Dussehra 2022 : जयपुर शहर में अलग अलग जगहों पर रामलीला के मंचन के लिए अलग अलग शहरों से कलाकारों की टीम आई है. पर्दे पर अलग अलग किरदार निभाने वाले कलाकारों की इतर परदे के पीछे जिंदगी रोचक है.निजी जीवन में एमबीए, पीएचडीधारी होने के साथ निजी और सरकारी कर्मचारी हैं. कई कलाकार खुद का व्यापार चलाने के साथ ही कामकाज को छोड़कर रामलीलाओं में अलग-अलग किरदारों में रोल अदा कर रामराज के बारे में जनमानस को धर्म संस्कृति से जोड़ रहे हैं.


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फिल्मी कलाकारों को तो हर कोई जानता है. लेकिन आज हम आपको उन कलाकारों से रूबरू करवा रहे हैं, जिनके किरदार ही उनकी पहचान बने हुए हैं. शहर में रामलीला करने वाले ये कलाकार इसी में रच और बस गए हैं और सालों से रामलीला के किरदारों की भूमिका में जीते हैं. मकसद सिर्फ एक है राम के सदगुणों का प्रचार, इसके लिए देशभर का भ्रमण करते रहते हैं. खासबात है की इसमें कोई अनपढ़ नहीं सभी उच्च शिक्षित हैं. इतना ही नहीं सरकारी नौकरी, अच्छी कंपनियों में जॉब के साथ डॉक्टर्स, टीचर के साथ प्रोफेशनल डिग्रीधारी रामलीला के मंचन में पौराणिक किरदार निभा रहे हैं. 



आदर्शनगर स्थित राममंदिर में सुरभि कला केंद्र कोटा के बैनर तले दसवीं रामलीला में चौथी पीढ़ी अभिनय कर रही है. जिसमें तीन साल से लेकर 70 साल तक के कलाकार रामलीला में अलग अलग किरदार निभा रहे हैं. कोरोना के चलते दो साल से मंचन नहीं होने के कारण तीन महीने पहले तैयारी और अब दो से तीन घंटे रोजाना रिहर्सल कलाकार कर रहे हैं. युवा कलाकारों में भी रूझान बढ़ा है. महिला कलाकार घर संभालने के साथ बखूबी एक नहीं बल्कि चार से पांच किरदार निभा रही है. नवरात्र में खाने से लेकर संयम की पालना भी कलाकार कर रहे हैं. सुरभि कला केन्द्र के डायरेक्टर श्रीनाथ गौतम कई सालों से इस रामलीला में अलग-अलग भूमिका निभा रहे हैं.


इस रामलीला में वे रामलीला में दशरथ और नारद बनकर लोगों पर छाप छोड़ रहे हैं. कोटा से आए करीब 48 कलाकार श्रीरामचरित मानस के विभिन्न प्रसंगों पर रामलीला को साकार कर रहे हैं. इनमें रामलीला की महिला पात्रों का किरदार महिलाएं ही निभा रही हैं. रामलीला में 13 महिलाएं अभियन कर रही है. जो सीता, कैकयी, कौशल्या, सुमित्रा, मंदोदरी, मंथरा, सुर्पनखा, अहिल्या, पार्वती, ताडक़ा जैसे मुख्य किरदारों के साथ अन्य महिला पात्रों का किरदार निभा रही है. श्रीनाथ गौतम कहते हैं कि रामलीलाओं ने पहले पुरुष ही अभियन निभा रहे थे. समय के साथ रामलीलाओं में भी बदलाव किया गया. 


साल 2006 में रामलीलाओं में महिला पात्रों का किरदार निभाने के लिए महिलाएं आगे आई. जयपुर में पहली बार 2013 में रामलीला में महिलाएं अपनी भूमिका निभाने लगी. अब रामायण की सभी महिला पात्रों का अभिनय महिलाएं ही कर रही है.


देखिए रामलीला में कौन क्या निभा रहा है और कौन कितना पढ़ा लिखा है


कलाकार-किरदार-शिक्षा-नौकरी
श्रीनाथ गौतम--दरशथ--रिटायर्ड कृषि अधिकारी
आशीष गौतम-राम--MBA (प्राइवेट जॉब)
डॉ.कमल गौतम-लक्ष्मण-P.hD MBA (कोटा में कोचिंग मैनेजमेंट )
डॉ.ममता श्रृंगी-सीता-BAMS (आयुर्वेदिक चिकित्सक)
अभिषेक गौतम-हनुमान-MBA (प्राइवेट जॉब दिल्ली में यूनिवर्सिटी)
शिवकांत गौतम-रावण-ग्रेजुएट (खुद का बिजनेस)
नीतेश श्रृंगी-भरत-B.Tech (जयपुर में कंपनी में जॉब)
शिवराज सिंह-शत्रुघ्न-ग्रेजुएट (फोटोग्राफर)
नवनीत गौड-जनक-B. Ed (कैंटीन इंचार्ज कोटा)
मीना गौड-कौशल्या-ग्रेजुएट (हाउस वाइफ)
सुनीता गौतम-कैकई-M.Sc. (हाउस वाइफ)
अर्चना सैनी-सुमित्रा-M. Phil (प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी)
एमएल शर्मा-विश्चामित्र-सरकारी टीचर
नवीन यादव-कामदेव-पार्षद कोटा दक्षिण


