Delhi: राजस्थान हाउस के नवनिर्माण से पहले पुराने भवन के तोडफोड़ को लेकर विवाद हो गया है. ठेकेदार ने बिना कार्यादेश और अमानत राशि जमा कराए यहां तोडफोड़ कर दी. इसके चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर जांच करने पहुंचे अधिकारियों के साथ ठेकेदार के कर्मचारियों ने बदतमीजी की. मामले के तूल पकड़ने पर सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने ठेकेदार से आनन-फानन में सोमवार को अमानत राशि जमा करवाई और कार्यादेश जारी किया, लेकिन इससे दो दिन पहले ही ठेकेदार ने बिल्डिंग को तोड़कर बेशकीमती सामान भी ले जाने लगे थे. इसकी शिकायत होने पर प्रशासन हरकत आया और आज वर्क ऑर्डर जारी किया गया.


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राज्य सरकार ने राजस्थान हाउस के नए भवन निर्माण के लिए पुराने भवनों के तोड़ने का ठेका किया था. इसमें सफल हुए ठेकेदार असलम बिल्डर्स को नियमानुसार अमानत राशि के 1 करोड़ 72 लाख रुपए जमा करवाने थे, लेकिन उसने 94.20 लाख रुपए ही जमा करवाए. ऐसे में विभाग ने उसे कार्यादेश नहीं दिया. इस बीच ठेकेदार के कर्मचारी राजस्थान हाउस में पहुंच गए और तीन-चार दिन पहले तोडफोड़ कर सामान ले जाने लगे. यहां से ठेकेदार ने बड़ी संख्या में खिड़की-दरवाजे समेत अन्य सामान निकाल लिया. बिना कार्यादेश और अमानत राशि जमा नहीं कराने की शिकायत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंची. 


उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग के संयुक्त सचिव हरसहाय मीणा, सार्वजनिक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता वीएल धाकड़ और मुख्य लेखा अधिकारी कौशल्या को शामिल कर जांच कमेटी बनाई. यह तीनों अधिकारी सोमवार दोपहर राजस्थान हाउस पहुंच गए. जहां इन्होंने ठेकेदार के कर्मचारियों से कार्यादेश मांगते हुए काम बंद करने के लिए कहा. इस पर कर्मचारियों ने अधिकाारियों का विरोध करते हुए गाली-गलोच और हाथापाई तक नौबत आ गयी थी.


इसके चलते तीनों अधिकारी बीकानेर हाउस स्थित आवासीय आयुक्त शुभ्रा सिंह के पास पहुंचे और अपना विरोध दर्ज कराया. मामला बढ़ता देख निर्माण विभाग ने आनन-फानन में ठेकेदार से बकाया 86 लाख रुपए जमा कराए और हाथों-हाथ कार्यादेश जारी किए. उधर, जोधपुर हाउस में जांच अधिकारी हरसहाय मीणा ने मुख्यमंत्री गहलोत से भी मुलाकात कर मामले की पूरी जानकारी दी. सूत्रों का कहना है कि मीणा ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. उच्चस्तरीय मंत्रणा भी चल रही है.


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