पहले कोरोना, फिर मंकीपॉक्स और अब लैंग्या वायरस, जानें कितना खतरनाक है ये
कोरोना के बाद चीन से एक और खतरनाक वायरस हेनिपावायरस लैंग्या के आने की खबर है. ये वायरस जानवरों से फैल रहा है. अभी तक इस वायरस के इलाज और ये कितना खतरनाक हो सकता है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.
Langya Virus News : कोरोना के बाद चीन से एक और खतरनाक वायरस हेनिपावायरस लैंग्या के आने की खबर है. ये वायरस जानवरों से फैल रहा है. अभी तक इस वायरस के इलाज और ये कितना खतरनाक हो सकता है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.
दुनिया में फैले और चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस की तबाही से अभी लोग उबरे नहीं है कि अब एक और खतरनाक वायरस चीन में मिला है. इस नए वायरस का नाम जूनोटिक लैंग्या है जो 8 अगस्त को चीन ने जूनोटिक लैंग्या वायरस के 35 मामलों की पुष्टि की थी.
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक नए प्रकार के हेनिपावायरस लैंग्या से चीन के शेडोंग और हेनान प्रांत के लोग संक्रमित हुए हैं. जानवरों से फैल रहे इस वायरस को एलएवी भी कहा जाता है. ये वायरस खतरनाक हो सकता है. द ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस वायरस की टेस्टिंग के लिए न्यूक्लिक एसिड टेस्टिंग विधि का इस्तेमाल किया जाएगा.
क्या हैं इस वायरस से संक्रमित होने पर लक्षण
इस वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में बुखार, थकान, खांसी, भूख कम लगना, मांसपेशियों में परेशानी, मतली, सिरदर्द और उल्टी जैसे लक्षण दिखे हैं. शेडोंग और हेनान प्रांतों में लैंग्या हेनिपावायरस संक्रमण के 35 में से 26 मामलों में बुखार, चिड़चिड़ापन, खांसी, मितली, सिरदर्द और उल्टी जैसे लक्षण विकसित हुए. ये पूर्वी चीन में बुखार वाले रोगियों के गले से लिए गए सैंपल में मिला था.
अभी तक कोई इलाज नहीं
विशेषज्ञों का कहना है कि अभी इस वायरस से किसी की मौत नहीं हुई है. लेकिन ये कितना खतरनाक हो सकता है इस पर रिसर्च जारी है. फिलहाल इससे घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन इससे बचाव के उपाय करने जरूरी है. कोई वैक्सीन नहीं होने के चलते बस खुद की देखभाल और बचाव ही इसका इलाज है.
नए वायरस पर WHO ने कही ये बात
ताइवान के सीडीसी के उप महानिदेशक चुआंग जेन-हिसियांग का कहना है कि वायरस में मानव से मानव में ट्रांसमिशन नहीं दिखा है, हालांकि अभी इसके बारे में रिसर्च भी जारी है. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, लैंग्या वायरस जानवरों और मनुष्यों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और इसे जैव सुरक्षा स्तर 4 वायरस के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें मृत्यु दर 40-75 फीसदी के बीच है.
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