Jaipur News:  राजस्थान में के सीकर में डिलीवरी के दौरान लापरवाही से बच्चे की मौत होने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने बच्चे के माता-पिता को 5 लाख रुपए हर्जाना देने के आदेश दिए हैं. साथ ही दो महीने भीतर जुर्माना नहीं देने पर डॉक्टर दंपति के खिलाफ RRMC कार्रवाई करने के लिए लिखा जाएगा. आयोग के फैसले के अनुसार मामला सीकर के अजीतगढ़ स्थित गीतांजलि हॉस्पिटल का मामला है. शाहपुरा के मायना गांव निवासी विक्रम मीणा ने 9 जुलाई 2020 को पत्नी आशा को लेकर गीतांजलि हॉस्पिटल पहुंचा. 


माता-पिता को 5 लाख रुपए हर्जाना देने के आदेश 


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डॉक्टरों ने डिलीवरी के लिए आशा को अस्पताल में भर्ती कर लिया. वहां के चिकित्सक डॉ. मंगल यादव तथा डॉ. मोनिका यादव ने जांच करवाकर एवं उन्हें देखकर कहा कि डिलीवरी अभी करवाना जरूरी है और सिजेरियन के द्वारा डिलीवरी करवायेंगे. यह बात सुनकर हमने महिला हॉस्पिटल जयपुर ले जाने को कहा तो डॉ. मोनिका यादव ने आस्वासन दिया कि हमारे पास डिलीवरी के लिए सम्पूर्ण आपातकालीन व्यवस्थाऐं उपलब्ध है तथा मैं साधारण डिलीवरी ही करवा दूंगी और प्रसूता को भर्ती कर लिया.


अजीतगढ़ स्थित गीतांजलि हॉस्पिटल का मामला


प्रसूता को किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं हो रहा था तो डॉ. ने प्रसव करवाने के लिए तीन चार इन्जेक्शन लगाये. इसके बाद भी प्रसूता को किसी भी प्रकार का दर्द महसूर नहीं हुआ तो डॉ. ने पुनः इन्जेक्शन लगाये. इस प्रकार करते हुए इन्होंने मुझे एवं प्रसूता को व्यस्त रखा तथा प्रसूता के बताये अनुसार उसके पेट में बार बार धक्के मारे गये तो इस प्रक्रिया में दौरान बच्चा आधा बाहर आ गया और डिलीवरी नहीं हो पाई तो डॉ. मोनिका यादव ने डिलीवरी सिजेरियन के द्वारा करने को कहा तथा प्रसूता को इसी हालत में बिना किसी स्ट्रेचर या लिफ्ट के सीढीयों द्वारा ही उपर ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया.


सीकर में डिलीवरी के दौरान लापरवाही से बच्चे की मौत 


जिसके कारण से बच्चे की मृत्यु हो गई तथा प्रसूता की हालत गंभीर हो गई, फिर भी डॉक्टर ने साधारण डिलीवरी के चक्कर में पेट पर धक्के मारे लेकिन डिलीवरी नहीं होने के कारण सिजेरियन करने के लिए मुझे बताया कि खून कि आवश्यकता पड़ेगी तथा मुझे खून लाने के लिए चौमूं भेज दिया तथा मेरे वापस लौटने मुझे मृत बच्चा दिया. सुबह 08.30 बजे मेरी पत्नी आशा की गंभीर हालत बताकर सवाईमानसिंह अस्पताल जयपुर के लिए रैफर कर दिया.


इलाज में घोर लापरवाही बरती गई


डॉक्टर की स्वयं की एम्बुलेंस व स्टाफ के द्वारा जयपुर एसएमएस में भर्ती करवाया गया. वहां पूर्व के कागजात मांगने पर उनके स्टाफ द्वारा यह बताया गया कि कागजात हॉस्पिटल में ही रह गये है हम जा कर ले आयेंगे, लेकिन किसी भी प्रकार का कोई कागजात उपलब्ध नहीं कराया गया. इसके बाद एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर में इलाज शुरू कर दिया. वहां पर जांच होने पर यह सामने आया कि प्रसूता की हालत गंभीर है तथा बच्चेदानी भी निकाल दी गई है तथा अत्यधिक खून बह चुका है और इलाज में घोर लापरवाही बरती गई है.


अस्पताल में प्रसूता को 25-30 यूनिट खून दिया गया बाद में मेरे घरवाले गीतांजली हॉस्पिटल में कागजातों के लिए बार-बार गये, लेकिन डॉक्टर ने गुमराह करते हुए वापस भेज दिया. दिनांक 26.08.2020 को मेरी भाभी इन्द्रा व उर्मिला मीणा द्वारा कागजात मांगने पर डॉ. मंगल यादव व डॉ. मोनिका यादव तथा स्टाफ ने झगडे़ में धक्का मुक्की की व जाति सूचक अभद्र व्यवहार किया.


धक्का मुक्की व जाति सूचक अभद्र व्यवहार 


इस प्रकरण के चलते मैंने 7.8.2020 को अजीतगढ पुलिस थाना में एफआईआर संख्या 215 / 2020 दर्ज करवाई परंतु डॉक्टर्स की पहुच होने के कारण इस प्रकरण को दबाया जा रहा है एवं बार बार राजीनामें के लिए दबाव डाला जा रहा है. एक्ट का अपराध साबित होना नहीं पाया गया और धारा 304 ए भादस में चालान किता कर न्यायालय में पेश किया जा चुका है. 


पूर्वक इलाज किया जिसके कारण परिवादी विक्रम मीणा की पत्नी आशा मीणा के पेट में ही बच्चा मर गया एवं अनुसंधान के बाद चालान के अनुसार आरोपी डॉ. मंगल यादव एवं डॉ. मोनिका यादव के विरूद्ध धारा 304 (ए) दोषी पाया गया. 


डॉ. मोनिका यादव के विरूद्ध धारा 304 (ए) दोषी पाया गया


सुनवाई के दौरान आयोग अध्यक्ष जस्टिस जीके व्यास ने फैसला करते हुए कहा कि इन परिस्थितियों को देखते हुए गीतांजली हॉस्पिटल, अजीतगढ़, श्रीमाधोपुर, सीकर डॉ. मंगल यादव व डॉ. मोनिका यादव की लापरवाही से हुई परिवादी के पुत्र की मृत्यु एवं परिवादी की पत्नी को हुई मानसिक एवं शारीरिक पीड़ा के लिए, परिवादी की पत्नी श्रीमती आशा मीणा एवं परिवादी विक्रम मीणा पांच लाख रूपये  की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के अधिकारी
गीतांजलि हॉस्पिटल राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त है तथा इसमें कार्यरत चिकित्सक डॉ. मंगल यादव व डॉ. मोनिका यादव भी राजस्थान मेडिकल कॉन्सिल से पंजीकृत चिकित्सक है.


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जिला कलक्टर, सीकर को अनुशंषा की जाती है कि वह इस संबंध में नियमानुसार कार्यवाही कर परिवादी को क्षतिपूर्ति राशि दिलायें, अगर दो माह के भीतर गीतांजली अस्पताल, अजीतगढ़, श्रीमाधोपुर, सीकर क्षतिपूर्ति का भुगतान परिवादी को नहीं करें तो उस परिस्थिति में डॉ. मंगल यादव एवं डॉ. मोनिका यादव के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए इस प्रकरण को रजिस्ट्रार, राजस्थान मेडिकल कॉन्सिल, जयपुर के पास भेजा जाएगा.