Jaipur: जयपुर में आमजन की सुरक्षा की नियत से शहर पर नजर रखने के लिए अभय कमांड सेंटर की शुरुआत की गई. शहर के चप्पे-चप्पे पर नजर रखा जा सके, इसके लिए करीब 1000 कैमरों के साथ शहर पर निगरानी शुरु की गई. 


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अभय कमांड सेंटर की शुरूआत के कुछ समय बाद अपराधियो की पहचान के लिए 12 फेस रीडर कैमरे भी लगाये गए लेकिन संसाधनों को अपग्रेड नही कर पाने की वजह से आज अपराधियों की पहचान करने में ये फेस रीडर कैमरे फेल होते नजर आ रहे हैं.


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जयपुर शहर में अभय कमांड सेंटर तैयार किया गया, जिसके जरिये एक जगह से पूरे शहर पर नजर रखी जा सके. इसके जरिये कई अपराधियों तक पुलिस पहुंच सकी और दुर्घटनाओं के मामलों की भी सच्चाई सामने आ सकी. शहर में होने वाले अपराध के मामलों में जब अपराधी फरार हुए तो सीसीटीवी कैमरों के जरिये उनको सलाखों के पीछे पहुंचाने में पुलिस को सफलता मिली. अभय कमांड सेंटर को हाइटेक करने के लिए इसमे 12 फेस रीडर कैमरे भी लगाये गए. इन कैमरों को पुलिस के विशेष सॉफ्टवेरय से जोड़ा गया था. इसमें बदमाशों की फुटेज व जानकारी डाली गई. जिससे कोई भी अपराधी इन कैमरों की जद में आते ही पुलिस को एक अलर्ट मिलने लगा.


बदमाशों को पकड़ने में सफलता नहीं मिल रही 
इन कैमरों की मदद से ऐसे बदमाश जिनका चेहरा पहले से सॉफ्टवेयर में अपडेट हो, ऐसे बदमाशों का 60 प्रतिशत चेहरा पुलिस रिकॉर्ड में मिलाने खाता है. तो वह अभय कमांड सेंटर में एक सायरन बजने लगता था. इसके साथ ही सॉफ्टवेयर से जुड़ा कम्प्यूटर बदमाश की जानकारी का प्रिंट आउंट निकालने का काम करता था लेकिन पिछले काफी लंबे समय से बदमाशों की जानकारी इस सॉफ्टवेयर में अपलोड़ नहीं होने के कारण अब पुलिस को ऐसे बदमाशों को पकड़ने में सफलता नहीं मिल रही है.


प्रायोगिक तौर पर अभय कमांड सेंटर जयपुर में लगे इन कैमरों के बाद प्रदेश भर में इनको लगाए जाने का प्रस्ताव था लेकिन यह कैमरे जयपुर कमिश्नरेट में ही सफल नही हो पाये हालांकि इस को लेकर पुलिस का दावा है. कि शहर में लगे ये कैमरे अभी अच्छे से काम कर रहे है. पुलिस को समय-समय पर इन से बदमाशों की अपडेट मिलती रहती है. जबकि सच्चाई तो ये है कि पुलिस इन कैमरों की मदद से एक भी एक भी बदमाश नहीं पकड़ पाई हैं.


क्या कहना है एडिश्नल पुलिस कमिश्नर का
एडिश्नल पुलिस कमिश्नर अजय पाल लांबा ने बताया कि अभय कमांड सेंटर से जुड़े 40 प्रतिशत कैमरे ही ऐसे हैं जो एनालिसिस कर सकते हैं. बाकी 60 प्रतिशत कैमरे केवल वीड़ियों रिकॉर्ड करने और देखने के काम ही आते हैं. अभी अन्य जगहों को भी अभय कमांड सेंटर से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा हैं. वहीं अगर कोई संदिग्ध बदमाश या अपराधी की जानकारी पुलिस को मिलती हैं तो वह इन स्पेशल कैमरों में उसकी जानकारी भर देते हैं. जब वह इनकी पकड़ में आता हैं तो उसकी जानकारी पुलिस को मिलती हैं.


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