Health tips: भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है.इसी के तहत केंद्र सरकार ने राजस्थान को मिलेट्स कॉन्क्लेव के लिए चुना गया.कल से दो दिन तक जयपुर में बाजरा यानि मिलेट्स पर कॉन्क्लेव होगा.आखिर हमारी थाली में क्यों होना चाहिए मिलेट्स. आखिर हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है बाजरा.


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मिलेट्स मोटापा,कुपोषण, डायबिटीज,मुधमेह रोग में बचाव
मोटे अनाज को बढावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार अपने अपने स्तर पर जमकर कोशिश कर रही है.मोटे अनाज में ज्वार,बाजरा, रागी, कुट्टु, काकुन,चीना, सांवा, कोदो शामिल है.लेकिन आजकल मोटा अनाज हमारी थाली से गायब होता चला रहा है. ये मोटा अनाज हमारी सेहत के लिए बहुत कारगार साबित होता है. जिसमें से मिलेट्स यानि बाजरा और ज्वार की बात करे तो पोषणीय आधार पर अन्य खाद्यान्नों की अपेक्षा में बेहतर माना जाता है.इसके उपयोग से कुपोषण,मोटापा,डायबिटीज से बचाव में सहायक होता है,इसलिए मोटे अनाज की उत्पादकता और इसे बढावा देने के लिए जयपुर में कल से दो​ दिन तक मिलेट्स कॉन्क्लेव का आयोजन होगा,जिसमें सीएम गहलोत शिरकत करेंगे.


बाजरा उत्पादन में राजस्थान देश में नंबर एक
बाजरा उत्पादन में राजस्थान का देश में पहले पायदान पर है. भारत में बाजरा के क्षेत्रफल में राजस्थान की 57 और उत्पादन में 42 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इसी तरह ज्वार के उत्पादन और क्षेत्रफल में राज्य का तीसरा स्थान है. राजस्थान में पहले भोजन मिलेट्स आधारित था, लेकिन हरित क्रांति के दौर में गेहूं और चावल पर जोर दिया गया.समय-समय इसकी जरूरत थी ताकि लोगों को भरपेट भोजन मिल सके.


बाजरा और ज्वार की खेती के प्रोहत्सान,उत्पादन में वृद्धि, घरेलू खपत को बढ़ावा देने एवं मूल्य संवर्धन के लिए बजट 2022– 23 में राजस्थान मिलेट्स प्रोत्साहन मिशन की शुरुआत की गई. बाजरा, ज्वार और अन्य पोषक अनाजों का घरेलू उपयोग बढ़ाने के लिए मिड-डे मील,इंदिरा रसोई और आईसीडीएस की पोषाहार योजनाओं में सम्मिलित किए जाने की भी घोषणा की गई है.अब मिलेट्स को कैसे फिर से बढावा मिले,इसको लेकर दो दिन तक क्षेत्र की प्रतिष्ठित कंपनियों के प्रतिनिधि और विशेषज्ञ आकर विचार विमर्श करेंगे.