Mughal : लाल कुंवर की दिल्ली में तूती बोलती थी. जिसे मुगल बादशाह ने अपनी बेगम बनाया था. बताया जाता है कि लालकुंवर और बादशाह जहांदार शाह दोनों ही खूब शराब पिया करते थे. शौकीन मिजाज बादशाह लाल कुंवर के अलावा भी कई महिलाओं से घिरा रहता था. 


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औरंगजेब का पोता जहांदार शाह था. लेकिन औरंगजेब जैसा बिल्कुल नहीं था. वो एक शौकीन मिजाज मुगल बादशाह था जो सिर्फ औरतों से घिरा रहता था. जब से बादशाह ने लाल कुंवर को नाचते देखा था वो उसका दीवाना हो गया था. कहते हैं रंगीला बादशाह कभी कभी जनाना कपड़े भी पहन लेता था.


कहते हैं कि जब बादशाह ने लाल कुंवर को पहली बार सुना और देखा तो वो पागल हो गया और लाल कुंवर को गोद में उठा कर कमरे में ले गया. जहां बार बार लाल कुंवर से गाने सुने. 52 साल की उम्र में गद्दी पर बैठे जहांदार शाह को वैसे भी राजकाज में दिलचस्पी नहीं थी, तो सारा समय लाल कुंवर के साथ अय्याशी में बीत रहा था. 


दोनों को पीने की लत इतनी थी दोनों एक बार बैलगाड़ी दिल्‍ली और आगरा के बाजार घूमने गये. रात में गाड़ी महल के पास पहुंची तो लाल कुंवर तुरंत जाकर बिस्तर पर सो गयी. लेकिन बादशाह का अता पता नहीं था. सुबह पता चला कि बादशाह तो बैलगाड़ी में ही बेहोश पड़े थे. 


अपनी इन्ही हरकतों के चलते और लाल कुंवर की धोखेबाजी के बाद बादशान ने ना सिर्फ कोहिनूर खो दिया बल्कि गद्दी भी खोयी. नादिर के हमले के बाद मुगल बादशाह ने सफेद कपड़े अपना लिए थे.


दिल्ली का लाल बंगला, दरअसल लाल कुंवर का इम्तियाज महल है. जहां उसका मकबरा भी है. इतिहार के पन्नों में लाल कुंवर जिसे नूर बाई भी कहा जाता है कि कई ऐसे किस्से हैं जो आज भी दबे हैं. एक तवायफ जिसके आगे मुगल बादशाह झुकता था.