जयपुर: नगर निगम ग्रेटर (शहरी सरकार) मेयर की कुर्सी पर डॉ. सौम्या गुर्जर ने दो साल में तीसरी बार संभाल ली, लेकिन बर्खास्तगी की तलवार अभी भी लटकी है.हाईकोर्ट से 10 नवंबर को बर्खास्ती आदेश रद्द होने के 48 घंटे बाद अवकाश के दिन डॉ.सौम्या गुर्जर ने पूरे विधि-विधान के साथ फिर से शहरी सरकार की सत्ता संभाली. कुर्सी पर बैठने के साथ ही डॉ.सौम्या को हाईकोर्ट की आदेश की पालना में राज्य सरकार का नोटिस भी मिल गया, जिसमें डॉक्टर सौम्या गुर्जर को 18 नवंबर तक अपना पक्ष रखना है.उसके बाद राज्य सरकार तर्क-वितर्क के आधार पर युक्तियुक्त आदेश जारी करेगी.


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डॉक्टर सौम्या गुर्जर ने फिर से शहरी सरकार (नगर निगम ग्रेटर) की सत्ता की चाबी अपने हाथ में ले ली है, लेकिन ये चाबी कितने दिन तक रहेगी इसको लेकर चर्चा भी शुरू हो गई है, क्योंकि राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट के आदेश पर डॉक्टर सौम्या गुर्जर को कुर्सी संभालने के साथ पक्ष रखने के लिए नोटिस भी तामिल करवा दिया हैं. पुलिस जवान ने नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय पहुंचकर डॉ.सौम्या गुर्जर को नोटिस तामिल करवाते हुए रिसीविंग ली, जिसका जवाब सौम्या गुर्जर को 18 नवंबर तक देना है. यानि की डॉक्टर सौम्या पर बर्खास्तगी की तलवार अब भी लटक रही है. राज्य सरकार ने उनको जो कारण बताओ नोटिस दिया है उसका जवाब देने के लिए सौम्या के पास केवल 6 दिन का समय और बचा है. 


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 बर्खास्तगी की तलवार अब भी लटक रही


सौम्या के जवाब देने के बाद राज्य सरकार उसको तर्क-वितर्क के आधार पर युक्तियुक्त आदेश जारी कर सकती हैं.दूसरी तरफ डॉक्टर सौम्या गुर्जर के पदभार ग्रहण कार्यक्रम में भाजपा के कई पार्षद शामिल हुए.लेकिन विधायकों की दूरी एक बार फिर चर्चा का विषय रही. संगठन के तरफ से कुछ पदाधिकारी और शहर अध्यक्ष ने पहुंचकर सौम्या को शुभकामनाएं दी. सौम्या के पदभार ग्रहण करने के साथ ये चर्चाएं भी शुरू हो गई कि अब ये कितने दिन तक और इस कुर्सी पर बैठेंगी.कुर्सी संभालने के बाद सौम्या काफी एग्रेसिव भी नजर आई.


उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि ये उन षड़यंत्रकारियों को मेरा जवाब है जिन्होंने षड़यंत्र रचकर अलोकतांत्रिक तरीके से मुझे पद से हटाया. उन्होंने कहा कि अब तक के 2 साल के कार्यकाल में शहर के विकास में जो बाधाएं आई है वह जनता, आराध्य गोविंददेव जी और मदन मोहन जी के आर्शीवाद से दूर हुई है और उन्हीं के आर्शीवाद से ये षड़यंत्रकारी पहले भी हारे हैं.अभी भी और आगे भी हारेंगे.सौम्या ने कहा कि मेरा संघर्ष जारी रहेगा.मैंने जो जनता से वादा किया उस वादे पर अभी भी खरी हूं। चाहे ये दो बार, तीन बार या चार बार कितनी बार भी कोशिश कर ले पर हर बार बुराई हारती है अच्छाई जीतती है.


