सूर्य ग्रहण के चलते इस बार छह दिन का होगा दीपोत्सव, दिवाली के अगले दिन नहीं होगी गोवर्धन पूजा
साल 2022 के आखिरी सूर्य ग्रहण के कारण इस बार दीपोत्सव छह दिवसीय होगा.चतुर्दशी युक्त अमावस्या में दिवाली का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा.दिवाली फेस्टिवल की शुरुआत 22 अक्टूबर को धनतेरस के साथ होगी.इसके बाद 23 अक्टूबर को रूप चौदस, 24 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी। 25 अक्टूबर को गोवर्धन पूजन, अ
जयपुर: साल 2022 के आखिरी सूर्य ग्रहण के कारण इस बार दीपोत्सव छह दिवसीय होगा.चतुर्दशी युक्त अमावस्या में दिवाली का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा.दिवाली फेस्टिवल की शुरुआत 22 अक्टूबर को धनतेरस के साथ होगी.इसके बाद 23 अक्टूबर को रूप चौदस, 24 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी। 25 अक्टूबर को गोवर्धन पूजन, अन्नकूट महोत्सव नही मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य ग्रहण होने से अगले दिन 26 को गोवर्धन पूजा और 27 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा.
छह दिवसीय दिवसीय दीपोत्सव पर्व का धनतेरस के साथ आगाज होगा.मां लक्ष्मी की आराधना का पर्व दीपावली उल्लास से मनाने की तैयारियां पूरी हो गई है.दीपोत्सव के इस त्यौहार दिवाली पर इस बार कई अनूठे संयोगों का संगम होगा. पांच के बजाय इस साल छह दिवसीय दीपोत्सव को लेकर शहरवासियों में काफी उत्साह नजर आ रहा है. 24 अक्टूबर को दिवाली पर्व के मद्देनजर दिवाली की जमकर खरीदारी करने की योजना के साथ ही धन धान्य की देवी महालक्ष्मी के आगमन की तैयारियों में जुटे हैं .घरों को चमकाने और सजाने में जयपुराइट्स लगे हुए हैं.इस बीच बाजारों में भी एक से बढ़कर एक थीम के अनुसार सजावट और रोशनी की गई हैं.
दीपोत्सव पर्व की शुरूआत 22 अक्टूबर को धनतेरस से होगी. हालांकि पर्व के मद्देनजर आमजन में असमंजस है लेकिन पर्व की खरीददारी शनिवार-रविवार को होगी. इस अवसर पर बाजारों में पूरी तरह से धनतेरस के साथ अगले दिन त्रयोदशी तिथि होने से खरीददारी परवान पर रहेगी.वाहन, बर्तन, ज्वैलरी, आभूषण, प्रापर्टी, इलेक्ट्रॉनिक सामानों की बंपर बिक्री होने के पूरे आसार हैं. ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि धनतेरस के दीपदान के लिए सूर्यास्त के बाद त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल में होना जरूरी है. जो इस बार 22 अक्टूबर शनिवार को अधिक समय मिल रही है. इसलिए धनतरेस का पर्व शनिवार को मनाना शास्त्र सम्मत है.पर्व के लिए सूर्यास्त के बाद प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी होना जरूरी है यानि सूर्यास्त के बाद दो घंटे 24 मिनट प्रदोष काल कहलाता है.शर्मा ने बताया कि 22 को त्रयोदशी तिथि शाम 6.03 बजे शुरू होगी. प्रदोष काल रात 8.13 बजे तक रहेगा.दो घंटे दस मिनट की अवधि शनिवार को प्रदोष काल में रहेगी. अगले दिन रविवार को प्रदोष काल शाम 5.48 बजे शुरू होगा, जबकि त्रयोदशी 16 मिनट बाद ही समाप्त होगी.जो पर्व के लिए काफी कम रहेगी.इसी दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरी की जयंती भी मनाई जाएगी.धातु-पदार्थ, सोना चांदी, बर्तन समेत अन्य खरीददारी करना इस दिन शुभ माना गया है.धनतेरस पर खरीदारी करने से धन में तेरह गुना की वृद्धि होती है.
