Rajasthan Election 2023: राजस्थान में जनता की अदालत लग चुकी है. अलग-अलग पार्टियों के वकील जिरह कर रहे हैं. स्टार प्रचारकों की शक्ल में पार्टियों के नेता पैरवी करते दिख रहे हैं. हर नेता अपनी पार्टी की कमीज़ दूसरी से ज्यादा उजली बताता दिख रहा है.


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इस पैरवी में नतीजा किसके हक़ में जाएगा इसका फ़ैसला जनता को करना है लेकिन जनता अभी सिर्फ ऑब्जर्वर की भूमिका में है. किसी को अपनी पैरवी में राज्य सरकार के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाना है. कोई बड़ी मछलियों के साथ मगरमच्छ को भी पकड़ना चाहता है. कन्हैयालाल से लेकर करौली तक याद आ रहे हैं.


पीएफआई को लेकर दाग की स्याही उछलती दिख रही है तो दूसरी तरफ भी पैरोकार अपनी मजबूती दिखा रहे हैं. सामने वाले वकीलों की खामी गिनाई जा रही है. कहा जा रहा है कि असिस्टेन्ट सही किताब नहीं पकड़ा रहे. साथ ही केस हारने की आशंका और उससे उपजी खीझ का मुद्दा उठाया जा रहा है, लेकिन जज की भूमिका निभाने वाली जनता फिलहाल चुप है. दोनों पक्षों के वकीलों को सुन रही है और इन्तज़ार कर रही है. अपनी बारी का.


जनता की अदालत में केस सुना जा रहा है. स्टार प्रचारक वकील बनकर अपनी अपनी बात रख रहे हैं. कहीं से तर्क और आरोप आ रहे हैं तो कहीं से ऑब्जेक्शन की आवाज़ आ रही है. उदयपुर की सभा में बोलते हुए प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कन्हैयालाल से लेकर करौली, पीएफआई और राज्य सरकार में भ्रष्टाचार की बात की और राजस्थान की सरकार को आतंकियों की हमदर्द तक बता दिया.


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पीएम ने अपनी बात कही, लेकिन उनकी भाषा शैली और शब्दों पर ऑब्जेक्शन आया है. दरअसल मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत कहते हैं कि पीएम पद पर बैठे व्यक्ति की भाषा ऐसी नहीं हो सकती. सीएम गहलोत ने इस पर दो बार ऑब्जेक्शन जताते हुए का कि या तो उन्हें फीडबैक सही नहीं दिया या फिर सामने दिख रही हार की बौखलाहट में इस तरह की बातें की जा रही हैं. सीएम ने दो बार कहा कि यह ऑब्जेक्शनेबल है. दरअसल ऑब्जेक्शन हर किसी को है. 


दरअसल पीएम ने अपनी तरफ़ से राज्य के मुद्दों का ज़िक्र करते हुए यहां के कथित भ्रष्टाचार पर ऑब्जेक्शन है. कन्हैयालाल मर्डर मामले और करौली के घटनाक्रम पर ऑब्जेक्शन है तो साथ ही पीएफआई की गतिविधियों पर ऑब्जेक्शन है. उधर सीएम ने पीएम की भाषा और शब्दों पर ऑब्जेक्शन जताया है.


वे कहते हैं कि कन्हैयालाल का मर्डर कराने वाले बीजेपी के ही लोग थे. ऑब्जेक्शन इस बात का, कि एनआई ने इस केस में अब तक क्या किया.  वे ऑब्जेक्शन जताते हुए कहते हैं कि बीजेपी नॉन इश्यू को इश्यू बना रही है. सीएम का ऑब्जेक्शन है कि बीजेपी विकास कार्यों और मुद्दों पर बात नहीं कर रही. इन सारे ऑब्जेक्शन के बीच जनता तो जज की भूमिका में बैठी है.


ऑर्डर- ऑर्डर का हथौड़ा अभी नहीं बजा है. जज साब का फ़ैसला लिखे जाने के लिए 25 नवम्बर और फ़ैसला सुनाने के लिए 3 दिसम्बर की तारीख तय हो चुकी है और उसी दिन तय होगा कि किसका ऑब्जेक्शन जनता की अदालत में सस्टेन कर पाया और किसका ओवर रूल्ड?