Dev Uthani Ekadashi 2022 Date, Shubh Muhurat: ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की चार माह के शयन के बाद निद्रा पूर्ण हो जाती है और वह पाताल से अपने धाम वैकुण्ठ पुनः लौटते हैं. देवउठनी एकादशी से ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का पूजन दोबारा एक साथ शुरू होता है और इसी कारण से देवउठनी एकादशी के साथ ही सभी मांगलिक कार्य न केवल विवाह सम्बंधित बल्कि गृह प्रवेश, नीव मुहूर्त , मुंडन व अन्य मांगलिक कार्यों का भी आरंभ होता है.


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ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने देवउठनी एकादशी से जुड़ी समस्त जानकारी हमसे साझा की है जिसके आधार पर आज हम आपको इस एकादशी के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं.

देवउठनी एकादशी 2022 मुहूर्त
इस साल देवउठनी एकादशी 4 नवंबर, दिन शुक्रवार को पड़ रही है लेकिन तिथि का आरंभ 3 नवंबर, दिन गुरूवार को शाम के 7 बजकर 31 मिनट से हो रहा है. वहीं, तिथि समापन अगले दिन 4 नवंबर को शाम 6 बजकर 9 मिनट पर होगा.


ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, एकादशी का व्रत 4 नवंबर को ही रखा जाएगा. इसके अलावा, व्रत पारण समय की बात करें तो आप 5 नवंबर को सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक पारण कर सकते हैं.


देवउठनी एकादशी के दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति के घर में शुभता का आगमन होता है. इस दिन तुलसी विवाह (तुलसी विवाह की तिथि) का बहुत अधिक महत्व बताया गया है. देवउठनी एकादशी से ही सभी देवी देवताओं की पूजा शुरू हो जाती है. देवउठनी एकादशी को महत्वपूर्ण इसलिए भी माना जाता है क्योंकि यह मार्तुक माह के मध्य में पड़ती है.


 मान्यताओं के अनुसार, इस एकादशी पर रखे गए व्रत और भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा का दोगुना फल मिलता है. व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसके किसी भी कार्य में कभी कोई अड़चन नहीं आती.

4 नवंबर को देव उठनी एकादशी स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त
ज्योतिष परिषद एव शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि धर्म शास्त्रों की मान्यता के अनुसार, कार्तिक में तुलसी-शालिग्राम की पूजन का विधान है. ऐसी मान्यता है कि इनका पूजन करने और भजन कीर्तन करने से जन्म जन्मांतर के ज्ञात अज्ञात दोषों का समन होता है, साथ ही जीवन में आ रही बाधाओं का निराकरण होने के साथ-साथ पारिवारिक सुख- शांति एवं आध्यात्मिक उन्नति होती है.


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यही नहीं इस माह में यम के निमित्त संपूर्ण माह पर्यंत सूर्यास्त के समय तिल्ली के तेल का दीपक लगाने से भी अज्ञात भय का नाश होता है। साथ ही अनुकूलता और आर्थिक प्रगति प्राप्त होती है. यह भी मान्यता है कि अपने घर की छत के ऊपर अष्ट द्रव्य बना कर मध्य में तिल का तेल का दीपक लगाकर लक्ष्मी, इंद्र, यम, कुबेर के निमित्त ध्यान करके समृद्धि, ऐश्वर्य, प्रगति तथा धार्मिक उन्नति के लिए प्रार्थना करने से अनुकूलता होती है.