राज्य सरकार ने दिया है डॉ.सौम्या को नोटिस


सौम्या के मेयर बनने के बाद आज फिर भाजपा में ही आंतरिक कलह देखने को मिली. उनके इस पदभार ग्रहण समारोह में 55 से ज्यादा पार्षद तो शामिल हुए, लेकिन शहर का भी विधायक नगर निगम मुख्यालय नहीं पहुंचा.हालांकि संगठन की तरफ से शहर अध्यक्ष राघव शर्मा पहुंचे, जिन्होंने सौम्या को दोबारा मेयर बनने पर शुभकामनाएं दी.इस मामले पर सौम्या ने कहा कि संगठन उनके साथ हमेशा से रहा है और संगठन की वजह से ही वे आज यहां पहुंची है... ने कहा कि भाजपा विधायकों को सूचना देरी से मिली, क्योंकि ज्वाइनिंग का कार्यक्रम अचानक तय हुआ, इसलिए विधायक आज यहां नहीं आ सके. 


मेयर का उपचुनाव लड़ी रश्मि सैनी और लाइट समिति की चेयरमैन सुखप्रीत बंसल ने भी निगम मुख्यालय पहुंचकर सौम्या को दोबारा मेयर बनने की बधाई दी.हालांकि इस दौरान पूर्व कार्यवाहक मेयर शील धाबाई नहीं आई.मेयर सौम्या ने कहा कि वो इस रण में जयपुर और राजस्थान की जनता के लिए लड़ रही है तो उसकी कॉपी के लिए मैंने एक महीने तक वहां चक्कर लगाए. मुझे 4-5 घंटों तक चक्कर लगाने पड़े. करवा चौथ की मेहंदी भी मुझे डीएलबी दफ्तर में बैठकर लगानी पड़ी थी.लेकिन मुझे जानबूझकर न्यायिक जांच और टर्मिनेशन की कॉपी नहीं दी गई, ताकि मैं कोर्ट न जा सकूं.


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 सौम्या के पास केवल 6 दिन का समय बचा


सरकार ने मुझे कोर्ट जाने से रोकने के लिए भरपूर प्रयास किया. गौरतलब है की सौम्या को जो नोटिस जारी किया है उसमें उनसे पूछा कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 के तहत दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार की ओर से क्यों न नगर निगम ग्रेटर जयपुर के वार्ड संख्या 87 की सदस्यता और महापौर नगर निगम ग्रेटर जयपुर के पद से हटाने और अगले 6 साल तक पुर्ननिर्वाचन के लिए निर्योग्य घोषित कर दिया जाए. अत: इस संबंध में आप अपना जवाब 18 नवंबर तक पेश करें, लीगल के जुड़े विशेषज्ञों की माने तो सौम्या के जवाब के पास बाद अगर सरकार संतुष्ट नहीं हुई तो सरकार उन्हें पुन: पद से बर्खास्त कर सकती है.ऐसी स्थिति सौम्या उस बर्खास्ती के आदेश को दोबारा हाईकोर्ट में चुनौती दे सकती है.


बहरहाल, मेयर की कुर्सी संभालते ही गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है की कितने दिन शहरी सरकार की सत्ता की चाबी डॉ.सौम्या के हाथों में रहेगी. विशेषज्ञों के मुताबिक सौम्या को सरकार ने नोटिस जारी करके न्यायिक जांच के संबंध में उनका पक्ष रखने के लिए सुनवाई का मौका दिया है. सरकार को अगर सौम्या का स्पष्टीकरण तर्क संगत नहीं लगेगा. सरकार उनको दोबारा पद से बर्खास्त कर सकती है. इसके साथ ही इसकी पालना रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर सकती है.इसके अलावा सरकार के पास दूसरा विकल्प मामले में आगे खींचना भी है. सरकार को अगर जवाब तर्क संगत लगेगा तो सरकार सौम्या को बरी भी कर सकती है.