Chanakya niti on Bhai Dooj: आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े कई पहलुओं का वर्णन किया है. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में भाई बहन के रिश्ते पर भी प्रकाश डाला है. उन्होंने अपने नीतिशास्त्र में बताया है कि भाई बहन का रिश्ता प्यार और विश्वास पर टिका होता है,पर अगर भाई के मन में  बहन के लिए वहीं अपनापन न हो तो दूरी बनाना ही बेहतर है. तो चलिए जानते उन कुछ बातों की जिनके वजह से भाई बहन के रिश्ते में भी दरार आ जाती है, जानिए इनके बारे में-


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जीवन में भाई-बहन का काफी अनमोल रिश्ता होता है. सुख-दुख में यही लोग एक दूसरे का सहारा बनते हैं. ऐसे में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर आपका भाई बहन आपसे किसी भी प्रकार का स्नेह या प्रेम भाव नहीं रखता और विपरीत परिस्थितियों में साथ खड़ा नहीं होता. इस तरह के भाई बहन का समय रहते त्याग कर देना उचित होता है.


 चाणक्य कहते हैं कि  भाई बहन के रिश्ते में मान-सम्मान जरूरी होता है. भाई - बहन के रिश्ते पर यह बात लागू होती है. भाई - बहन दोनों में ही आदर के भाव होनेचाहिए. जब इसमें कमी आने लगती है तो,रिश्ता कमजोर पड़ने लग जाता है इसलिए इस रिश्ते में एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए.


 चाणक्य कहते हैं कि झूठ की बुनियाद पर कोई भी रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं टिकता है.भाई बहन के रिश्ते में भी झूठ की कोई जगह नहीं होती है. झूठ के कारण रिश्ता कमजोर होता जाता है.  इसलिए भाई बहन को एक दूसरे से कभी  झूठ नहीं बोलना चाहिए. 


 चाणक्य  के नीति शास्त्र में, रिश्ते की अहम नींव भरोसा होता है. भरोसा जितना मजबूत होगा, रिश्ता उतना ही मजबूत होगा. जब रिश्ते में विश्वास की कमी आने लगती है तो, रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है. इसलिए भाई बहन के अनमोल भरे रिश्ते की डोर में अविशवास के धागे को कभी नहीं पिरोना चाहिए वरना रिश्ता खोगला हो जाता है.