Jaipur: प्रदेश में एक बार फिर से विधानसभा के उपचुनाव हो रहे हैं. इस बार 5 दिसंबर को चूरू जिले की सरदारशहर सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान होगा. यहां से विधायक रहे पंडित भंवर लाल शर्मा के निधन के बाद सीट खाली हुई है. सरदारशहर में चुनाव की घोषणा होने के साथ ही दोनों पार्टियां भी सक्रिय दिख रही हैं.


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कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला


हालांकि पीसीसी के चीफ और पूर्व मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि उनकी पार्टी पहले से ही चुनाव के लिए तैयार है. दूसरी तरफ बीजेपी ने भी अपनी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं. साल 2023 में होने वाले चुनाव के लिहाज से लगातार चुनाव अभियान में जुटी बीजेपी रविवार से अपने बूथ अभियान प्रभारियों की कार्यशाला भी कर रही है. सरदारशहर में मुख्य रूप से मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही होने की बात कही जा रही है, लेकिन हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी अपने प्रत्याशी उतार सकती हैं.


अलबत्ता, उपचुनाव में आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी भारी रहती है. 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले इस उपचुनाव को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. कांग्रेस की तरफ से बात करें तो पंडित भंवर लाल शर्मा की परिवार में से ही किसी को यह टिकट दिया जाना तय है. हालांकि अभी तक भंवरलाल शर्मा के पुत्र को प्रत्याशी बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन परिवार में ही दूसरे लोग भी टिकट पर दावेदारी करने की मंशा रखते हैं. ऐसे में कांग्रेस को भंवरलाल शर्मा के परिवार के लोगों में तालमेल बिठाकर किसी एक नाम पर राजी भी करना होगा.


अशोक पींचा की हो सकती है दावेदारी


उधर, बीजेपी से अशोक पींचा की दावेदारी हो सकती है. लेकिन पिछली बार पींचा ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाए थे. विधानसभा चुनाव हारने के बाद से भी अशोक पींचा क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय नहीं दिखे हैं और इसी के चलते इस बार बीजेपी यहां से नया चेहरा उतार सकती है. एक संभावना इस बात की है कि चूरू के पूर्व जिला प्रमुख और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ के करीबी हरलाल सहारण को भी बीजेपी का प्रत्याशी बनाया जा सकता है. आरएलपी भी अब तक उपचुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही है.


2013 के विधानसभा चुनाव के बाद अब तक हुए 7 उप चुनाव 


प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक सात उपचुनाव हुए हैं. जिनमें से पांच सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने जबकि एक बीजेपी ने और एक आरएलपी ने जीता है. अभी तक हुए उपचुनाव में से मंडावा, सहाड़ा, सुजानगढ़, वल्लभनगर और धरियावद की सीट कांग्रेस के पक्ष में गई है. जबकि बीजेपी के खाते में एकमात्र राजसमंद सीट गई है. इसी तरह खींवसर की सीट आरएलपी के खाते में गई है. यहां से हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने के बाद उनके भाई नारायण बेनीवाल विधायक निर्वाचित हुए थे. 2013 के बाद से जिन 7 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं उनमें से 5 सीटों पर निर्वाचित विधायक के निधन के बाद, जबकि खींवसर और मंडावा की सीट पर विधायक के लोकसभा चुनाव जीत जाने के चलते उपचुनाव हुए हैं.


यादगार रहा पंडित भंवरलाल शर्मा का सफर


सरदार शहर से साल 2013 में विधायक रहे पंडित भंवरलाल शर्मा के निधन के चलते यह सीट खाली हुई है. भंवरलाल शर्मा का सफर काफी यादगार रहा. छह बार के विधायक भंवरलाल शर्मा ने जनता दल और कांग्रेस के साथ ही लोकदल के टिकिट पर भी चुनाव जीता. पहला चुनाव तो भंवरलाल शर्मा ने सरदारशहर सीट से पहले विधायक रहे चन्दनमल बैद को हराकर जीता था.


साल 1985 में भंवरलाल लोकदल के प्रत्याशी थे जबकि चन्दनमल बैद कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव लड़े थे. भंवरलाल शर्मा ने अपने पहले चुनाव में ही पांच बार के विधायक चन्दनमल बैद को हराया था. ब्राह्मण और जाट वोटर बहुल वाली इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से भंवरलाल शर्मा के परिवार में ही टिकिट देनी की तैयारी है. हालांकि बीजेपी के कुछ नेताओं का मानना है कि पंडित शर्मा के जाने के बाद परिवार के सदस्यों का इतना व्यापक प्रभाव जनता पर नहीं है, लिहाजा इस बार कांग्रेस की दाल गलना मुश्किल है. उधर बीजेपी भी इस सीट से मजबूत टक्कर देकर विधानसभा चुनाव से पहले अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करेगी.


सीईओ ने कलेक्टर और एसपी के साथ की बैठक


उप चुनाव को लेकर सीईओ प्रवीण गुप्ता ने चूरू कलेक्टर और एसपी के साथ बैठक की, जिसमें आचार संहिता की पालना के निर्देश दिए गए. चुनावी घोषणा के साथ ही जिले में आचार संहिता प्रभावी हो गई. उन्होंने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ भी बैठक की. इस दौरान उन्हें सी-विजिल एप, केवाईसी, पीडल्यूडी एप और होम वोटिंग एप के बारे में जानकारी दी गई.