपको किन्नरों के बेहद ही रोचक और अनोखी चीजे बताने जा रहे हैं. 


भारत के राज्य तमिलनाडु में कूवागम गांव हैं, जहां हर साल ट्रांसजेंडर फेस्टिवल मनाया जाता है. यहां इस उत्सव को कुठंडावर-अरावन मेला कहा जाता है. मिली जानकारी के अनुसार, कूवागम गांव को किन्नर समाज का तीर्थ स्थल माना जाता है. यहां किन्नर साथ मिलकर अपने सभी त्यौहार मनाते है और इस फेस्टिवल में किन्नर हर रात को अर्जुन के पुत्र अरावन की पूजा करने के लिए मंदिर जाते हैं. महाभारत काल से ही भगवान अरावन को इस पूजा के विशेष स्थान मिला हुआ है. 
 
कूवागम गांव के इस ट्रांसजेंडर फेस्टिवल को इतिहास महाभारत से ही जुड़ा हुआ है. महाभारत के अनुसार, पांडवों को कुरुक्षेत्र का युद्ध जीतने के लिए, माता काली को अपने प्राण देने पड़ते. वहीं, पांडव अर्जुन के बेटे भगवान अरावन ने युद्ध में जीतने के लिए अपने प्राणों देने का विचार रखा, लेकिन मरने से पहले उन्होंने अपनी आखिरी इच्छा सभी के सामने रखी की, मैं मरने से पहले विवाह करके वैवाहिक जीवन को अनुभव करना चाहते हैं. 


वहीं, कोई भी महिला ऐसे पुरुष से शादी करने के लिए तैयार नहीं थी, जो विवाह के अगले ही दिन मरने वाला है, इसलिए भगवान कृष्ण ने मोहनी का रुप लिया और भगवान अरावन से शादी की. इसके अगले ही दिन भगवान अरावन ने अपने प्राण त्याग दिए. इसी के चलते कूवागम गांव में सभी ट्रांसजेंडर मिलकर ये फेस्टिवल मनाते हैं, जिन्हें अरावनी भी कहा जाता है. यह त्यौहार 18 दिन तक मनाया जाता है. 


कैसे मनाया जाता है यह फेस्टिवल
18 दिन तक मनाए जाने वाला ट्रांसजेंडर फेस्टिवल में बहुत से रीति-रिवाज निभाए जाते हैं. इस उत्सव में सबसे पहले 'मिस कूवागम ब्यूटी कॉन्टेस्ट’ होता है और फिर त्यौहार के आखिरी दिन सभी किन्नर अरावन से एक रात के लिए शादी करते हैं और बचे हुए 16 दिन तक कई कार्यक्रम होते हैं. 


वहीं, सबसे खास इस ट्रांसजेंडर फेस्टिवल का 17वां दिन होता, क्योंकि इस दिन सभी ट्रांसजेंडर महिलाएं दुल्हन बनती है. इस दिन वे आभूषण,  चमकीले रंग की साड़ी, चूडियां आदि पहन कर तैयार होती हैं और वे सभी भगवान ‘अरावन’ से शादी करने के लिए कूटवंदर मंदिर जाते हैं. परंपरा के अनुसार, विवाह के दिन सभी किन्नर अर्जुन के बेटे अरावन के नाम का मंगलसूत्र पहनती हैं. 


इसके बाद शादी के अगले ही दिन सभी किन्नर विधवा को रुप धारण करके मातम मनाती हैं. सभी अपने मंगलसूत्र उतार फेंकते हैं और सुहाग के नाम की चूड़िया तोड़ते हैं. वहीं, भगवान अरवान को बस ट्रांसजेंडर फेस्टिवल में मंदिर से बाहर लाया जाता है.


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