राजस्थान बोर्ड परीक्षा रद्द होने के बाद स्टूडेंट कैसे होंगे प्रमोट? डोटासरा ने दिया ये जवाब...
Jaipur News: मंत्री ने कहा कि छात्रों को किस आधार पर मार्क्स दिए जाएंगे, इसका फॉर्मूला राजस्थान बोर्ड और शिक्षा विभाग के अधिकारी मिलकर तय करेंगे.
Jaipur: सीबीएसई की 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षाएं रद्द होने के बाद अब गहलोत सरकार ने भी राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) की 10वीं-12वीं की परीक्षाओं को रद्द कर दिया है. आरबीएसई 10वीं-12वीं परीक्षाओं को लेकर बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया.
बैठक के बाद शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार के फैसले की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि 10वीं-12वीं कक्षा के रिजल्ट का फॉर्मूला राजस्थान बोर्ड और शिक्षा विभाग मिलकर तय करेंगे. इस बार 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के लिए 21.58 लाख से ज्यादा विद्यार्थी पंजीकृत है. इसमें 10वीं में करीब 12 लाख व 12वीं में करीब साढे़ 9 लाख स्टूडेंट हैं.
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कैबिनेट बैठक के बाद गोविंद सिंह डोटासरा ने बताया कि यह फैसला छात्रों के हित में लिया गया है. छात्रों को किस आधार पर मार्क्स दिए जाएंगे, इसका फॉर्मूला राजस्थान बोर्ड और शिक्षा विभाग के अधिकारी मिलकर तय करेंगे. दरअसल, कोरोना के बढ़ते संक्रमण और लगातार उठती मांग के बाद आखिरकार सरकार ने राजस्थान बोर्ड की 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं को रद्द करते हुए विद्यार्थियों को प्रमोट करने का फैसला ले लिया है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को करीब साढ़े 3 घंटे तक चली कैबिनेट की बैठक में सभी मंत्रियों ने एकराय से परीक्षा को रद्द करते हुए विद्यार्थियों को प्रमोट करने के निर्णय पर अपनी सहमति दी, जिसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है.
विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई 1 दिन पहले ही 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं को रद्द करते हुए विद्यार्थियों को प्रमोट करने का फैसला लिया था तो वहीं सीबीएसई की दसवीं बोर्ड की परीक्षाओं को पहले ही रद्द करने का फैसला लिया जा चुका है. विद्यार्थियों को किस मार्किंग के आधार पर प्रमोट किया जाए, इसको लेकर शिक्षा विभाग की ओर से बीकानेर निदेशालय को निर्देश भी दे दिए हैं. साथ ही आने वाले दिनों में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग करने के बाद मार्किंग का आधार तय किया जाएगा.
परीक्षा रद्द होने के बाद अब अभिभावकों और परीक्षार्थियों में भी थोड़ी राहत देखने को मिली है. क्योंकि राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई फैसला नहीं लेने के चलते परीक्षार्थियों के मन में लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. अभिभावकों ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि 'वर्तमान में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है और दूसरी लहर ने पूरे प्रदेश के साथ ही देश को बुरी तरीके से प्रभावित किया है. ऐसे में यदि बच्चे परीक्षा देने पर केंद्रों पर जाते तो संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता. क्योंकि वैक्सीनेशन का कार्य अभी 18 वर्ष से ऊपर की आयु के लोगों का हो रहा है, जबकि 12वीं 10वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की उम्र 18 साल से नीचे हैं. इसलिए सरकार ने परीक्षाओं को रद्द कर विद्यार्थियों को प्रमोट करने का जो फैसला लिया है वह सराहनीय है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसके लिए बधाई के पात्र हैं.'
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वहीं, दूसरी ओर परीक्षा रद्द होने के बाद प्रमोट करने के फैसले को लेकर परीक्षार्थियों में थोड़ी मिलीजुली प्रतिक्रिया है. परीक्षार्थियों का कहना है कि 'परीक्षा को लेकर पूरे साल मेहनत की थी और एक अच्छे परिणाम का इंतजार किया जा रहा था. लेकिन कोरोना का जिस हिसाब से खतरा बढ़ा हुआ है उस लिहाज से बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर सरकार ने जो फैसला लिया है वह सही फैसला है. परीक्षाएं तो आने वाले समय में कभी भी हो सकती हैं. लेकिन वर्तमान में लोगों की जिंदगी बचाना ज्यादा अहमियत रखता है. सरकार को चाहिए कि पास करने में जो मार्किंग सिस्टम अपनाया जाए वह इस तरह का हो कि विद्यार्थियों को किसी अच्छे कॉलेज और उच्च शिक्षण संस्थान में प्रवेश मिल सके.'