Jaipur News: राजस्थान स्टेट डेंटल काउंसिल चुनाव में धांधली का आरोप लगाया गया है. काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष डॉ विकास जैफ ने आरोप लगाया है कि चुनाव प्रक्रिया नियमों के खिलाफ हुई है. उन्होंने प्रेस वार्ता में कहा कि पैनल के पांच सदस्यों के नामांकन पत्र को नियम विरुद्ध तरीके से खारिज कर दिया गया, जबकि अध्यक्ष पद के दूसरे उम्मीदवार डॉ. एच. एल. गुप्ता के नामांकन पत्र का अनुमोदन डॉ. अंजलि कपूर ने किया, जो चुनाव प्रक्रिया के विरुद्ध और पक्षपातपूर्ण है. डॉ विकास जैफ ने नए सिरे से चुनाव करवाने की मांग की है, ताकि निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे. यह आरोप डेंटिस्ट एक्ट 1948 और इसके 2019 संशोधन के विरुद्ध है. 

 

नियमों में कहीं भी कामन प्रस्तावक या अनुमोदक के आधार पर नामांकन खारिज करने का प्रावधान नहीं

एंकर -राजस्थान स्टेट डेंटल कौंसिल के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और कार्यकारी सदस्य पदों के चुनाव 29 अक्टूबर को जयपुर के एक निजी होटल में हुए. राजस्थान स्टेट डेंटल कौंसिल (आरएसडीसी ) चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए डॉ. विकास जैफ ने चुनाव प्रक्रिया को नियमों के खिलाफ बताया. 

 


 

चुनाव की अध्यक्षता डॉ. अंजलि कपूर ने की और चुनाव अधिकारी डॉ. संकल्प मित्तल थे. वर्तमान अध्यक्ष डॉ. विकास जैफ ने आरोप लगाया कि उनके और उनके पैनल के पाँच सदस्यों के नामांकन पत्र कामन प्रस्तावक और अनुमोदक के आधार पर नियम विरुद्ध तरीके से खारिज कर दिए गए, जबकि अध्यक्ष पद के दूसरे उम्मीदवार डॉ. एच. एल. गुप्ता के नामांकन पत्र का अनुमोदन स्वयं डॉ. अंजलि कपूर ने किया, जो चुनाव प्रक्रिया के विरुद्ध और पक्षपातपूर्ण है.

 


 

डॉ. जैफ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि डेंटिस्ट एक्ट 1948 और इसके 2019 संशोधन तथा राजस्थान स्टेट डेंटल कौंसिल नियमों में कहीं भी कामन प्रस्तावक या अनुमोदक के आधार पर नामांकन खारिज करने का प्रावधान नहीं है. डॉ. संकल्प मित्तल और डॉ. अंजलि कपूर ने निर्णय को राज्य सरकार को भेजने की बात कही थी, लेकिन डॉ. जैफ के अनुसार, चुनाव अधिकारी ने गुपचुप तरीके से उसी दिन परिणाम घोषित करवा कर डॉ. एच. एल. गुप्ता को अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को कार्यकारी सदस्य के रूप में अधिसूचित करवा दिया.

 


 

 

पिछले चुनाव में भी डॉ. संकल्प मित्तल पर इसी प्रकार के आरोप लगे थे, जब 2023 में हस्ताक्षर मिलान के आधार पर डॉ. जैफ और उनके पैनल के तीन सदस्यों के नामांकन खारिज कर दिए गए थे. राज्य सरकार ने बाद में उस चुनाव को निरस्त कर फिर से चुनाव कराने के निर्देश दिए थे. इस बार भी डॉ. ललित जेलिया का नामांकन हस्ताक्षर मिलान के आधार पर खारिज किया गया, जिसकी याचिका राजस्थान उच्च न्यायालय में लंबित है.

 

डॉ. जैफ ने चुनाव में हुई अनियमितताओं और पक्षपात के खिलाफ राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच और नियमों के अनुसार पुनः चुनाव कराने की मांग की है. चुनाव में नियमों की अनदेखी और मनमानी प्रक्रिया के चलते अधिकांश सदस्यों ने भी आपत्ति जताई है.

 

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