Jaipur: राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू ने नामांकन दाखिल कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एनडीए के प्रमुख सहयोगियों की मौजूदगी में मुर्मू ने अपना पर्चा भरा. इसी के साथ मुर्मू देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनने की तरफ़ मजबूत कदम बढ़ा चुकी हैं, लेकिन बीजेपी के इस दांव में देश के आदिवासियों को पार्टी से जोड़ने का लक्ष्य भी दिख रहा है.


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राजस्थान भी इस टार्गेट से किसी मायने में अछूता नहीं दिख रहा. यही कारण है की राजस्थान से आदिवासी विधायकों के साथ ही सांसदों को भी द्रौपदी मुर्मू का प्रस्तावक बनाया गया है. मुर्मू के नामांकन में तीन आदिवासी सांसदों के साथ ही राजस्थान से केन्द्रीय मंत्रीमण्डल में शामिल तीनों प्रमुख चेहरों के साथ ही छह आदिवासी विधायकों ने भी दस्तखत किए हैं. माना जा रहा है कि प्रस्तावकों की लिस्ट के जरिए बीजेपी आने वाले विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के बीच पार्टी का प्रो-एसटी चेहरा भी पहुंचाने की कोशिश करेगी. 


इस बहाने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान को साधने की कोशिश भी है. अभी 200 में से 33 विधायक आदिवासी हैं. इस समाज का असर ऐसा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में 25 रिजर्व सीटों के अलावा इन्होंने 8 सामान्य सीटें भी जीतीं. इन 33 में कांग्रेस के 17, भाजपा के 9, अन्य 7 विधायक हैं. आदिवासी संगठनों का दावा है कि उनका 70 सीटों पर असर है.


भाजपा और कांग्रेस दोनों का फोकस आदिवासियों पर
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इसी साल 2 अप्रेल को सवाई माधोपुर में आदिवासी समाज के सम्मेलन में पहुंचे. यहां समाज के प्रतिष्ठित लोगों से बातचीत करके आदिवासियों के बीच पार्टी की विचारधारा को मजबूत करने की बात भी कही थी. भरतपुर संभाग की बैठक के बाद बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी डूंगरपुर, बांसवाड़ा के दौरे किए. 


कांग्रेस का भी आदिवासियों पर ध्यान
दूसरी तरफ़ कांग्रेस का फोकस भी आदिवासियों पर दिखा है. यही कारण है कि उदयपुर में कांग्रेस के चिन्तन शिविर के तत्काल बाद ही कांग्रेस ने वागड़ के बेणेश्वर धाम पर पार्टी के पूर्व राषट्रीय अध्यक्ष और अपने नेता राहुल गांधी की सभा कराई. इस तरह से कांग्रेस ने भी ने आदिवासी बेल्ट में संदेश देने की कोशिश की. 


ये हैं 6 आदिवासी विधायक प्रस्तावक
फूलसिंह मीणा (उदयपुर ग्रामीण)
अमृतलाल मीणा (सलूम्बर)
बाबूलाल खराड़ी (झाड़ोल)
समाराम गरासिया (पिंडवाड़ा)
कैलाश मीणा (गढ़ी)
गोपीचंद मीणा (जहाजपुर)


राजस्थान के आदिवासी सांसद और केन्द्रीय मंत्री भी बने प्रस्तावक
इसके साथ ही राजस्थान से आने वाले तीन आदिवासी सांसद और केन्द्रीय मंत्रियों का नाम भी मुर्मू के प्रस्तावकों में शामिल हैं.
अर्जुनलाल मीणा-उदयपुर, जसकौर मीणा-दौसा, कनकमल कटारा-डूंगरपुर-बांसवाड़ा, राजेन्द्र गहलोत


इसके साथ ही केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, गजेन्द्र सिंह शेखावत और कैलाश चौधरी भी मुर्मू के प्रस्तावक बने हैं.


आदिवासी बहुल सीटों पर बीजेपी को मजबूत करने की कवायद
माना जा रहा है कि आदिवासी राष्ट्रपति और उनके आदिवासी प्रस्तावकों के जरिए बीजेपी ऐसी सीटों पर पार्टी को मजबूत करना चाहती हैं, जहां पर आदिवासी वोटर अच्छी संख्या में हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में आदिवासी बहुल 39 सीटों में से पार्टी ने प्रभावी जीत दर्ज नहीं की थी, लेकिन अबकी बार बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. 


पिछले चुनाव में मेवाड़ की 35 में से 20 सीटें जीतकर भी भाजपा सत्ता में नहीं आ पाई, क्योंकि पूर्वी 7 जिलों की 39 सीटों में से 4 ही जीत पाई. इसलिए बीजेपी ने इस बार अलग-अलग कैटेगिरी बनाकर अपनी रणनीति पर फोकस करना शुरू कर दिया है. इसमें एक बार जीती सीट, दो या उससे ज्यादा बार जीती सीट और कभी भी जिस सीट पर बीजेपी नहीं जीती हो, ऐसी सीटों को विशेष रूप से चिन्हित किया है.
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