Holi 2023: राजस्थान में होली चढ़ा परवान, जयपुर में गोविंद देवजी के साथ होली, पुष्कर में उमड़े विदेशी सैलानी, खासाकोठी में दिखा शानदार नजारा
Rajasthan Holi LIVE 2023: राजस्थान में रंगों का त्योहार होली शाही अंदाज के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है. राजस्थान की होली का अंदाज बाकी जगहों की होली से अलग होता है. दुनियाभर के 50 से अधिक देशों के विदेशी मेहमान राजस्थान के अलग-अलग शहरों में होली को अपने अंदाज में होली का जश्न मना रहे हैं.
Rajasthan Holi LIVE 2023: राजस्थान में रंगों का त्योहार होली शाही अंदाज के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है. राजस्थान की होली का अंदाज बाकी जगहों की होली से अलग होता है. दुनियाभर के 50 से अधिक देशों के विदेशी मेहमान राजस्थान के अलग-अलग शहरों में होली को अपने अंदाज में जश्न मना रहे हैं. इधर गहलोत सरकार ने भी अंतर्राष्ट्रीय होली महोत्सव का विशेष आयोजन किया है. इसमें पर्यटन विभाग, आरटीडीसी, पुष्कर नगर पालिका और अजमेर जिला प्रशासन आयोजक हैं. चार दिन के इन आयोजन में रंगीन आतिशबाजी, नाच गाना, दीपदान, भक्ति, संगीत पर देशी और विदेशी मेहमान थिरकते नजर आये.
वहीं, पुष्कर में होली फेस्टिवल पूरी धूमधाम से मनाया जा रहा है. लोगों ने अपने कपड़े फाड़ कुर्ता फाड़ होली मना रहे है. होली के गानों पर जमकर थिरकते नजर आ रहे हैं. रंग बरसे... भींगे चुनरवाली गानों पर यहां के लोगों ने जब झूमना शुरु किया तो फिर इसके बाद ब्रज की होली रे रसिया गानों पर कई देशी विदेशी मेहमान भी अपना रंग दिखाना शुरू किया. जयपुर के गोविंद देवजी मंदिर में अपने आराध्य के साथ होली खेलने के लिए भक्तों की सुबह से ही भीड़ जुटने लगी है.
इसके अलावा अलग-अलग डेस्टिनेशंस पर हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित कई राज्यों टूरिस्ट भी जयपुर में होली मनाने पहुंचे है. यहां पहुंचे पर्यटकों में बेहद उत्साह देखा जा रहा है. बता दें कि जयपुर की होली पूरी दुनिया में अलग पहचान रखती है. वहीं, राजस्थान से लगते पाकिस्तान बॉर्डर पर जवानों ने एक-दूसरे के साथ होली खेली और देशवासियों को होली की बधाई दी.
सिटी पैलेस में हुआ होलिका दहन
जयपुर के सिटी पैलेस में राजपरिवार की ओर से सोमवार शाम को होलिका दहन कार्यक्रम बड़े स्तर पर आयोजित किया गया. मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार ने सोमवार को होलिका दहन महोत्सव परंपरानुसार सिटी पैलेस स्थित माणक चौक में मनाया. पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने विधि-विधान और रीति-रिवाजों के साथ होलिका दहन की प्राचीनकाल से चली आ रही परंपराओं का निर्वहन किया.
यहां होलिका दहन की परंपरा रियासतकाल से निभाई जाती है. इसमें सबसे पहले पूर्व राजपरिवार होलिका दहन करता है, उसके बाद पूरे शहर में आयोजन होता है. यहां से लोग होलिका से लौ को लेकर शहर में जगह-जगह होलिका दहन करते हैं. यहां होने वाला होलिका दहन पूरे पारंपरिक तरीके से जाता है.