Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में चरित्र और स्त्री के बारे में कुछ बातें कही हैं, जो आपके लिए काफी काम की भी हो सकती है. किसी के चरित्र का भाव मुसीबत के वक्त हो जाता है. चरित्र निश्चल और स्वच्छ हो तो कोई भी मुसीबत हो उससे पार पाया जा सकता है.


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आचार्य चाणक्य ने बताया है कि चरित्र ही दरअसल एक व्यक्ति का वास्तविक धन होता है. अगर चरित्र ना हो तो इंसान में कुछ नहीं रहता. चरित्र की रक्षा उसी तरह करनी चाहिए जैसा की एक व्यापारी अपने धन की करता है. खासतौर पर स्त्री को अपने चरित्र को लेकर सतर्क होना चाहिए. चरित्रहीन व्यक्ति स्वार्थी हो जाता है, वो झूठा होता है और धन की बर्बादी कर अंत में खुद बर्बाद हो जाता है.


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आचार्य चाणक्य ने बताया है कि अगर जीवन की वास्तविकता को समझना है ​तो योगी बनो, भोगी नहीं. भोग विलास की आदत आपके अंदर लालच को पैदा करती हैं और आपको जिंदगी की सच्चाई से दूर कर देती हैं लेकिन योगी हो जाने पर सब खोकर आनंद की प्राप्ति होती है. अनुशासन जीवन का हिस्सा बन जाता है और धैर्य-संयम के बलबूतें कामयाबी हाथ लगती है.


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आचार्य चाणक्य ने बताया है कि स्त्री की खूबसूरती से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण एक स्त्री के गुण होते हैं, क्योंकि एक स्त्री सब कुछ बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है. इसलिए विवाह से पहले हमेशा उसके गुणों पर ध्यान देना चाहिए, विवाह तभी करें, जब वो स्वेच्छा से विवाह के लिए तैयार हो.


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चाणक्य का कहना है कि अगर कोई स्त्री आपसे प्रेम करती है, परवाह करती हो तो उस स्त्री का साथ कभी नहीं छोड़े और भविष्य में अगर वो स्त्री झगड़ा भी करें तो भी उसका साथ ना छोड़े क्योंकि वो ही आपकी सच्ची हमसफर होगी. जिस स्त्री से आप विवाह करने जा रहे हैं तो एक बार जरुर देखें की उसकी धर्म कर्म में आस्था है या नहीं, धार्मिक स्त्री कभी आपका अहित नहीं करेगी और परिवार के लिए भी अच्छी साबित होगी. 


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