Education news: अध्यापन के क्षेत्र में काम करना वाले और इस विषय की पढ़ाई करने वालों के जरूरी खबर और काम की खबर है. भारत के एजुकेशन सिस्टम में बदलाव करते हुए  सरकार ने बीएड यानी बैचलर ऑफ एजुकेशन कोर्स में  फिर से एक बार परिवर्तन करने का मन बनाया  है.  


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अध्यापन के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (National Council for Teacher Education-NCTE) ने पूरे देश में एक समान एकेडमिक सेशन 2023-24 के लिए 57 टीचर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन (TEI) में इंटेग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (ITEP) शुरू किया है. यह NEP 2020 के तहत एनसीटीई का एक प्रमुख कार्यक्रम है. इसकी जानकारी शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने शनिवार को दी है. 


आईटीईपी की हुई शुरूआत
शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने एकेडमिक सेशन 2023-24 के लिए देश भर के 57 टीचर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन (टीईआई) में एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी) शुरू किया है. ITEP बीए. बीएड/ बी. एससी, बीएड और बी. कॉम बीएड की पेशकश करने वाली 4 साल की दोहरी-प्रमुख स्नातक डिग्री है. मंत्रालय  के  जारी आदेश में बताया गया कि  कोर्स में प्रवेश नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के जरिए  नेशनल कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (NCET) के माध्यम से किया जाएगा. शिक्षा मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज जारी कर इसकी जानकारी दी है.


“मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज में कहा, "यह कोर्स नए स्कूल संरचना के 4 चरणों यानी फाउंडेशनल, प्रिपरेटरी, मिडिल और सेकेंडरी (5+3+3+4) के लिए शिक्षकों को तैयार करेगा. यह कार्यक्रम शुरू में प्रतिष्ठित केंद्र/राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों/संस्थानों में पायलट मोड में चलाया जा रहा है. 


पाठ्यक्रम से छात्रों को होगा लाभ 


आईटीईपी उन सभी छात्रों के लिए होगा है. माध्यमिक के बाद अपनी पसंद से  टिचिंग  पेशे के रूप में चुनते हैं. इस एकीकृत पाठ्यक्रम से छात्रों को  फायदा मिलेगा क्योंकि वे अभी बी.एड. के लिए आवश्यक 5 वर्षों के बजाय पाठ्यक्रम को 4 वर्षों में पूरा करने  के बाद एक  साल की  की बचत करेंगे. इसके लिए प्रवेश नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए)  के ज़रिए नेशनल कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (एनसीईटी) के जरिए किया जाएगा.


इस कोर्स को लेकर  विभाग ने बताया कि आईटीईपी न केवल अत्याधुनिक शिक्षा प्रदान करेगा, बल्कि यह प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई), मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (एफएलएन), समावेशी शिक्षा और भारत एवं इसके मूल्यों, लोकाचार, कला तथा परंपराओं के बीच एक समझ स्थापित करेगा. पाठ्यक्रम पूरे शिक्षक शिक्षा क्षेत्र के पुनरोद्धार में महत्वपूर्ण योगदान देगा.