Fake lease gang active in Jaipur: प्रशासन शहरों के संग अभियान में फर्जी पट्टा बनाने वाले गिरोह की बल्ले-बल्ले हो रही है. निकायों में अफसर पट्टों की पत्रावलियों में उलझे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ फर्जी साइनों से धड़ाधड़ फर्जी पट्टे जारी हो रहे हैं. पट्टे पर भले ही मेयर से लेकर उपायुक्त और एटीपी के साइन फर्जी हो, लेकिन डिस्पेच रजिस्टर में फर्जी पट्टों की एंट्र्री कर इसे असली बनाने की फैक्ट्री में काम करने वाले लोग अपनी जेब भरने का काम कर रहे हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

-फर्जी साइन से फर्जी पट्टे जारी करने वालो का गिरोह सक्रिय
-नगर निगम का बाबू-ऑपरेटर ही बनाकर देता था फर्जी पट्‌टा
-उपायुक्त प्लानिंग सोहनराम ने डिसस्पेच रजिस्टर से पकड़ी करतूत
-सुविधा क्षेत्र की जमीन का 266वर्गगज का फर्जी साइन से बनाया फर्जी पट्‌टा
-फर्जी साइन से फर्जी पट्टा बनाकर डिस्पेच रजिस्टर में एंट्री
-फर्जी पट्टा का डिस्पेच रजिस्टर में एंट्री,आवेदनकर्ता ने माना असली
-एक फर्जी पट्टे के मामले की जांच में कड़ी मिलाने में बड़ा खुलासा
-मेयर सौम्या और DC आयोजना के फर्जी साइन से पट्टा जारी
-प्लाट संख्या-267 वसुंधरा कॉलोनी टोंक रोड का मामला
-शकुंतला देवी पत्नी अशोक कुमार का जारी हुआ पट्टा
-शकुन्तला देवी की फाइल 2 दिसबंर 2021 को हो चुकी थी निरस्त
-आवेदक ने दलाल के जरिये फिर लगाई फाइल और ले लिया पट्टा
-जांच में निगम ग्रेटर कर्मचारी अविनाश कुमावत और
-कम्प्यूटर ऑपरेटर जतिन शर्मा की भूमिका आई सामने
-निगम प्रशासन ने अविनाश कुमावत को किया निलंबित
-साथ मे ज्योति नगर थाने में करवाई गई FIR दर्ज
-दलाल संजय कोठारी,पंकज जैन ने कर रखी कर्मचारियों से साठगांठ


फर्जी साइन से फर्जी पट्टे जारी का खेल


केस-1- निवारू रोड डिफेंस कॉलोनी में मधु अग्रवाल के प्लाट का जेडीए से पट्टा जारी होने के बाद मेयर-उपायुक्त के फर्जी साइनों से फर्जी पट्टा बनाकर नगर निगम ग्रेटर के डिस्पेज रजिस्टर में एंट्री कर दी गई. जिसके बाद नगर निगम ग्रेटर प्रशासन ने थाने में एफआईआर दर्ज करवाने के साथ में पंजीयन विभाग में रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के लिए पत्र लिखा.


यूं समझिए फर्जी साइन के मामले


केस-2- वसुंधरा कॉलोनी टोंक रोड पर शकुंतला देवी जैन के नाम से 266 वर्गगज सुविधा क्षेत्र का मेयर डॉक्टर सौम्या गुर्जर, उपायुक्त सोहनराम, एटीपी के फर्जी साइन से फर्जी पट्टा बनाकर निगम ग्रेटर के डिस्पेच रजिस्टर में निगम के कार्मिकों ने एंट्री कर दी. मालिक समझता रहा उसे असली पट्टा मिला हैं लेकिन वो पट्टा फर्जी था. जिसे निगम प्रशासन की टीम ने जांच में पकड़ा.


केस-3- बरकत नगर में फर्जी दस्तावेजों से सोसायटी का पट्टा जारी करने के बाद इकरारनाम कर लिया फिर रजिस्ट्री करवाई और उसके बाद निगम ग्रेटर में पट्टे के लिए आवेदन किया. दो बार आवेदन निरस्त होने के बार फिर अलग नाम से दस्तावेज लगाकर दो अलग अलग व्यक्तियों के बेचान कर रजिस्ट्री करवाकर पट्टे के लिए आवेदन किया. जिसके बाद निगम प्रशासन ने पट्टा जारी कर दिया, लेकिन मकान मालिक ने जब इसकी शिकायत पुलिस और निगम को दी तो पट्टा निरस्त किया गया.
 


फर्जी साइन से फर्जी पट्टे जारी होने के बाद निगम प्रशासन में हड़कंप 


जयपुर नगर निगम ग्रेटर में फर्जी साइनों से फर्जी पट्टे जारी करने का गिरोह सक्रिय हैं. ये गिरोह निगम कर्मचारियों से मिलीभगत कर शातिर तरीके से पट्टे की हूबहू कॉपी पर मेयर, उपायुक्त, एटीपी के फर्जी साइन से पट्टा बनाकर लोगों को फर्जी पट्टा देकर असली पट्टा देने के नाम पर ठगने का काम भी कर रहा हैं. नगर निगम ग्रेटर में लगाकर इस तरह की शिकायतों के बाद जांच पड़ताल की गई तो परतें खुलती रहीं और अफसरों के पैरों नीचे जमीन खिसकती रहीं.


