नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट- राजस्थान में हुए सर्वाधिक रेप, कोर्ट ने इस मुद्दे पर मांगा जवाब
याचिका में कहा गया कि प्रदेश में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों सहित नाबालिगों के दुष्कर्म मामले लगातार बढ़े हैं. नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो राजस्थान प्रदेश में दुष्कर्म के अपराध सर्वाधिक हुए हैं.
Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में पॉक्सो मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए उचित संख्या में विशेष न्यायालय नहीं खोलने पर मुख्य सचिव, प्रमुख विधि सचिव और हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से जवाब तलब किया है. सीजे एसएस शिंदे और जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने यह आदेश कुणाल रावत की जनहित याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया कि प्रदेश में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों सहित नाबालिगों के दुष्कर्म मामले लगातार बढ़े हैं. नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो राजस्थान प्रदेश में दुष्कर्म के अपराध सर्वाधिक हुए हैं और पिछले दो साल के दौरान ही 11307 नाबालिगों के साथ दुष्कर्म हुआ है. इसके बावजूद इन केसों की सुनवाई के लिए मौजूदा पॉक्सो कोर्ट की संख्या अपर्याप्त है. अदालतों की संख्या कम होने से पॉक्सो मामलों के निस्तारण में समय लग रहा है.
याचिका में कहा गया कि लंबित मामलों को देखते हुए 150 से भी ज्यादा पॉक्सो कोर्ट खोलने की जरूरत है. इसके अलावा कई पॉक्सो कोर्ट में तो नाबालिगों के अलावा बालिगों के मामलों को भी सुनवाई के लिए भेजा जा रहा है. इससे भी नाबालिग पीड़िताओं को न्याय मिलने में भी देरी हो रही है. पॉक्सो कोर्ट में भी आधारभूत सुविधाओं की कमी है और यह पीड़िताओं के अधिकारों का उल्लंघन है. इसके अलावा बच्चों में विधिक शिक्षा का भी अभाव है और उन्हें लैगिंक अपराधों की जानकारी नहीं दी जाती.
याचिका में गुहार की गई है कि बच्चों को लैगिंक अपराधों के संबंध में भी जानकारी दी जाए और 12 साल से कम उम्र के पीड़ितों के मामलों की सुनवाई के लिए अलग से पॉक्सो कोर्ट खोलने सहित मौजूदा पॉक्सो अदालतों में आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.
Reporter- Mahesh Pareek
ये भी पढ़ें- LDC Recruitment: 9 साल में तीन सरकारें बदली, पर 10 हजार बेरोजगारों को नहीं मिली नौकरी
अपने जिले की खबर पढ़ने के लिये यहां क्लिक करें