Garuda Purana : गरुड़ पक्षियों में सर्वश्रेष्‍ठ बताये जाते हैं. धर्म ग्रंथों के अनुसार, वो भगवान विष्णु के वाहन हैं. उनकी मां विनिता थीं, जो कि प्रजापति कश्यपजी की पत्नी बतायी जाती है. गरुड़ एक विशाल, अतिबलिष्‍ठ और अपने संकल्‍प को पूरा करने वाले पक्षी हैं. जिनको भगवान विष्णु ने अमृत्‍व प्रदान किया.


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गरुड़ पुराण में गरुड़ जी के बारे में एक कथा है कि जब स्‍वर्ग में देवताओं से युद्ध करके राक्षसों ने उनसे अमृत कलश छीन लिया था. गरुड़ अमृत लेने स्‍वर्ग में इसलिए गए थे, ताकि अपनी मां को सांपो की मां कद्रू की दासता से मुक्ति दिला दें.


कद्रू ने ये शर्त रखी थी कि तुम अगर मेरे पुत्रों के लिए अमृत ला दो, तो  ही तुम्‍हारी मां दासत्‍व से मुक्‍त हो पाएगी. तब गरुड़ उड़कर स्‍वर्ग पहुंचे और देवताओं की त्रिस्‍तरीय सुरक्षा-व्‍यवस्‍था को भंग करके अमृत कलश  मुंह में उठा लिया.


इंद्रादि सभी देवताओं ने उन्‍हें रोकने की कोशिश भी की लेकिन, गरुड़ उन्‍हें मात देकर धरती की ओर चले गये. रास्ते में भगवान विष्णुने देखा कि, गरुड़ के मुंह में अमृत कलश होने के बाद भी उसने खुद अमृत नहीं पिया है, जरा भी लालच नहीं था. 


भगवान ने खुश होकर गरुड़ को वर दे दिया तब गरुड़ ने कहा- भगवन् मुझसे भी कुछ मांगिए. गरुड़ की बात सुनकर भगवान विष्णु ने कहा, आप मेरे वाहन हो जाओ. फिर जब  देवताओं ने देखा कि गरुड़ तो भगवान विष्णु के वाहन हैं, तो सभी खुशी से झूम उठे. देवराज इंद्र ने कहा कि, हे पक्षीराज आपको किसी से भय नहीं होगा, लेकिन अमृत आप क्‍यों ले जा रहे हैं ?


तो गरुड़ ने उसकी वजह उन्‍हें बताई. तब इंद्र बोले कि, कुछ ऐसा करें हमें पूरा अमृत वापस मिल जाए. उन्‍होंने गरुड़ से कहा कि, नाग आपको अब कष्‍ट नहीं पहुंचा सकते, और आप उन्‍हें खा सकेंगे. इस पर गरुड़ ने देवताओं को अमृत कलश वापस दे दिया.