Jaipur: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखकर हरिके बैराज के डाउन स्ट्रीम से राज्य की नहरों में प्रवाहित पानी के संबंध में उनका ध्यान आकर्षित किया है. उन्होंने पंजाब में बुढ़ा नाला पुनरुद्धार परियोजना के अंतर्गत एसटीपी एवं सीईटीपी के निर्माण को निर्धारित समय पर संपादित करने और नदियों नालों में सीधे अशोधित अपशिष्ट प्रवाहित नहीं करने के संबंध में अधिकारियों को निर्देशित करने का आग्रह किया है.


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गहलोत ने पत्र में लिखा है कि राजस्थान रावी - व्यास एवं सतलज नदी से अपने हिस्से का जल हरिके बैराज से प्राप्त करता है. पंजाब के लुधियाना शहर का प्रदूषित जल बुढ़ा नाला के माध्यम से एवं सतलज नदी के आस-पास बसे शहरों कस्बों का नगरीय व औद्योगिक अपशिष्ट नालों से होते हुए सतलज नदी में मिलकर हरिके बैराज पहुंचता है.


मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा कि हरिके बैराज में आया हुआ जल राजस्थान फीडर (इंदिरा गांधी फीडर) और फिरोजपुर फीडर में छोड़ा जाता है. इंदिरा गांधी फीडर के माध्यम से पश्चिमी राजस्थान में तथा फिरोजपुर फीडर के माध्यम से हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों में सिंचाई एवं पेयजल के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है. उन्होंने पत्र में लिखा कि हरिके बैराज से राजस्थान को प्रदूषित जल प्राप्त हो रहा है. इस क्षेत्र के काश्तकारों एवं आमजन द्वारा समय-समय पर प्रदूषित जल को रोकने के लिए मांग की जाती रही है


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गहलोत ने पत्र के माध्यम से बताया कि प्रकरण गंभीरता को देखते हुए 28 अगस्त, 2022 को जल संसाधन विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने पंजाब एवं राजस्थान के अधिकारियों के साथ बुढ़ा नाला एवं सतलज नदी का संयुक्त निरीक्षण किया गया था . निरीक्षण में पाया गया कि बुढ़ा नाला में अशोधित अपशिष्ट प्रवाहित हो रहा है जो कि सतलज नदी के माध्यम से हरिके बैराज पर पहुंच रहा है. उन्होंने पत्र में लिखा कि नगर निगम एवं पंजाब प्रदूषण मंडल के अधिकारियों द्वारा अवगत कराया कि अपशिष्टों के शोधन हेतु एसटीपी एवं सीईटीपी निर्माणाधीन है. गहलोत ने उम्मीद जताई कि प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे पर पंजाब सरकार की तरफ से सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे .