Garuda Puran : हमारे शास्त्रों, पुराणों और कुछ धार्मिक ग्रथों में मौत के बाद होने वाले अंतिम संस्कार की कपाल क्रिया को महत्वपूर्ण माना गया है. इस क्रिया को बहुत सावधानी से किया जाता है क्योंकि अगर इस दौरान कोई भी गलती हुई तो इसके परिणाम अच्छे नहीं माने जाते.


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आपको बता दें कि हिंदू धर्म में कपाल क्रिया के बिना अंतिम संस्कार अधूरा माना जाता है. ये क्रिया देखना हर किसी के बस की बात नहीं होती. आमतौर पर महिलाओं को कमजोर मन का मानते हुए इस क्रिया के दौरान दूर रखा जाता है.


क्या होती है कपाल क्रिया ?
कपाल क्रिया इतनी भयानक होती है कि एक बार तो दिमाग में आता है कि क्यों ऐसा किया जा रहा है. किसी मृत इंसान के सिर को फोड़ना कितना गलत है. लेकिन फिर इसके पीछे की वजह इस क्रिया को जरूरी बना देती है. गरुड़ पुराण के अनुसार जब भी किसी मृत शरीर को मुखाग्नि दी जाती है, तो सबसे ज्यादा घी उसके सर पर डालना होता है. ताकि सर अच्छी तरीके से जल जाए. 


जब सर जल जाता है तो उस पर डंडा मार कर यानि के सर पर डंडे से वार करके उसे तोड़ दिया जाता है. हिंदू धर्म में इसकी दो वजह बतायी गयी हैं. पहली- अगर सर पर वार करके उसे ना तोड़ा गया तो कई बार सर अधजला ही रह जाती है यानि की पूरा अंतिम संस्कार नहीं माना जाता है. और दूसरी मान्यता ये हैं कि कपाल क्रिया मुर्दे को सांसारिक बंधनों से मुक्त कराने और मोक्ष दिलाने के लिए महत्वपूर्ण है.


इस कपाल क्रिया के बाद मृत व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि अगर कपाल क्रिया नहीं की जाती है तो आत्मा भटकती रहती है और कभी मोक्ष को प्राप्त नहीं होती. यहीं नहीं कपाल क्रिया अगर सही तरीके से नहीं हो तो कभी कभी ऐसी कपाल का इस्तेमाल तांत्रिक करने लगते हैं जो मृतक की आत्मा के लिए और भी दुखदायक होता है. 


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