Jaipur : राजधानी जयपुर की चौमूं नगरपालिका में अधिशासी अधिकारी की कुर्सी फुटबॉल बनी हुई है. बार-बार बदले जा रहे ईओ के मामले में लगता है. कि स्वायत्त शासन विभाग ईओ पद से खेल खेल रहा है. यानी राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते जब मर्जी आए तब EO के तबादले ओर APO आदेश जारी हो जाते हैं. इसका सीधा असर शहरी विकास पर पड़ रहा है.


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वीओ01-करीब 2 साल पहले 45 वार्डो वाली नगरपालिका चौमूं में कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत के साथ पालिका चेयरमैन की सीट पर कब्जा किया. पूर्व विधायक भगवान सहाय सैनी ने अपने पुत्र विष्णु सैनी को चेयरमैन की कुर्सी पर बिठा दिया. कांग्रेस के पार्षदों की माने तो तभी से कांग्रेस में अंतर कलह शुरू हो गया. . विष्णु सैनी के चेयरमैन बनने के बाद से कांग्रेस दो गुटों में विभाजित हो गई. एक गुट में पिता और पुत्र के साथ आधा दर्जन पार्षद शामिल हो गए. तो दूसरे गुट में एक दर्जन कांग्रेस के ज्यादा पार्षद और ब्लॉक कांग्रेस के पदाधिकारी है. कांग्रेस के पालिका बोर्ड में अब तक 11 ईओ को इधर-उधर किया चुका है. इसका खमियाजा आमजन को
भुगतना पड़ रहा है.


वीओ02-नगरपालिका चौमूं में करीब डेढ़ साल पहले दिसम्बर 2020 में स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस का बोर्ड बना था. लोगों को उम्मीद थी कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने और बोर्ड भी कांग्रेस का बनने से नगरपालिका क्षेत्र में विकास की गंगा बहेगी, लेकिन बोर्ड बनने के कुछ माह बाद से ही कांग्रेस में दो गुट बन गए, जिसका असर सीधे तौर पर शहर के विकास पर पड़ रहा है. हालत ये है कि चौमूं नगरपालिका में कोई ईओ ज्यादा दिन नही टिक पाता है..आइए ग्राफिक्स के जरिये एक नजर डालते है नगरपालिका के अधिशासी अधिकारियों के कार्यकाल और सूची पर. .


ईओ                                         कार्यकाल
सलीम खान 2 माह
ऋषिदेव ओला         4 माह
IAS सलोनी खेमका 1 सप्ताह
वर्षा चौधरी           5 माह
वर्षा चौधरी 12 दिन
हेमेंद्र कुमार       3 माह
देवेंद्र जिंदल 1 माह
सहदेवदान चारण  2 दिन
देंवेंद्र जिंदल 3 माह
सज्जन लाटा कार्यवाहक 14 दिन

देवेंद्र जिंदल अब फिर कोर्ट के आदेश पर


वीओ- दरअसल चौमू नगरपालिका के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है. कि एपीओ या तबादला होने के बाद कोई अधिशासी अधिकारी स्टे लेकर नौकरी कर रहा है. नगर पालिका बोर्ड के 22 माह के कार्यकाल में अब तक 11 अधिशासी अधिकारी बदले जा चुके हैं. नगर पालिका में देवेंद्र जिंदल ने 3 जून को पहली बार ज्वाइन किया उसके बाद 12 जुलाई को उन्हें APO कर दिया गया और जिंदल ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने एपीओ आदेश को अपास्त कर 20 जुलाई को स्टे दे दिया. अब 20 अक्टूबर को फिर से स्वायत शासन विभाग ने उन्हें फिर APO कर दिया. और अधिशासी अधिकारी का चार्ज तहसीलदार सज्जन लाटा को दे दिया. APO होने के बाद 3 नवंबर को देवेंद्र जिंदल का तबादला आबूरोड कर दिया गया. इधर APO और तबादला होने के बाद देवेंद्र जिंदल ने फिर से स्वायत शासन विभाग के तबादला आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. .कोर्ट ने देवेंद्र जिंदल की याचिका की शुक्रवार को सुनवाई करते हुए स्वायत शासन विभाग के एपीओ और तबादला आदेश को अपास्त करते हुए स्टे दे दिया. यानी एक बार फिर से देवेंद्र जिंदल नगर पालिका में अधिशासी अधिकारी के पद पर बने रहेंगे. इधर देवेंद्र जिंदल की कार्यशैली की बात की जाए तो शहर के लोग भी जिंदल की कार्यशैली से खुश नजर आते हैं.


अधिशासी अधिकारी की कुर्सी के साथ चल रहे इस खेल को लेकर विपक्ष के अलावा कांग्रेस के पार्षद खुद चेयरमैन पर आरोप लगा रहे हैं. चेयरमैन नगर पालिका में मनमर्जी करते हैं. इसकी वजह से शहर का विकास अटक जाता है. अब कांग्रेस के पार्षदों को उम्मीद है कि गाइडलाइन को साइडलाइन कर जिस तरीके से चेयरमैन ने बोर्ड बैठक दिलवाई उसे भी निरस्त होगी. क्योंकि एक तरफ चेयरमैन गुट के पार्षद नगर पालिका में बोर्ड बैठक में शामिल थे. तो दूसरी तरफ दूसरे खेमे के दो दर्जन से ज्यादा पार्षद DLB डायरेक्टर और कलेक्टर के पास बोर्ड बैठक की शिकायत के लिए बैठे हुए थे.