हूबहू कॉपी पर फर्जी साइन कर रजिस्टर में एंट्री


प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत प्राप्त आवेदनों पर नगर निगम की ओर से स्वायत्त शासन विभाग की ओर से जारी निर्देश के अनुसार पट्टे बनाए जा रहे हैं. इसमें सरकार की ओर से तय शुल्क लिया जा रहा है. अभियान की आड़ में पट्टों की हूबहू कॉपी पर फर्जी साइन कर उस पट्टे की डिस्पेज रजिस्टर में एंट्री भी की जा रही हैं. दरअसल जयपुर नगर निगम ग्रेटर में इस तरह के मामले में नगर निगम के उपायुक्त प्लानिंग सोहनराम चौधरी ने निगम के ही एक बाबू अविनाश कुमावत और कम्प्यूटर ऑपरेटर जतिन शर्मा को पकड़ा है. इन दोनों के लिए खिलाफ नगर निगम प्रशासन ने ज्योति नगर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है. वहीं बाबू को देर रात सस्पेंड कर दिया. ये पूरा मामला डिस्पेच रजिस्टर में हुई एंट्री से पकड़ में आया है.
 


पिछले दिनों निवारू रोड स्थित एक कॉलोनी के भूखण्ड का फर्जी पट्‌टा जारी होने के बाद हड़कंप मच गया था, क्योंकि उस भूखण्ड का साल 2007 में जेडीए पहले ही पट्‌टा जारी कर चुका था. इसी साल मार्च में नगर निगम की ओर से उस भूखण्ड का एक नया पट्टा किसी दूसरे के नाम जारी हो गया. मामला जब नगर निगम में पहुंचा तो देखा पट्टा दिखने में पूरी तरह ऑरिजनल लग रहा था और उस पर उपायुक्त, मेयर समेत तमाम अधिकारियों के साइन थे, लेकिन नगर निगम के रिकॉर्ड में वो फाइल नहीं थी, जिसके आधार पर ये पट्‌टा जारी किया.


निवारू रोड स्थित कॉलोनी का पट्‌टा जारी होने के बाद जब डिस्पेच रजिस्टर की जांच की गई तो उसमें पट्‌टे की एंट्री थी. एंट्री जिस हैंडराइटिंग में की गई थी उसी हैंडराइटिंग में डिस्पेच रजिस्टर में और भी दूसरी एंट्री थी. जिनमें पट्टा जारी होने का उल्लेख था.


एक एंट्री में टोंक रोड वसुंधरा कॉलोनी के भूखण्ड संख्या 267 का पट्टा शकुंतला देवी पत्नी अशोक कुमार के नाम से जारी होना बताया. ये पट्‌टा 3 मार्च 2023 को जारी हुआ. इस पट्‌टे की ऑनर को जब कॉल किया और पूछा कि क्या आपका पट्‌टा जारी हो गया तो उन्होंने स्वीकार किया. नगर निगम के उपायुक्त प्लानिंग के साथ निगम की टीम भूखण्ड मालिक के घर पहुंची और वहां से पट्‌टा बरामद किया.


नगर निगम ने इन सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया


उपायुक्त ने जब रिकॉर्ड की जांच की तो पता चला कि शकुंतला देवी के नाम से पहले पट्‌टे के लिए एप्लीकेशन लगी थी. जिसे नगर निगम ने खारिज कर दिया था, क्योंकि उनका भूखण्ड सुविधा क्षेत्र की जमीन पर आ रहा है. इसी का फायदा उठाकर कम्प्यूटर ऑपरेटर जतिन शर्मा, बाबू अविनाश कुमावत और दलाल संजय कोठारी और पंकज जैन ने फर्जी पट्‌टा जारी करके आवेदक को सौंप दिया. मामला पकड़ में आने के बाद नगर निगम ने इन सभी के खिलाफ ज्योति नगर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है.


ये भी पढ़ें- टीना डाबी पर होगा एक्शन ?पाक विस्थापित हिंदुओं की कच्ची बस्सी उजाड़ने का मामला


बहरहाल, फर्जी साइनों से फर्जी पट्टे जारी होने के बाद निगम प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. अब निगम ग्रेटर प्रशासन सभी पट्टो की फाइलों को चेक करके आवेदकों से जानकारी जुटाने में लग गया है, क्योंकि अभी तक तो कड़ी से कड़ी मिलने में कई फाइल ऐसी है जिनको निगम प्रशासन ने किसी ना किसी कारण रिजेक्ट कर दिया लेकिन उनके भी फर्जी पट्टे लोगों ने असली समझकर संभाल कर लॉकर में रख लिए है.