Divya Maderna: दादा-पिता रहे मारवाड़ के दिग्गज नेता, अब बेटी सियासत में गढ़ रही नए आयाम
Divya Maderna: दिव्या मदेरणा राजस्थान कांग्रेस की नेत्री है और वर्तमान में जोधपुर के जिले के ओसिया विधानसभा सीट से विधायक है. वो इस बार ओसिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही है.
Divya Maderna: दिव्या मदेरणा राजस्थान कांग्रेस की नेत्री है और वर्तमान में जोधपुर के जिले के ओसिया विधानसभा सीट से विधायक है. वो इस बार ओसिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही है. उन्होंने पहली बार 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और उन्हें अपने पहले ही चुनाव में सफलता मिली. दिव्या मदेरणा को कांग्रेस की युवा नेता कहा जाता है और राजस्थान की राजनीति में विशेषकर कांग्रेस में एक उभरती महिला नेता भी मानी जाती है.
दिव्या मदेरणा तो राजनीति में नई हों, मगर मदेरणा परिवार राजस्थान की राजनीति से कई दशकों से जुड़ा हुआ है. एक समय मदेरणा परिवार ने राजस्थान की राजनीति में अपना वर्चस्व बनाए रखा था. दिव्या मदेरणा के दादा और उनके माता-पिता भी राजनीति में रह चुके हैं, और उन्होंने राजस्थान की कांग्रेस की सरकार में मंत्री का पद भी संभाला है.
दिव्या मदेरणा का जन्म और परिवार
दिव्या मदेरणा का जन्म 25 अक्टूबर, 1984 को राजस्थान के जोधपुर जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम महिपाल मदेरणा और माता का नाम लीला मदेरणा है. उनके पिता, महिपाल मदेरणा, राजस्थान के कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके थे और वे एक समय में राज्य के प्रमुख नेता भी माने जाते थे. उनके पिता की मृत्यु 2021 में हो गई. दिव्या मदेरणा की माता, लीला मदेरणा, भी सक्रिय राजनीति में हैं और वर्तमान में जोधपुर जिला प्रमुख के पद पर हैं.
दिव्या मदेरणा के दादा, परसराम मदेरणा, भी कांग्रेस के अग्रणी नेता रहे हैं. वे तात्कालिक कांग्रेस सरकार में मंत्री और राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं. दिव्या की एक बहन भी है. दिव्या मदेरणा हिन्दू धर्म के अनुयायी हैं और वे जाट जाति से हैं.
दिव्या मदेरणा का राजनीतिक करियर (Divya Maderna Political Career)
दिव्या मदेरणा राजस्थान के राजनैतिक परिवार से हैं और उनके परिवार ने राजस्थान की राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाई है, इसलिए उन्हें राजनीति का अच्छा ज्ञान घर से ही प्राप्त हुआ. दिव्या मदेरणा ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत पढ़ाई के तुरंत बाद की, 2010 से. उन्होंने 2010 में जोधपुर जिले के डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के चुनाव में प्रतिष्ठान प्राप्त की और उन्हें उस चुनाव में विजय मिली. इसके बाद, उन्हें 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस द्वारा जोधपुर के ओसिया विधानसभा सीट से पुनर्निर्वाचित किया गया, जिसमें उन्होंने पहले ही चुनाव में विजय प्राप्त की और वह पहली बार राजस्थान विधानसभा में विधायक बनीं.
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अगर हम दिव्या मदेरणा की राजनीतिक उपलब्धियों की बात करें तो, तो उन्हें युवा नेत्री होने के कारण अभी तक अधिक काम करने का अवसर नहीं मिला है, हालांकि उन्होंने कांग्रेस के प्रमुख राहुल गांधी से कई बार मिल चुकी हैं. 2021 में, उन्हें आदर्श युवा विधायक का सम्मान भी प्रदान किया गया है. दिव्या मदेरणा एक युवा नेत्री हैं, जिसके कारण वह युवा वर्ग में बहुत प्रसिद्ध हैं. उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों से जुड़ी रहती हैं और अपने चित्रों को साझा करती रहती हैं.
राजस्थान कांग्रेस की दिव्या मदेरणा के परिवार के बारे में विवरण देते हुए, उन्हें मदरेणा परिवार की तीसरी पीढ़ी माना जा सकता है. मदरेणा परिवार ने राजस्थान कांग्रेस में तीन दशकों से पहले से ही सक्रिय भूमिका निभाई थी. उनके पिता और दादा ने अपने समय में कांग्रेस की सरकारों में मंत्री के रूप में सेवा की थी. इसके अलावा, राजस्थान के वोटर्स पर उस परिवार का बहुत मजबूत नियंत्रण था.
वर्ष 1980 में, परसराम विधायक और राजस्थान सरकार के मंत्री थे, जबकि दो वर्ष बाद, यानी 1982 में, परसराम ने अपने बेटे और दिव्या मदेरणा के पिता महिपाल मदेरणा को पहली बार जिला प्रमुख बनने का मौका दिया. उन्होंने लगातार जीत हासिल की और 2003 तक उनका प्रमुख के पद पर दबदबा बना रहा.
2003 के बाद, दिव्या मदेरणा के दादा परसराम ने चुनाव लड़ना छोड़ दिया और उन्होंने अपने बेटे महिपाल मदेरणा को आगे बढ़ाया.
इसके बाद, महिपाल मदेरणा ने विधानसभा का चुनाव लड़ा और विजय प्राप्त की. उन्होंने अपने पिता की तरह राजस्थान की राजनीति में लगातार आगे बढ़ते रहे हैं और आगे बढ़कर मंत्री भी बने.
स्वतंत्रता के बाद, राजस्थान के शिक्षित नेताओं में उन्होंने एक विशेष छवि बनाई, जिसका कारण उनसे बड़े अधिकारी भी तर्क-वितर्क करने में सावधान रहते थे. उन्हें अपने पास आने वाले लोगों के साथ सही से काम करवाने का दम था और इससे उनकी जनता में बड़ी पॉपुलैरिटी बनी रही.
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बाद में, जब उनके पुत्र महिमाल ने राजनीति में कदम रखा, तो वह भी अपने पिता की तरह किसान नेता बने और जल्दी ही आगे बढ़े. उनकी दबंग छवि के कारण उनकी भी प्रदेश में बड़ी छाया बनी रही.
हालांकि, उस परिवार को एक विवाद के कारण भी झटका लगा. राजस्थान के 2013 में प्रसिद्ध भंवरी देवी हत्याकांड में, जिसमें महिपाल मदेरणा को सीबीआई जाँच में दोषी पाया गया और उन्हें मंत्री पद त्यागना पड़ा, इस विवाद के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा.
एक लंबे अंतराल के बाद, 2018 में मदरेणा परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में दिव्या मदेरणा ने राजस्थान की राजनीति में सक्रियता बढ़ाई और वह जीत कर विधायक बन गईं.