रामलीला में सीता का किरदार निभा रही डॉ.ममता श्रृंगी ने बताया कि बीएमस के बाद धीरे-धीरे किरदार निभाने का मन बनाया. ताकि समाज को एक संदेश दे सकूं. आयुर्वेद में भी संस्कृत में चौपाइयां रहती है, तो आसानी रही. महिलाएं हमेशा पतिव्रता धर्म निभाएं. वहीं मीना गौड़ घर संभालने के साथ-साथ माता कौशल्या, अहिल्या, सबरी सहित अन्य किरदार निभा रहे है. इनके पति भी रामलीला में अभिनय कर रहे हैं. इसके साथ ही सरकारी अध्यापक विश्वामित्र का रोल निभा रहे हैं.



कई महिलाएं ऐसी है जिनके बच्चे छोटे होने के बावजूद यह कार्य कर रही है. भरत का किरदार निभा रहे नीतेश श्रृंगी ने बताया की सुबह वो ड्यूटी पर जाते हैं और रात को मंच पर अपना किरदार निभाते हैं. रामलीला मंचन में शिवकांत गौतम भले ही रावण के किरदार में दहाड़ रहे हैं. वो कहते हैं की उन्होने भगवान श्रीराम उसके बाद मेघनाथ का किरदार भी निभाया हैं. रावण भी दर्शकों का चहेता है और यदि रावण ना होता, तो रामलीला कैसे बनती.


हालांकि मंच पर वे रावण का रोल अदा करते हो लेकिन भगवान राम के प्रति उनकी आस्था हैं. उधर एमबीए कर चुके आशीष गौतम रामलीला में राम की भूमिका को जीवंत कर रहे हैं. वे बताते हैं की मंच पर केवल भगवान श्रीराम ही नजर आते हैं. जब भी वो प्रभु श्रीराम का मुकुट पहनते हैं उन्हें अंदर से एक ऊर्जा मिलती है जो उन्हें किरदार निभाने में बेहद मदद करती है. 


किरदार निभाने वाले कलाकारों का कहना हैं की रामलीला के लिए अपनी नौकरी और पढ़ाई छोड़कर अभिनय कर रहे हैं. अभियन ही नहीं अपने किरदार को जीते भी हैं. इन्होने हमारी संस्कृति और परंपराओं से युवाओं को जोड़ने के लिए अभियन का क्षेत्र चुना है. मंच संचालन के साथ ही सबसे ज्यादा लोग मंच के पीछे सक्रिय होते हैं, लाइटिंग से लेकर म्यूजिक तक, ड्रेस से लेकर साउंड तक का जिम्मा अलग-अलग उठाते हैं. मंचन का यूटयूब पर लाइव करने के साथ ही तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. संगीत का जिम्मा संभालने वाले 60 से ज्यादा अवॉर्ड जीतने वाले हरीश गंधर का कहना है कि प्राचीन संगीत पद्धतियों के बीच संवाद भी रोचक होता है.



उधर जवाहरनगर रामलीला समिति जयपुर के बैनर तले जवाहरनगर सेक्टर-पांच शिवमंदिर में मथुरा के ब्रजचंद्र रामलीला कृष्णलीला मंडल के 30 से अधिक कलाकार बीते 10 साल से जयपुर आ रहे हैं. निर्देशक पवन कुमार व्यास ने बताया कि कई कलाकार दुबई में साल दर साल कामकाज करने के साथ ही भागवत के पाठ कर चुके हैं. मथुरा की तर्ज पर यहां रामलीला मंचन में महिला कलाकर नहीं है, मर्यादित रामायण के चलते पुरूष ही महिलाओं का किरदार निभा रहे हैं.


बहरहाल, बदलते दौर में रामलीला के मंचन को आकर्षक बनाने के लिए बड़े पैमाने पर तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. हर आयोजक अपनी-अपनी रामलीला को बेहतर साबित करने के लिए कुछ ना कुछ अलग करने की कोशिश में जुटे रहते हैं. आदर्श नगर में आयोजित हो रही संपूर्ण रामलीला आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल का सबसे बेहतरीन उदाहरण है. यहां मंचन को प्रभावशाली बनाने के लिए यहां साउंड और लाइट इफेक्ट का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. मंचन देखने के लिए पहली पंक्ति से आखिरी पंक्ति तक बैठे दर्शकों को एक समान आवाज सुनाई दें, इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.


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