22 से 27 अक्टूबर दीपोत्सव
22 अक्टूबर - धनतेरस : शनिवार
23 अक्टूबर -धन्वंतरी जयंती, रूप चतुर्दशी, छोटी दिवाली, हनुमान जयंती: रविवार
24 अक्टूबर - दिवाली : सोमवार
26 अक्टूबर - गोवर्धन पूजा अन्नकूट महोत्सव : बुधवार
27 अक्टूबर - भाई दूज
धनतेरस पर्व का कर्मकाल. प्रदोष युक्त तेरस अर्थात सूर्यास्त वार तेरस होना जरूरी
तेरस तिथि प्रारंभ सूर्यास्त प्रदोष समय
22 अक्टूबर शनिवार सायं 6.03 सायं 5.49 सायं 5.49 से 8.13
23 अक्टूबर रविवार शाम 6.04 बजे तेरस तिथि समाप्त सायं 5.48 सायं 5.48 से 8.12
दो दिन होगी खरीददारी
ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया की 22 अक्टूबर को धनतेरस पर सुबह भगवान धनवंतरि का पूजन होगा.विशेषकर प्रतिष्ठानों में पूजन-अनुष्ठान किया जाएगा.आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरी की पूजा, दवा दुकान, आयुर्वेदिक औषधि केन्द्रों और अस्पतालों में पूजन किया जाएगा.इस दिन दोपहर 12.59 तक पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र है.इसके बाद उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र है.ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वाहन, आभूषण, बर्तन, वस्त्रों की खरीदारी शुभ है.कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी युक्त प्रदोष व्यापिनी अमावस्या पर 24 अक्टूबर को दिवाली मनाएंगे.24 अक्टूबर की शाम को श्रीगणेश-लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना होगी.अगले दिन अमावस्या 25 अक्टूबर को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा.लिहाजा गोवर्धन पूजा नहीं हो सकेगी.प्रभु को अन्नकूट का भोग भी नहीं लगेगा. 25 अक्टूबर को शाम 4.32 बजे सूर्य ग्रहण शुरू होगा.जो शाम 6.32 तक रहेगा..ऐसे में सूतक 12 घंटे पहले यानी सुबह 4.31 बजे से शुरू होगा.25 अक्टूबर को शाम 5.57 बजे तक सूर्यग्रहण का मोक्ष होगा.
इससे पहले 27 साल वर्ष पहले दिवाली पर 24 अक्टूबर 1995 को सूर्य ग्रहण पड़ा था.सूर्य ग्रहण के दिन गोविंद देवजी मंदिर में शाम को दर्शन खुले रहेंगे. 25 अक्टूबर गोविंददेवजी मंदिर में शाम 5 बजे वाली ग्वाल झांकी नहीं होगी.संध्या झांकी 5.45 से 6.45 के बजाय 7.30 से 8.15 तक व शयन झांकी रात 8 से 8.15 के बजाय 8.45 से रात 9 बजे तक होगी. ग्रहण काल के दौरान मंदिर के पट खुले रहेंगे और हरिनाम संकीर्तन होगा. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार दिवाली पूजा पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं होगा. बिड़ला तारामंडल के सहायक निदेशक संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि सूर्य ग्रहण देखने के लिए एक्लिप्स ग्लास का इस्तेमाल करें. इस दौरान चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीचों बीच आ जाएगा, जिससे चन्द्रमा की परछाई पृथ्वी पर पड़ेगी और कुछ देर के लिए सूर्य का प्रकाश कम दिखाई देगा. भारत के अधिकांश हिस्सों में ग्रहण के साथ ही सूर्य अस्त हो जाएगा.यूरोप, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, अफ्रीका के कुछ देशों उत्तरी हिन्द महासागर, पश्चिमी एशिया आदि में अधिक समय तक रहेगा.
बाजारों में तैयारियां शुरू
बहरहाल, दीपावली पर्व के पीछे एक मात्र उद्देश्य खुशियां मनाना होता है.दीपों की रोशनी, आतिशबाजी की लड़ियां जलाकर उत्साह व उल्लास पूर्व मनाई जाती है. यह परंपरा पूरे देश में एक समान सदियों से चली आ रही है.दीपोत्सव का पर्व मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के 14 वर्ष वनवास से लौटने की खुशी में मनाई जाती है. इस दिन लोग नए वस्त्र धारण कर अपनों को मिठाई बांटकर खुशियां मनाते हैं..साथ ही हर घर में मां लक्ष्मी की पूजा होती है. यहां के लोग लगातार धनतेरस, छोटी दीवाली, दीवाली, गोवर्धनपूजा, भाईदूज तक इस पर्व की खुशी में डूबे रहते हैं