Jaipur: राजयोग और रवियोग में देवशयनी एकादशी मनाई जा रही है. जगत के पालनहार 116 दिन के लिए क्षीर सागर में विश्राम करेंगे.  4 नवंबर तक मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा. इस दौरान भगवान की पूजा- अर्चना सब विधिवत होती है बस मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. मांगलिक कार्यों की शुरुआत भगवान विष्णु का विश्राम पूरा होने के बाद ही होती है.

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 इसके साथ जैन मंदिरों में चातुर्मास की शुरुआत भी हुई. चार महीने तक साधु संत एक जगह रहकर जैन धर्म दर्शन की प्रभावना को फैलाएंगे. गोविंद देव जी मंदिर में देवशयनी एकादशी पूजन होगा. मंदिरों और घरों में शयन विधियां करवाई जाएगी.


पानों का दरीबा स्थित सरस निकुंज में महंत अलबेली माधुरी शरण के सान्निध्य में ठाकुर राधा सरस बिहारी जू सरकार को पुष्प शैया पर शयन करवाया जाएगा. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस समयावधि में सावन, तीज, जन्माष्टमी, रक्षाबंधन, पर्यूषण पर्व, गणेश चतुर्थी, करवा चौथ, दशहरा, दिवाली सहित अन्य पर्व आएंगे. भगवान विष्णु की आराधना सभी राशि के जातकों के लिए फलदायी रहेगी.


 28 नवंबर का पहला रेखीय सावा रहेगा. पूर्व आज आखिरी सावे पर एक हजार से अधिक शादियां जयपुर जिले में होगी. वाहन, प्रापर्टी, ज्वैलरी की खरीदी के लिए शुभ दिन दिनभर रहेगा. चार नवंबर को देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु की योग निद्रा पूरी होगी. देवउठनी एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में पड़ती है. ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि चातुर्मास में बारिश का समय रहता है.


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बारिश की वजह से मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं. खान-पान का विशेष ध्यान रखें. इसके साथ ही इस अवधि में विष्णु जी के विश्राम के समय में शिव जी सृष्टि का संचालन करते हैं. इस समय को चातुर्मास कहा जाता है और इन दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते. चातुर्मास में पूजा-पाठ के साथ ही ग्रंथों का पाठ जरूर करना चाहिए.


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