Chomu today News: राजस्थान में रोडवेज और निजी बसों का संचालन यात्रियों के लिए किया जाता है. बसों के जरिए ही सवारियां इस शहर से उस शहर में पहुंचती हैं. लेकिन इन्ही यात्री बसों के जरिए लगेज का भी अवैध परिवहन होता है. जब हम किसी रोडवेज और निजी बस में यात्रा कर रहे होते हैं, तो लिखा होता है कि लावारिस सामान को हाथ न लगाएं किसी भी तरह से लावारिस सामान होने पर चालक और परिचालक को इसकी सूचना दें. लेकिन चालक और परिचालक खुद ही बसों में इस सामान को लेकर चल रहे हैं. 


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इस सामान का कोई धणी धोरी बस में सवार नहीं होता है. इस सामान को इधर से उधर पहुंचाने की जिम्मेदारी चालक और परिचालक महज चंद रुपए में ले लेते हैं. पैकेट और कट्टों को पैक करके सामान एक जगह से दूसरी जगह पर आसानी से पहुंच जाता है. बन्द पैकेट को कभी भी चालक और परिचालक खोलकर नहीं देखता और ना ही पैकेट देने वाले से कोई जानकारी लेता है. हो सकता है कि इस पार्सल के जरिए कोई तस्कर हथियार और मादक पदार्थ की तस्करी कर रहा हो, क्योंकि प्रदेश में तस्कर अवैध मादक पदार्थों की तस्करी कर रहे हैं.


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उधर पुलिस भी तस्करों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. लेकिन बसों के जरिए की जाने वाली तस्करी पुलिस के पकड़ में नहीं आ सकती है, क्योंकि इन बसों को कोई चेक नहीं करता है. यानी कहीं भी किसी तरह की कोई चेकिंग नहीं होती है. चेकिंग भी होती है तो रोडवेज बस में टिकट की होती है. सामान पैकेट की नहीं ऐसे में यह सामान यहां से वहां तक आसानी से पहुंच जाता है.


 


हमारे संवाददाता ने भी 3 पार्सल तैयार कर जिन्हें चौमूं से सीकर जयपुर बीकानेर भेजे सबसे पहले खिलौने की दुकान पर पहुंचकर हमारे संवाददाता ने खिलौनेनुमा पिस्तौल खरीदी और तीन डिब्बो में 3 पिस्तौल को पैक कर दिया और एक पार्सल एक लोक परिवहन बस के चालक को थमाया और दूसरा पार्सल एक रोडवेज बस के परिचालक को थमा दिया. बस के चालक परिचालक ने यह भी नहीं पूछा कि इस पार्सल में क्या है. केवल 50 रुपये में पिस्तौल का पार्सल लेकर रवाना हो गया. और बस के पहुंचने का समय बता दिया. 


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चालक और परिचालक को बस इतना ही लालच है. पैकेट की डिलिवरी के बदले चंद रुपए मिल रहे हैं. लेकिन इस व्यवस्था का तस्कर आसानी से फायदा उठा सकते हैं. और यदि उठा भी रहे हो तो किसे पता. इन तस्वीरों को देखकर आप अंदाजा लगाए. इस तरह से पैकेट बनाकर क्या नहीं भेजा जा सकता है. सोचिए इसी पैकेट में यदि असली पिस्तौल होती तो क्या होता. परिवहन रोडवेज विभाग को सख्ती दिखाने की जरूरत है. रोडवेज बस में इस समान की भी टिकट बनना चाहिए, ताकि बस के जरिए सामान भेजने वाले और पाने वाले व्यक्ति का नाम पता रहे. इसके साथ ही लगेज ले जाने वाली इन बसों की भी बीच रास्ते मे चेकिंग होनी चाहिए ताकि तस्कर अपने मंसूबों में कामयाब ना हो.