Rajasthan Election 2023: चुनावी साल में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने अपने अपने तरीके से ताल ठोक दी है. लेकिन इस बार सवाल यह है कि क्या राजस्थान का आगामी विधानसभा चुनाव 56 इंच का सीना बनाम मिशन 156 होगा? दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अलग-अलग संभागों के दौरे कर रहे हैं तो बीजेपी ने नया प्रदेशाध्यक्ष देकर नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. 


56 इंच का सीना बनाम मिशन 156 होगा (Rajasthan election 56 inch chest vs mission 156)


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बीजेपी के अपने दावे हैं तो इधर सीएम अशोक गहलोत भी अपने दावों में कमी नहीं छोड़ रहे. आज तो भरतपुर में पूर्वी राजस्थान की धरती से मुख्यमंत्री ने ऐलान कर दिया कि वे मिशन 156 पर काम कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी तो पूरी तरह मोदी के चेहरे और उनकी 56 इंच वाली छवि को ही आगे रखने का मानस लगभग बना चुकी है.


अशोक गहलोत ने मिशन 156 का ऐलान किया (Ashok Gehlot announced Mission 156)


मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत का दावा करते हुए मिशन 156 का ऐलान किया है. सीएम गहलोत ने कहा कि पहले भी उनकी पार्टी की 156 सीटें आई हैं और इस बार जनता फिर से कांग्रेस का साथ देगी. गहलोत ने कहा कि उनकी पार्टी के लिए तो माई-बाप जनता ही है. अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 5 साल में उन्होंने कोई नया टैक्स नहीं लगाया. महंगाई से राहत देने की लगातार कोशिश की और सरकार की योजनाओं का फायदा घर-घर में लोगों को मिल रहा है.


 बीजेपी प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने दिया बड़ा बयान


इससे पहले एसएमएस स्टेडियम में भी मीडिया से बात करते हुए सीएम गहलोत मिशन 156 की बात कह चुके हैं. लेकिन सरकार के इन दावों से इतर बीजेपी भी मोर्चा संभाले हुए हैं. विपक्षी पार्टी को सीपी जोशी के रूप में नया प्रदेशाध्यक्ष मिलने के बाद शुक्रवार को महत्वपूर्ण बैठक हुई. संघ के साथ हुई समन्वय बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी शामिल हुए.


सरकार के दावों की काट करते हुए बीजेपी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस का मिशन 156 तो दूर की बात है, बल्कि वे तो शायद 56 के भीतर ही सिमट जाएंगे. अरुण सिंह ने कहा कि खुद कांग्रेस के विधायक और सरकार के मन्त्री ही अगली बार एक फॉर्च्यूनर लायक सवारियां बचने की बात कह चुके हैं.


सीएम गहलोत का दावा- कांग्रेस पार्टी तीस साल के इतिहास को बदल देगी


सीएम गहलोत ने तो 156 का दावा दोहरा दिया है और इस बार अपनी सरकार के काम के दम पर वे इन दावों को सच करने की बात भी कहते हैं.दूसरी तरफ़ कुछ लोग राजस्थान की परिपाटी की बात भी करते हैं. आंकड़ों को देखें तो साल 1993 के बाद से कोई भी पार्टी अपनी सरकार रिपीट नहीं कर सकी है. ऐसे में अगर कांग्रेस ने मुख्यमन्त्री के दावे के मुताबिक प्रदर्शन किया तो कांग्रेस पार्टी पिछले तीस साल के इतिहास को बदल देगी.



लेकिन इन सबके बीच कुछ सवाल भी राजस्थान के लोगों के मन में उठ रहे हैं.


  • सवाल यह कि क्या तीस साल का इतिहास आसानी से बदला जा सकेगा? 

  • सवाल यह कि क्या बीजेपी आसानी से सब होने देगी?

  • सवाल यह कि क्या मुख्यमन्त्री के कॉन्फिडेन्स की ताकत कार्यकर्ता तक पहुंच सकेगी?

  • सवाल यह कि अगर किसी पार्टी के कार्यकर्ता ओवर कॉन्फिडेन्ट होते हैं तो वह क्या असर दिखाएगा?

  • सवाल यह कि क्या आम आदमी पार्टी चुनाव में समीकरण बनाने-बिगाड़ने में असर डालेगी?


और सबसे बड़ा सवाल यह कि कांग्रेस हो चाहे बीजेपी नेताओं की आपसी होड़ और मनमुटाव किस पार्टी को फायदा देगा और किसको नुकसान?


एक नजर राजस्थान की सत्ता पर


साल 1993 से 1998 - बीजेपी और अन्य ने 124 विधायकों के साथ सरकार चलाई.
साल 1998 में सरकार बदली - कांग्रेस 156 सीट के साथ सत्ता में आई.
साल 2003 में सरकार फिर बदली - बीजेपी 123 सीट के साथ सत्ता में आई.
साल 2008 में सरकार फिर बदली - कांग्रेस 102 सीट के साथ सत्ता में लौटी.
साल 2013 में सरकार फिर बदली - बीजेपी 163 के बम्पर बहुमत से लौटी. जबकि कांग्रेस 21 पर सिमटी.
साल 2018 में सरकार फिर बदली - कांग्रेस 101 सीट के साथ सत्ता में आई.


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विधानसभा चुनाव में एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी का ट्रेंड रहा, लेकिन साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राजस्थान की सभी 25 सीट पर क्लीन स्वीप किया. सीएम अशोक गहलोत लगातार अलग संभागों के दौरे पर हैं. गहलोत सरकार मिशन 156 पर काम करना शुरू कर दिया गया है. सीएम गहलोत ने ताल ठोक कर कहा की राजस्थान को देश में नंबर वन बनाने का काम किया है. यही वजह है कि दूसरे राज्य भी राजस्थान की योजनाओं को फॉलो कर रहे हैं. लेकिन बड़ा सवाल है कि ये तो वक्त बताएगा की ऊंट किस करबट बैठेगा.